पटना: 10-15 साल पहले देश में मध्यवर्ग की संख्या ढाई करोड़ मानी जाती थी. अब इसे 20 करोड़ माना जाता है. किसी परिवार में महीने की कमाई 20 हजार से एक लाख रुपये तक हो, तो वह कहीं-न-कहीं मध्यवर्ग में आता है.
माना जा रहा है कि 2015 तक भारतीय मध्यवर्ग में 30 करोड़ लोग शामिल होंगे. एक जमाने में राजनेताओं की राय थी कि मध्यवर्ग के लोग वोट नहीं करते और परिवर्तन में शामिल नहीं होते हैं. लेकिन, इस साल हुए लोकसभा चुनाव में यह धारणा बदल गयी है. ये बातें बुधवार को आद्री में अपनी पुस्तक ‘भारत का नया मध्यवर्ग’ के विमोचन के मौके पर पवन के. वर्मा ने कहीं. पुस्तक का प्रकाशन हार्पर कॉलिंस पब्लिशर्स इंडिया ने किया है.
सबसे ज्यादा युवा मध्यमवर्ग के : श्री वर्मा ने पुस्तक की संक्षिप्त चर्चा करते हुए भारत में मध्यवर्ग की विशेषताओं और उसकी चुनौतियों का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि इस पुस्तक के हिंदी संस्करण का पहला विमोचन पटना में किया जा रहा है. मध्यवर्ग पर 1997 में लिखित उनकी पहली किताब ‘द ग्रेट इंडियन मिडिल क्लास’ के हिंदी अनुवाद ‘भारतीय मध्यवर्ग की अजीब दास्तान’ को सबसे ज्यादा पाठक बिहार में ही मिले. तब से लेकर अब तक मध्यवर्ग में आये बदलाव का जिक्र इस नयी किताब में है. उन्होंने कहा कि भारत में सबसे ज्यादा युवा मध्यमवर्ग के हैं.
भारत में जाति का खात्मा अभी नहीं हुआ है. लेकिन, शिक्षा के प्रसार, उपभोग आदि के आधार पर मध्यवर्ग का स्वरूप अखिल भारतीय हो गया है. मोबाइल, इंटरनेट, कंप्यूटर और चौबीस घंटे के इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से पूरे देश का मध्यवर्ग जुड़ा हुआ है. इसका प्रभाव निर्भया कांड में देखने को मिला. मध्यवर्ग की अपेक्षाएं पहले के मुकाबले काफी बढ़ गयी हैं. लेकिन, उसकी भूमिका और आगे का किरदार क्या हो सकता है, यह एक बड़ा सवाल है. दुनिया भर में मध्यवर्ग में उभार देखने को मिल रहा है. पूरी दुनिया में मध्यवर्ग की आबादी 1.8 अरब है. चीन की 65 प्रतिशत आबादी मध्यवर्ग की है. मध्यवर्ग मुद्दों का मूल्यांकन करे. सिर्फ आक्रोश के मुद्दे पर जूङो नहीं. ऐसा होने पर राजनेता मुद्दों से हटा कर वोट बैंक की तरह इस्तेमाल कर लेंगे.
मध्यवर्ग की ऐतिहासिक भूमिका का जिक्र : वरिष्ठ पत्रकार हरिवंश ने किताब के विभिन्न अध्यायों पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि मध्यवर्ग की ऐतिहासिक भूमिका और वर्तमान स्थिति का जिक्र इस किताब में है. उन्होंने कहा कि यह किताब एक गंभीर दखल है और मौजूदा दौर पर गंभीर सवाल उठाती है. 1999 में आयी नयी आर्थिक नीति का मकसद अधिकतम मुनाफा कमाना था. मुनाफे की अधिकता पर उपजे मध्यवर्ग का नैतिकता से कितना रिश्ता होगा, यह एक प्रश्न है. आद्री के सदस्य सचिव डॉ शैबाल गुप्ता ने कहा कि मध्यवर्ग का चरित्र समय के साथ बदलता रहा है. सोशल मीडिया और संचार के दूसरे माध्यमों के इस दौर में मध्यवर्ग का थोड़ा अलग है. अर्थव्यवस्था में विकास के साथ मध्यवर्ग का दायरा बढ़ेगा. गरीब तबके के लोग मध्यवर्ग में शामिल होते जायेंगे. मध्यवर्ग की रचनात्मकता में कमी आयी है. जब तक रचनात्मकता नहीं होगी, पहचान नहीं होगी. सुपर-30 के संस्थापक आनंद कुमार ने कहा कि मध्यवर्ग का दायरा जितना बढ़ेगा, देश का उतना ही भला होगा. समारोह की अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार श्रीकांत ने की. उन्होंने कहा कि इस किताब में मध्यवर्ग की भावी भूमिका भी दिखायी गयी है. धन्यवाद ज्ञापन करते हुए रामवचन राय ने कहा कि क्षेत्रीयता से उठ कर राष्ट्रीयता से जुड़ने का बोध मध्यवर्ग में है. समारोह में आद्री के निदेशक पीपी घोष, सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी आइसी कुमार आदि भी शामिल हुए.