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पटना : आप जो इंजेक्शन ले रहे हैं, कहीं वह नकली तो नहीं

राजधानी में मिलने वाले इंजेक्शन की गुणवत्ता पर सवाल, जांच के लिए न तो पर्याप्त साधन हैं और न ही कर्मचारी पटना : बिहार में लिक्विड ड्रग खास तौर पर इंजेक्शन की गुणवत्ता की जांच नहीं हो पा रही है. यही वजह है कि पटना सहित पूरे बिहार में नकली व कम गुणवत्ता वाले इंजेक्शन […]

राजधानी में मिलने वाले इंजेक्शन की गुणवत्ता पर सवाल, जांच के लिए न तो पर्याप्त साधन हैं और न ही कर्मचारी
पटना : बिहार में लिक्विड ड्रग खास तौर पर इंजेक्शन की गुणवत्ता की जांच नहीं हो पा रही है. यही वजह है कि पटना सहित पूरे बिहार में नकली व कम गुणवत्ता वाले इंजेक्शन व दवाओं का बड़ा बाजार तेजी से फूल रहा है. औषधि विभाग की ओर से गठित ऑपरेशन ड्रग माफिया टीम की छापेमारी में नकली व एक्सपायरी दवाएं पकड़ी जा चुकी हैं. इसके बावजूद नकली इंजेक्शन पर रोक नहीं लगायी जा सकी है. सूबे की औषधि जांच प्रयोगशाला में इंजेक्शन की गुणवत्ता की जांच के लिए न तो पर्याप्त साधन है और न ही कर्मचारी.
31 में 26 पद खाली, जांच पर असर : अगमकुआं स्थित राज्य औषधि प्रयोगशाला में दवाओं व इंजेक्शन की गुणवत्ता की जांच के लिए 31 पद सृजित किये गये हैं.
लेकिन, वर्तमान समय में सिर्फ पांच कर्मचारी अस्थायी तौर पर काम कर रहे हैं. इनमें दो टेक्नीशियन, दो डिप्लोमा फार्मेसी, एक पैथोलॉजी डॉक्टर कार्यरत हैं. हालांकि, कुछ माह पहले सात कर्मी आउट सोर्सिंग पर बहाल किये गये हैं. बहाल किये गये कर्मियों में तीन नाइट गार्ड, दो लैब ब्वॉय, एक लाइब्रेरियन और एक स्वीपर हैं. एनालिस्ट नहीं होने के कारण सेवानिवृत्त योगेंद्र प्रसाद सिंह से ड्यूटी करायी जा रही है.
बाजार में पकड़े जा चुके हैं ये इंजेक्शन
पिछले साल ऑपरेशन ड्रग माफिया अभियान के तहत छापेमारी में 12 करोड़ की दवाएं पकड़ी गयी थी. इनमें हेपामर्ज लिवर का इंजेक्शन, डायलोना दर्द निवारक इंजेक्शन, एंटीबायोटिक, इंफ्यूजन, आरएल, डीएनएस 5, डीएनएस 10 इंजेक्शन भारी मात्रा में पकड़ा गया था.
नकली व एक्सपायरी होने के अनुमान पर ड्रग विभाग ने इंजेक्शन पकड़ा था. लेकिन प्रयोगशाला में इंजेक्शन जांच की सुविधा नहीं होने के कारण इन्हें कोलकाता स्थित सेंट्रल ड्रग लेबोरेटरी में जांच के लिए भेजा गया है.
इंजेक्शन जांच करने वाली मशीनें खराब : औषधि प्रयोगशाला में दवाओं के सैंपल की जांच की जाती है. लेकिन इंजेक्शन की जांच नहीं हो पाती है. क्योंकि इंजेक्शन जांच के लिए एचपीएलसी और लैमिनर फ्लो मशीन जर्जर हो चुकी हैं. खासकर लैमिनर फ्लो मशीन खराब होने के कारण इंजेक्शन जांच सुविधा ठप है.
एक जांच में दो दिन, कैसे हो काम
विभागीय सूत्रों के अनुसार राज्य के लैब में एक दवा की जांच में दो दिन लग जाता है, ऐसे में सभी जिलों से आनेवाली दवा की जांच में काफी कठिनाई होती है. राज्य में सौंदर्य प्रसाधनों की भी जांच होनी थी, पर फिलहाल इसकी व्यवस्था नहीं है.
इन्होंने की है लिखित शिकायत
इस मामले की शिकायत करने वाले गुड्डू बाबा कहते हैं, वर्तमान समय में प्रयोगशाला में जो कर्मचारी काम कर रहे हैं उनके पास सही मायने में लेबोरेटरी के लिए योग्यता और अनुभव नहीं है. जबकि छापेमारी में भारी मात्रा में नकली दवाएं पकड़ी जा चुकी हैं.
वहीं इंजेक्शन जांच की सुविधा नहीं होने से बाजार में मिलने वाले इंजेक्शन की क्वालिटी पर सवाल खड़े हो गये हैं. इसको देखते हुए हमने स्वास्थ्य विभाग, औषधि विभाग आदि जिम्मेदार अधिकारियों को लिखित में शिकायत दर्ज करायी है. अगर जरूरी उपकरण व खाली पड़े पदों पर अनुभवी कर्मचारियों की बहाली नहीं हुई तो धरना प्रदर्शन किया जायेगा.

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