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पटना : सूखे से निबटने के लिए सरकार ने बनाया ‘एक्शन प्लान’, मवेशियों के लिए शिविर, चारा से पानी तक की व्यवस्था
पटना : सूखे से निबटने का सरकार ने ‘एक्शन प्लान’ बना लिया है. सूखाग्रस्त इलाकों में तालाब सूखने लगे हैं. जल संकट गहराने लगा है.इसलिए जनता के साथ ही मवेशियों की भी फिक्र लाजिमी है. सरकार ने मवेशियों के लिए चारा से लेकर पानी तक का विशेष इंतजाम करने का फरमान जारी कर दिया है. […]
पटना : सूखे से निबटने का सरकार ने ‘एक्शन प्लान’ बना लिया है. सूखाग्रस्त इलाकों में तालाब सूखने लगे हैं. जल संकट गहराने लगा है.इसलिए जनता के साथ ही मवेशियों की भी फिक्र लाजिमी है. सरकार ने मवेशियों के लिए चारा से लेकर पानी तक का विशेष इंतजाम करने का फरमान जारी कर दिया है. पानी की आपूर्ति में सोलर पंप की भी मदद ली जायेगी. सरकारी पशु चिकित्सालयों में दवाओं के भंडारण से लेकर अनुदान और बीज पर्याप्त रूप से मुहैया कराने के निर्देश मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जारी कर चुके हैं.
इस पर लगातार अब मुख्य सचिव दीपक कुमार नजर बनाये हुए हैं. प्रदेश के 23 जिलों के 206 प्रखंडों को सरकार सूखा घोषित कर चुकी है. अभी दर्जनों और प्रखंड ऐसे हैं, जहां बारिश कम हुई है. वहां की जमीन में दरारें फट रही हैं. ऐसे प्रखंडों की संख्या 400 तक पहुंच सकती है. कृषि विभाग अपने स्तर से मंथन कर रहा है. ताकि सरकार को अवगत कराया जा सके.
धरती की सूख गयी कोख
इंद्र देव ऐसे रूठे कि धरती की कोख सूखने लगी है. पानी के लिए शोर मचना शुरू हो गया है. भू-गर्भ जलस्तर रसातल में जा रहा है. जाहिर है, सरकार की चिंता बढ़ाने के लिए ये सब काफी हैं. इसकी रिपोर्ट मुख्यमंत्री नीतीश कुमार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक को सौंप चुके हैं. सरकारी रिपोर्ट पर भरोसा करें तो सूखे की स्थिति से जलाशय सूख रहे हैं.
इसके कारण पशुओं के लिए पेयजल की कमी की आशंका बढ़ गयी है. ऐसी स्थिति से निबटने के लिए लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग, पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग समन्वय स्थापित करेंगे और हालात का आंकलन कर रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं. ऐसे स्थलों को चिन्हि्त किया जा रहा है, जहां ज्यादा समस्या है. ऐसी जगहों पर शिविर लगाया जायेगा. ऐसे स्थानों पर लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग की ओर से जल की व्यवस्था की जायेगी. प्राथमिकता के आधार पर सोलर पंप के माध्यम से जल की व्यवस्था की जायेगी.
सूखाग्रस्त जिले
पटना, भोजपुर, बक्सर, कैमूर, गया, जहानाबाद, नवादा, औरंगाबाद, सारण, सीवान, गोपालगंज, मुजफ्फरपुर, वैशाली, दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, मुंगेर, शेखपुरा, जमुई, भागलपुर, बांका, नालंदा एवं सहरसा.
– यह भी जानें : प्रभावित जिलों में कृषि उत्पादन में 33 फीसदी तक की कमी आने की आशंका. – एक जून से 30 सितंबर तक प्रदेश में 1027.6 मिमी औसत बारिश की जगह 771.3 मिमी ही बारिश हुई. – इस साल बारिश में 25 फीसदी की कमी दर्ज की गयी. – एक जून से 15 अक्तूबर तक औसत सामान्य बारिश 1078.1 मिमी के विरुद्ध मात्र 789.0 मिमी बारिश हुई. यह औसत से 26.8 प्रतिशत कम है.
100 प्रखंड और घोषित हो सकते हैं सूखाग्रस्त
पटना : राज्य में करीब 100 प्रखंड और सूखाग्रस्त क्षेत्र घोषित हो सकते हैं. शनिवार को कृषि निदेशक आदेश तितरमारे ने विभाग के जांच अधिकारियों के साथ बैठक कर स्थिति का आकलन किया. राज्य में 23 जिलों के 206 प्रखंड पहले से ही राज्य में सूखाग्रस्त घोषित हैं.
अंतिम निर्णय मुख्यमंत्री के स्तर पर समीक्षा के बाद होगा. पिछले दिनों जब 206 प्रखंड को घोषित किया गया तो विभाग को जानकारी मिली कि कई और प्रखंडों में सूखे की स्थिति है.
इसके बाद मुख्यालय से स्थिति का आकलन करने को भेजा गया. इन जांच अधिकारियों ने अपना जांच प्रतिवेदन शनिवार को कृषि निदेशक को सौंपा और विस्तार से स्थिति की जानकारी दी. बारिश नहीं होने से धान की फसल पीली पड़ती जा रही है. कृषि निदेशक स्थिति की समीक्षा करेंगे.
इसके बाद सरकार आगे का निर्णय लेगी. राज्य में इस साल 32 लाख हेक्टेयर से अधिक में धान की खेती हो रही है. सामान्य से कम बारिश होने के कारण धान की रोपनी के समय किसानों को काफी परेशानी हुई थी.
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