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बिहार में शराबबंदी के बाद महिला हिंसा 54% से घटकर 5% तक आयी

राजेश सिंहपटना : नीतीश सरकार की शराबबंदी ने प्रदेश के घरों में खुशियां बिखेरी हैं. पहले शराब के कारण सबसे ज्यादा महिलाएं हिंसा की शिकार होती थीं, लेकिन अब तस्वीर बदल गयी है. महिलाओं की घर-गृहस्थी में अब शांति आयी है. शराबबंदी से पहले 54 प्रतिशत महिलाएं घरेलू हिंसा की शिकार होती थीं. सख्ती से […]

राजेश सिंह
पटना :
नीतीश सरकार की शराबबंदी ने प्रदेश के घरों में खुशियां बिखेरी हैं. पहले शराब के कारण सबसे ज्यादा महिलाएं हिंसा की शिकार होती थीं, लेकिन अब तस्वीर बदल गयी है. महिलाओं की घर-गृहस्थी में अब शांति आयी है. शराबबंदी से पहले 54 प्रतिशत महिलाएं घरेलू हिंसा की शिकार होती थीं. सख्ती से शराब पर पाबंदी लगी तो यह आंकड़ा कम होकर सिर्फ पांच प्रतिशत रह गया. अब गांवों में शांति कायम है.

घरों के अंदर, सार्वजनिक स्थानों, सामाजिक उत्सवों और त्योहारों के दौरान हिंसा में कमी आयी है. महिला विकास निगम के डाटा रिसोर्स सेंटर के अध्ययन में ये तथ्य सामने आये हैं. दरअसल, डाटा रिसोर्स सेंटर की टीम ने प्रदेश के पांच जिलों में शराबबंदी का ग्रामीण महिलाओं और लड़कियों की स्थिति पर प्रभाव के आकलन के लिए अध्ययन किया है. इस दौरान 2368 लोगों से बातचीत की गयी.


अध्ययन के लिए प्रदेश को पांच हिस्सों में बांटा
शराब की बिक्री और सेवन पर पूर्ण निषेध का ग्रामीण महिलाओं और लड़कियों की स्थिति पर प्रभाव का आकलन महिला विकास निगम के जेंडर रिसोर्स सेंटर ने किया है. इसके लिए प्रदेश को भौगोलिक दृष्टि से पांच हिस्सों में बांटा गया. पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण और मध्य और जिलों का चुनाव आर्थिक रूप से भिन्नता के आधार पर किया गया.
नवादा, पूर्णिया, समस्तीपुर, पश्चिम चंपारण (बेतिया) और कैमूर का चयन किया गया. इन जिलों में 1001 महिलाओं के साथ 26 केंद्रित समूह चर्चा, 242 पुरुषों के साथ 20 केंद्रित समूह चर्चा और 647 किशोरवय लड़कियों के साथ 10 केंद्रित समूह चर्चा की गयी. 306 महिलाओं से व्यक्तिगत रूप से बातचीत की गयी.

ये ऐसी महिलाएं थीं, जिनके घर में शराबबंदी से पहले पुरुष शराब का सेवन करते थे. इसके अलावा पुलिस थाने, महिला पुलिस थाने, महिला हेल्पलाइन, नशामुक्ति केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, बैंक, अनाज की दुकानें तथा राजस्व विभाग जैसे महत्वपूर्ण सेक्टर के साथ जिला एवं प्रखंड स्तर पर चर्चाएं हुईं. शराबबंदी के बाद सामाज में आये बदलाव की हकीकत तब जाकर सामने आयी.

99% महिलाएं खुश, शराबबंदी की समर्थक भी
पटना : जेंडर रिसोर्स सेंटर की रिपोर्ट की मानें तो 99 फीसदी महिलाएं शराबबंदी के बाद खुश हैं. वे शराबबंदी का जोरदार तरीके से समर्थन भी करती हैं. महिलाएं ही नहीं, लड़कियों, बच्चों के खिलाफ होने वाले हिंसा में भी अप्रत्याशित कमी आयी है.
शराबबंदी के बाद सिर्फ छह प्रतिशत महिलाओं ने आर्थिक नुकसान की शिकायत दर्ज की. हकीकत यह है कि मद्यनिषेध से पहले यह आंकड़ा 70 प्रतिशत था. 35 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि शराबबंदी से पहले उनके बच्चों को कभी-कभी मौखिक हिंसा का सामना करना पड़ता है, जबकि शराबबंदी के बाद सिर्फ पांच प्रतिशत ऐसी महिलाएं सामने आयीं, जिन्होंने मौखिक हिंसा की शिकायत की.
हो रही बचत, खाद्य पदार्थों का सेवन 30% बढ़ा
जेंडर रिसोर्स सेंटर के आंकड़े बताते हैं कि खाद्य पदार्थों एवं गैर खाद्य पदार्थों का सेवन 30% बढ़ा है. शराबबंदी से जिन पैसों की बचत होती है, वे पैसे अब हरी सब्जियों, दूध, मछली-मीट, प्राइवेट ट्यूशनअच्छे कपड़ों पर खर्च हो रहे हैं.
इसके बावजूद काफी बचत भी हो रही है. शराबबंदी से पहले कमाई का सबसे बड़ा हिस्सा शराब में चला जाता था. पहले लोग भोजन पर हर हफ्ते करीब 1005 रुपये खर्च करते थे. अब यह आंकड़ा 1331 रुपये तक पहुंच गया है.
मद्य निषेध से पहले
03% औरतों ने कहा, घरों में महिलाएं भी शराब पीती थीं.
83% महिलाएं अपने पति के शराब पीने की आदत से प्रभावित होती थीं.
92% महिलाओं ने कहा कि उनके पति त्योहारों-शादियों में पीते थे.
92% पुरुष अपनी आमदनी से शराब पीते थे.
63% पुरुष शराब पर Rs 50-200 प्रतिदिन खर्च कर देते थे.
मद्य निषेध के बाद
85% महिलाओं ने कहा- पड़ोसियों से विवाद कम हुए.
78% महिलाओं ने कहा कि अब लोगों की बातचीत करने का तरीका बदला है.
19% महिलाओं ने कहा, शराबबंदी के बाद नयी संपत्ति अर्जित की.
43% पुरुष खेती में ज्यादा समय बिताने लगे.
84% महिलाओं ने कहा- ज्यादा बचत हो रही है.
19%पुरुष पूरे दिन शराब का सेवन करते थे.
71% शाम या रात को शराब पीते थे.
भोजन पर हर हफ्ते खर्च 1005 रुपये से बढ़कर रुपये 1331
शिक्षा पर साप्ताहिक खर्च 364 रुपये से बढ़कर 612 रुपये हो गये
औरतों ने कहा कि अब त्योहारों-शादियों में होने वाले हंगामे
में कमी आयी.
मद्य निषेध से पहले
03% औरतों ने कहा, घरों में महिलाएं भी शराब पीती थीं.
83% महिलाएं अपने पति के शराब पीने की आदत से प्रभावित होती थीं.
92% महिलाओं ने कहा कि उनके पति त्योहारों-शादियों में पीते थे.
92% पुरुष अपनी आमदनी से शराब पीते थे.
63% पुरुष शराब पर Rs 50-200 प्रतिदिन खर्च कर देते थे.
मद्य निषेध के बाद
85% महिलाओं ने कहा- पड़ोसियों से विवाद कम हुए.
78% महिलाओं ने कहा कि अब लोगों की बातचीत करने का तरीका बदला है.
19% महिलाओं ने कहा, शराबबंदी के बाद नयी संपत्ति अर्जित की.
43% पुरुष खेती में ज्यादा समय बिताने लगे.
84% महिलाओं ने कहा- ज्यादा बचत हो रही है.

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