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पटना : ढाई किलो वजन और एक माह से कम उम्र के नवजात के साथ न करें विमान यात्रा
पटना : विमान में सात दिन या उससे अधिक उम्र के नवजात को लेकर उड़ने की अनुमति है. इसके बावजूद एक माह से कम उम्र के नवजात को लेकर आसमान में नहीं उड़े वर्ना बच्चे को उड़ान के दौरान परेशानी हो सकती है और पिछले मंगलवार को इंडिगो एयरलाइंस के बेंगलुरु पटना फ्लाइट में हुए […]
पटना : विमान में सात दिन या उससे अधिक उम्र के नवजात को लेकर उड़ने की अनुमति है. इसके बावजूद एक माह से कम उम्र के नवजात को लेकर आसमान में नहीं उड़े वर्ना बच्चे को उड़ान के दौरान परेशानी हो सकती है और पिछले मंगलवार को इंडिगो एयरलाइंस के बेंगलुरु पटना फ्लाइट में हुए चार माह के बच्चे की मौत जैसा हादसा दोहरा सकता है.
एक माह से अधिक उम्र होने के बावजूद भी बच्चों को हवाई सैर तभी कराएं, जब उसे हृदय और फेफड़ा से संबंधित कोई समस्या नहीं हो अन्यथा अधिक ऊंचाई पर हवा के विरल होने से नवजात शिशु को सांस की समस्या हो सकती है. यदि बच्चे का जन्म समय से पूर्व (प्री मेच्योर्ड) हो तो उसे एक माह की उम्र के बाद भी तब तक विमान से सैर नहीं कराना चाहिए, जब तक बच्चे का वजन 2.5 किलो या उससे अधिक नहीं हो जाये और उसका स्वास्थ्य पूरी तरह ठीक नहीं दिखे.
35 से 38 हजार फुट की ऊंचाई पर होती है समस्या
बोईंग 737 और एयरबस 320 जैसे विमान 35 से 38 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ते हैं. इस ऊंचाई पर हवा का घनत्व घटने से वायुमंडलीय दबाव काफी घट जाता है. इसकी वजह से कभी-कभी विमान के भीतर का एयर प्रेशर भी घट जाता है, जिससे सांस लेने में परेशानी होने लगती है या कान बंद हो जाता है.
थोड़े देर के लिए होने वाली इस परेशानी को तो बड़े झेल लेते हैं, लेकिन यदि छोटे बच्चे को फेफड़ा या हृदय की कमजोरी की वजह से पहले से सांस लेने में परेशानी हो तो उसके लिए इसे झेलना मुश्किल होता है. ऐसे में ऑक्सीजन की कमी से बच्चे की मौत हो सकती है जैसा कि मंगलवार को बेंगलुरु से पटना आ रही इंडिगो की फ्लाइट में हुआ.
एक पंक्ति में एक से अधिक नवजात नहीं ले जातीं एयरलाइंस कंपनियां
विमान के एक रो में एक से अधिक नवजात (दो वर्ष से कम उम्र के बच्चे ) एयरलाइंस नहीं ले जाते है. इसकी वजह है कि नवजातों के लिए एयरलाइंस को अलग से आॅक्सीजन मास्क की व्यवस्था करनी पड़ती है.
इससे विमान का वजन बढ़ता है, इसलिए एयरलाइंस सीमित संख्या में ही नवजातों को ले जाने की व्यवस्था रखती है. विमानों के किस्म और एयरलाइंस की नीति के अनुरूप यह संख्या घटती-बढ़ती है. एटीआर एयरक्राफ्ट अधिकतम चार नवजातों को ले जा सकते हैं जबकि बोईंग 737 और एयरबस के अलग-अलग मॉडल नौ से 12 नवजात शिशुओं को ले जा सकते हैं.
टेकऑफ व लैंडिंग पर पिलाएं दूध
टेकऑफ और लैंडिंग के समय बच्चों को दूध पिलाएं. इस समय एयर प्रेशर का तेजी से अंतर होता है, जिसे झेलने में शिशु को परेशानी होती है. दूघ पिलाते रहने से यह परेशानी बहुत हद तक घट जाती है. एक महीने से कम उम्र के बच्चों के साथ यात्रा करने पर बच्चे के शरीर को गर्म रखने पर ध्यान दें, क्योंकि एसी के कारण शरीर ठंढा पड़ने का खतरा रहता है. कार्डियक प्रॉब्लम आैर सीवियर निमोनिया से ग्रस्त बच्चे को लेकर नहीं चलें. बैचेनी या शरीर का रंग नीला पड़ने पर तुरंत आॅक्सीजन सपोर्ट दें.
—डॉ एनपी नारायण, प्रो व पूर्व विभागाध्यक्ष, शिशु रोग विभाग, पीएमसीएच
एयरलाइंस विमान का प्रकार नवजातों की सीट
जेट एयरवेज बोईंग 737 10
जेट एयरवेज एटीआर 4
स्पाइसजेट बोईंग 737 10
एयर इंडिया एयरबस 319 9
एयर इंडिया एयरबस 320 11
गो एयर एयरबस 320 10
इंडिगो एयरबस 320 12
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