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पटना : फिर नकद में लौटने लगा लेन-देन, 40 फीसदी घटा कैशलेस ट्रांजेक्शन
सुबोध नंदन पटना : नोटबंदी के बाद डिजिटल पेमेंट स्कीम को अच्छा रिस्पांस मिला था. आम लोगों में डिजिटल पेमेंट करने की आदत-सी हो गयी थी. छोटी दुकान से लेकर बड़े शोरूम में खरीदारी के बाद लोग कार्ड से भुगतान करते थे, लेकिन अब फिर से लोगों ने कार्ड से पेमेंट की बजाय कैश का […]
सुबोध नंदन
पटना : नोटबंदी के बाद डिजिटल पेमेंट स्कीम को अच्छा रिस्पांस मिला था. आम लोगों में डिजिटल पेमेंट करने की आदत-सी हो गयी थी. छोटी दुकान से लेकर बड़े शोरूम में खरीदारी के बाद लोग कार्ड से भुगतान करते थे, लेकिन अब फिर से लोगों ने कार्ड से पेमेंट की बजाय कैश का उपयोग करना शुरू कर दिया है.
इसका मुख्य कारण हाल के दिनों में कई लोगों के साथ ऑनलाइन पेमेंट के दौरान गड़बड़ी और कई लोगों के अकाउंट को हैक कर पैसे निकालने का भी मामला सामने आना माना जा रहा है. जानकारी के अनुसार दुकानदार भी ऑनलाइन की बजाय कैश पेमेंट को तरजीह देने लगे हैं. एक अनुमान के अनुसार अब राजधानी में 60% से अधिक लोग कैश पेमेंट करना पसंद कर रहे हैं.
कार्ड से पेमेंट में आने लगी है परेशानी
बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष पीके अग्रवाल कहते हैं कि नोटबंदी के दौरान ऑनलाइन ट्रांजेक्शन का जो माहौल बना था, अब वह कम हो गया है. इसके पीछे दुकानदारों से लिया जाने वाला चार्ज आैर बाजार में कैश की उपलब्धता होना भी है. लेन-देन में पारदर्शिता हो, इसलिए लोगों को डिजिटल पेमेंट को तवज्जो देना चाहिए.
महावीर खादी भंडार के सिद्धार्थ जैन कहते हैं कि कारोबारियों के साथ-साथ ग्राहकों को भी कार्ड से पेमेंट में परेशानी आनी लगी है. इसी वजह से इसका उपयोग कम होता जा रहा है. पिछले दो-तीन माह से इसमें काफी कमी अायी है. पहले एक दिन में 20 से 25 लोग कार्ड से पेमेंट करते थे. अब आठ से दस लोग की कार्ड से पेमेंट करना पसंद करते हैं.
2016 के अंत में नोटबंदी के बाद बाजार में बने कैश संकट को देखते हुए कैशलेस ट्रांजेक्शन पर अधिक जोर दिया गया था. अब बाजार में पर्याप्त कैश होने के कारण लोग और दुकानदार इनसे दूर होते दिख रहे हैं.
डिजिटल पेमेंट में आयी गिरावट का सबसे बड़ा कारण बैंकों की ओर से लिया जाने वाला चार्ज का माना जा रहा है. शुल्क के कारण दुकानदार स्वाइप ट्रांजेक्शन से कतराते हैं. वैसे कुछ जानकारों की मानें तो दुकानदारों के डिजिटल पेमेंट से बचने का मुख्य कारण यह है कि डिजिटल पेमेंट के कारण उनके हर लेन-देन का पूरा आंकड़ा आयकर विभाग के पास चला जाता है. इसलिए दुकानदार कैश में भुगतान ले रहे हैं. नोटबंदी के बाद स्वाइप मशीन खरीदने के लिए हर माह 1500 से अधिक आवेदन बैंकों के पास आते थे, लेकिन धीरे-धीरेे यह सिलसिला थम सा गया है. बैंक अधिकारियों की मानें तो अब महीने में एक-दो आवेदन मुश्किल से आ पाते हैं.
पेट्रोल कार्ड के ग्राहक को भी झटका
डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के मकसद से पेट्रोल कंपनियां पेट्रोल-डीजल खरीदने पर पेमेंट कार्ड से किये जाने पर 0.75 फीसदी छूट दी जा रही थी. यह छूट कैश बैक के जरिये दी जा रही थी, लेकिन नये फैसले के तहत अब 0.25 फीसदी ही छूट मिलेगी. 0.75 फीसदी छूट से पेट्रोल पर 57 पैसे और डीजल पर 50 पैसे की छूट थी. अब यह छूट 19 पैसे पेट्रोल पर और डीजल पर 17 पैसे है.
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