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पटना : कोहरा व ओस की कमी से गेहूं की फसल पर संकट
पटना : रबी की खेती करनेवाले किसानों को मौसम का साथ नहीं मिल रहा है. वातावरण में नमी की मात्रा कम होने के कारण न पर्याप्त ओस गिर रहा है और न ही कोहरा. किसानों को अब चिंता सताने लगी है कि कहीं गेहूं का उत्पादन न प्रभावित हो जाये. कृषि मौसम वैज्ञानिकों की नजर […]
पटना : रबी की खेती करनेवाले किसानों को मौसम का साथ नहीं मिल रहा है. वातावरण में नमी की मात्रा कम होने के कारण न पर्याप्त ओस गिर रहा है और न ही कोहरा. किसानों को अब चिंता सताने लगी है कि कहीं गेहूं का उत्पादन न प्रभावित हो जाये. कृषि मौसम वैज्ञानिकों की नजर अब जनवरी के मौसम पर है. जनवरी में अगर मौसम का पूरा साथ न मिला तो गेहूं की पैदावार कम हो सकती है.
खरीफ में मौसम की मार से किसान अब तक उबर नहीं पाये हैं. सरकार किसानों को इनपुट अनुदान दे रही है. समय पर बारिश नहीं होने तथा कम बारिश के चलते धान का उत्पादन प्रभावित हुआ. देर से धान की खेती शुरू हुई.
किसानों को रबी खासकर गेहूं से पूरी उम्मीद थी, लेकिन मौसम का पूरा साथ नहीं मिल रहा है. इस साल कृषि विभाग ने 21 लाख हेक्टेयर में गेहूं की खेती का लक्ष्य तय किया है. 30 लाख हेक्टेयर में रबी की खेती होगी. किसान अभी दोहरी मार झेल रहे हैं. एक तो यूरिया की कमी से किसान परेशान हैं ऊपर से मौसम की दगाबाजी से इस बात की चिंता सता रही है कि कहीं गेहूं की फसल भी प्रभावित न हो जाये. कृषि मौसम वैज्ञानिक संतोष कुमार कहते हैं कि वातावरण में नमी की कमी है. नमी के कारण कोहरा नहीं हो रहा है और ओस भी कम मात्रा में गिर रहा है. कुमार कहते हैं कि नेपाल से सटे इलाके में तो कोहरा हो रहा है, लेकिन अन्य जगहों पर कम कोहरा है. उन्होंने कहा कि अभी स्थिति बहुत खराब नहीं है. बहुत कुछ जनवरी के मौसम पर निर्भर करेगा. अगर जनवरी में मौसम अनुकुल नहीं रहा तो उत्पादन कम हो सकता है.
बुआई के समय 12 से 15 डिग्री तापमान अनुकुल : गेहूं की बुआई के समय 12 से 15 डिग्री सेल्सियस तापमान अनुकुल माना गया है. इसी प्रकार 12 से 13 डिग्री सेल्सियस तापमान में मक्का में दाना अच्छा लगता है.
पिछले साल जनवरी में तापमान काफी कम हो जाने के कारण मक्का में दाना नहीं लगा था. कृषि वैज्ञानिक कहते हैं कि देरी से बुआई करने वाले किसानों की गेहूं की फसल प्रभावित हो सकती है. पिछले रबी के मौसम में 21.01 लाख हेक्टेयर में गेहूं की खेती हुई थी. 61.04 लाख टन उत्पादन हुआ था. औसतन प्रति हेक्टेयर में 29.05 क्विंटल की दर से गेहूं का उत्पादन हुआ था. इसी प्रकार 4.56 लाख हेक्टेयर में मक्का की खेती हुई थी और 28.85 लाख टन उत्पादन हुआ था.
उत्पादन दर प्रति हेक्टेयर 55.92 क्विंटल था. 2.81 लाख हेक्टेयर में दलहन की खेती हुई थी. दलहन उत्पादन की दर प्रति हेक्टेयर 11.13 क्विंटल था. तेलहन की खेेती 94 हजार हेक्टेयर में हुआ था और उत्पादन दर 11.99 क्विंटल प्रति हेक्टेयर थी.
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