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आठ जिलों में नहीं है एक भी गोदाम

अनाज के भंडारण में हो रही परेशानी पटना : राज्य में भंडारण क्षमता की कमी के कारण अनाज के उठाव में परेशानी हो रही है. राज्य में फिलहाल तीन लाख 22 हजार मीटरिक टन अनाज की प्रति माह जरूरत है. यदि बीपीएल सूची में 20 लाख छूटे लोगों को लाभुकों की सूची में शामिल कर […]

अनाज के भंडारण में हो रही परेशानी

पटना : राज्य में भंडारण क्षमता की कमी के कारण अनाज के उठाव में परेशानी हो रही है. राज्य में फिलहाल तीन लाख 22 हजार मीटरिक टन अनाज की प्रति माह जरूरत है. यदि बीपीएल सूची में 20 लाख छूटे लोगों को लाभुकों की सूची में शामिल कर दिया जाये, तो डेढ़ लाख मीटरिक टन की अतिरिक्त अनाज की आवश्यकता होगी.

छह माह का भंडारण जरूरी : प्रति माह समय पर लोगों को अनाज मिले इसके लिए छह माह के अनाज की भंडारण का प्रावधान है, पर राज्य में आवश्यकता से कम भंडारण क्षमता के कारण पीडीएस दुकानों को समय पर अनाज उपलब्ध नहीं हो रहा है. विभागीय अधिकारी ने बताया कि बिहार में एफसीआइ को कम-से-कम 30 लाख मीटरिक टन क्षमता का गोदाम चाहिए, पर मात्र छह लाख मीटरिक टन क्षमता के ही हैं. एफसीआइ का बिहार के आठ जिलों में कोई गोदाम ही नहीं है. आठ जिलों में गोदाम है भी, तो काफी कम भंडारण क्षमता का. ऐसे में उन जिलों में अनाज उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार को एक बार के बजाय कई दफे भंडारण के लिए खर्च करना पड़ता है.

इसमें समय भी अधिक लगता है. विभाग के अधिकारी ने बताया कि राज्य में एफसीआइ के गोदामों की क्षमता विभिन्न जिलों में समान रूप से नहीं है. पटना, गया, पूर्णिया और सहरसा में ही तीन लाख 63 हजार मीटरिक टन भंडारण क्षमता है. अन्य जिलों में एक लाख 80 हजार मीटरिक टन ही क्षमता है. ऐसे में अनाज की उपलब्धता समय पर नहीं हो पाती है. यही वजह है कि उठाव के लिए बार-बार अवधि विस्तार लेना पड़ता है.

एसएफसी को भी दिक्कत : बिहार के राज्य खाद्य निगम की भंडारण क्षमता एक लाख 35 हजार मीटरिक टन है. निगम को मासिक और तदर्थ आवंटन 14.03 मीटरिक टन है. ऐसे में निगम को भी अपनी भंडारण क्षमता की कमी का रोना है. खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग के अधिकारी ने बताया कि बड़ी संख्या में गोदाम का निर्माण हो रहा है.

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