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पटना : ट्रांसमिशन लॉस कम करके किसानों को मुफ्त दें बिजली

पटना : साउथ व नॉर्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी ने अपने आय-व्यय का ऑडिट नहीं कराया है. इसके बावजूद विद्युत टैरिफ दर बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है. ट्रांसमिशन लॉस कम करने की कोशिश की जा रही है, ताकि किसानों को मुफ्त में बिजली दी जाये. ट्रांसमिशन लॉस 40% से घट कर 30% रह गया है. […]

पटना : साउथ व नॉर्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी ने अपने आय-व्यय का ऑडिट नहीं कराया है. इसके बावजूद विद्युत टैरिफ दर बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है.
ट्रांसमिशन लॉस कम करने की कोशिश की जा रही है, ताकि किसानों को मुफ्त में बिजली दी जाये. ट्रांसमिशन लॉस 40% से घट कर 30% रह गया है. वहीं, आगामी वित्तीय वर्ष में इसे 15% तक कम करने का लक्ष्य है.
बिहार विद्युत विनियामक आयोग की ओर से नॉर्थ व साउथ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लि के प्रस्तावित टैरिफ दर पर आयोजित जन सुनवाई में उपभोक्ताओं ने कहीं. आयोग के अध्यक्ष एसके नेगी की अध्यक्षता में आयोजित जन सुनवाई में आम बिजली उपभोक्ताओं के साथ-साथ किसान व उद्योगपति भी शामिल हुए. उन्होंने प्रस्तावित बिजली दर को लेकर अपने विचार रखे.
तीन से पांच वर्षों पर हो टैरिफ निर्धारण
मोकामा से आये नव चेतना मंच के राम शरण सिंह ने कहा कि ट्रांसमिशन लॉस कम होने से विद्युत कंपनी को लाभ मिलेगा. इसका लाभ किसानों को मिलना चाहिए. किसानों को मुफ्त बिजली दी जाये.
प्रतिवर्ष टैरिफ दर बढ़ाने का प्रस्ताव लाया जाता है. यह ठीक नहीं है. तीन से पांच वर्षों पर टैरिफ निर्धारण की व्यवस्था होनी चाहिए. आयोग अध्यक्ष से अपील की इस जन सुनवाई में कम लोग शामिल होते है. यह जन सुनवाई गांवों, प्रखंडों व जिलों में होनी चाहिए, ताकि आम उपभोक्ता व किसानों की शिकायत सुनी जा सके.
बिना मीटर वाली श्रेणी खत्म हो
औद्योगिक क्षेत्र से आये सुभाष पटवारी व संजय भरतिया ने कहा कि विद्युत कंपनी केबीएच या केडब्ल्यूएच में खरीदारी करती है, तो उसी के अनुरूप बिजली दर वसूलना चाहिए. लेकिन ऐसा नहीं होता नहीं है.
वहीं, झारखंड व पश्चिम बंगाल की तरह ही औद्योगिक कनेक्शन होना चाहिए. दोनों डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों ने ऑडिट नहीं कराया है और टैरिफ दर बढ़ोतरी का प्रस्ताव आया है. यह ठीक नहीं है. वहीं, बिना मीटर वाली श्रेणी को खत्म करना चाहिए.
दूसरे राज्यों से अधिक है टैरिफ
जन संघर्ष मोर्चा के प्रदीप मेहता ने कहा कि सूबे में बिजली उत्पादन की व्यवस्था नहीं है. हम दो हजार मेगावाट बिजली भी उत्पादन नहीं कर रहे हैं. इसका खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ता है. झारखंड के साथ पंजाब व हरियाणा में तीन से साढ़े तीन रुपये प्रति यूनिट बिजली है और हमलोग छह से आठ रुपये प्रति यूनिट दे रहे हैं. टैरिफ दर में बढ़ोतरी से उपभोक्ताओं को नुकसान है.

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