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बिहार बोर्ड से निकालते थे दूसरे का सर्टिफिकेट

पटना: एसएससी परीक्षा में फर्जीवाड़े की जांच कर रहे आर्थिक अपराध इकाई (इओयू) को एक बड़े गिरोह की जानकारी मिली है. इस गिरोह के सदस्य बिहार विद्यालय परीक्षा समिति से मैट्रिक-इंटर के उत्तीर्ण परीक्षार्थियों का फर्जी हस्ताक्षर कर उनके रॉल कोड व क्रमांक के आधार पर प्रमाणपत्र निकाल लेते थे. इसके बाद इनके आधार पर […]

पटना: एसएससी परीक्षा में फर्जीवाड़े की जांच कर रहे आर्थिक अपराध इकाई (इओयू) को एक बड़े गिरोह की जानकारी मिली है. इस गिरोह के सदस्य बिहार विद्यालय परीक्षा समिति से मैट्रिक-इंटर के उत्तीर्ण परीक्षार्थियों का फर्जी हस्ताक्षर कर उनके रॉल कोड व क्रमांक के आधार पर प्रमाणपत्र निकाल लेते थे.

इसके बाद इनके आधार पर विभिन्न राज्यों व मेडिकल कॉलेजों की प्रवेश परीक्षा में शामिल होते थे. सीट पर चयन होने के बाद वे नामांकन नहीं लेते थे, बल्कि सीट को खाली रहने देते थे. फिर, वह सीट मैनेजमेंट कोटा का हो जाता था. बाद में वे ऊंचे रसूखवालों से मोटी रकम लेकर उन सीटों पर मनचाहे लोगों का नामांकन कराते थे.

कैसे हुआ खुलासा
इओयू ने जनवरी में एसएससी की परीक्षा के दौरान विकास कुमार को फर्जी रूप से दूसरे के नाम पर परीक्षा देते हुए गिरफ्तार किया था. विकास से हुई पूछताछ के बाद इओयू ने पीएमसीएच के मेडिकल छात्र ललन कुमार, बृजमोहन सिंह व शिवांशु भारती को गिरफ्तार किया था.

जांच के क्रम में भागलपुर मेडिकल कॉलेज के छात्र मो शब्बीर हुसैन की भी संलिप्तता पायी गयी है. इसी दौरान उसे आनंद कुमार का पता चला, जो सूरत की एक जूता फैक्टरी में काम करता है. साथ ही उसका नाम कर्नाटक के निजी मेडिकल कॉलेज में नामांकन लिस्ट में भी है. यहीं से उसका शक गहराया और नये गिरोह का खुलासा हुआ.

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