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बिहार के बालिका गृह ही नहीं, बाल गृहों में भी होता था यौनशोषण

कृष्‍ण कुमार पटना : प्रदेश में केवल मुजफ्फरपुर बालिका गृह ही नहीं बल्कि कई बाल गृहों में भी यौनशोषण और अन्य अनियमितताएं धड़ल्ले से होती थीं. इसका खुलासा टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेस (टिस) के सामाजिक अंकेक्षण (सोशल ऑडिट) में हुआ है. इसमें मोतिहारी, भागलपुर, मुंगेर और गया में समाज कल्याण विभाग के अंतर्गत स्वयंसेवी […]

कृष्‍ण कुमार

पटना : प्रदेश में केवल मुजफ्फरपुर बालिका गृह ही नहीं बल्कि कई बाल गृहों में भी यौनशोषण और अन्य अनियमितताएं धड़ल्ले से होती थीं. इसका खुलासा टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेस (टिस) के सामाजिक अंकेक्षण (सोशल ऑडिट) में हुआ है.

इसमें मोतिहारी, भागलपुर, मुंगेर और गया में समाज कल्याण विभाग के अंतर्गत स्वयंसेवी संस्थाओं के माध्यम से संचालित बालगृह शामिल हैं. इन सभी जगहों पर विभाग और सीआ‌‌ईडी के निर्देश पर मामला दर्ज कर कार्रवाई की जा रही है. समाज कल्याण विभाग के अंतर्गत स्वयंसेवी संस्थाओं के माध्यम से संचालित प्रदेश के बाल और बालिका गृहों की सोशल ऑडिट कराने के लिए टिस, मुंबई की कोशिश टीम का चयन किया गया. इसी टीम ने मुजफ्फरपुर बालिका गृह में यौन उत्पीड़न की घटना को उजागर किया. साथ ही गया, मुंगेर, भागलपुर व मोतिहारी के बाल गृहों में बच्चों के साथ मारपीट और हिंसा की घटनाओं का उल्लेख किया.

मोतिहारी में यौनशोषण : मोतिहारी में ब्वॉयज चिल्ड्रेन होम्स का संचालन निर्देश संस्था कर रही थी. यहां रहने वाले लड़कों ने गृह संचालक पर मारपीट और यौनशोषण का आरोप लगाया. इस संबंध में समाज कल्याण विभाग और सीआईडी के निर्देश पर मोतिहारी जिले के छतौनी में दो जून, 2018 को जेजे एक्ट और पॉक्सो एक्ट में मामला दर्ज किया गया. यहां के गृह संचालक श्याम बाबू सिंह को निष्कासित कर दिया गया है. उनकी गिरफ्तारी का प्रयास किया जा रहा है.

गया में भी सामने आया मामला

गया जिला ब्वॉयज चिल्ड्रेन होम, गया डीओआरडी की ओर से संचालित है. वहां के अधिकारियों पर बच्चों को हमेशा ताला बंद कर रखने और महिला स्टाफ द्वारा बच्चों से जबरन काम कराने का आरोप लगाया गया. इस संबंध में प्राथमिकी दर्ज की गयी है.

मुंगेर में भी अनियमितताएं

मुंगेर का बाल गृह ब्वॉयज चिल्ड्रेन होम संस्था की ओर से संचालित था. बच्चों ने संस्था के अधिकारियों पर जबरन काम कराने, खाना बनाने, सफाई कराने आदि का आरोप लगाया था. इस संबंध में समाज कल्याण विभाग और सीआईडी के निर्देश पर मुंगेर कोतवाली में 23 जुलाई को जेजे एक्ट में मामला दर्ज किया गया.

टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेस की सामाजिक अंकेक्षण रिपोर्ट से हुआ है खुलासा

ऐसी घटनाओं को रोकने के होंगे पुख्ता उपाय
समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सोशल ऑडिट की समीक्षा की स्थायी व्यवस्था के लिए मानक प्रक्रिया और मानक मापदंड यूनिसेफ और टिस के सहयोग से विकसित किये जा रहे हैं. सभी बालिका और बाल गृहों की सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करने का निर्देश दिया गया है. इसके तहत बालिका और बाल गृहों में सुरक्षा के लिए किन्नर समुदाय को नियुक्त करने का निर्देश दिया गया है. सोशल ऑडिट में पायी गयी खामियों की समीक्षा विशेषज्ञों की टीम से करवा कर उसे दूर किया जायेगा और पुख्ता व्यवस्था की जायेगी.

भागलपुर में सामने आया मामला
भागलपुर में ब्वॉयज चिल्ड्रेन होम रूपम प्रगति समाज समिति की ओर से संचालित थी. वहां के बच्चों ने जांच के क्रम में अधिकारियों पर दुर्व्यवहार का आरोप लगाया. इस संबंध में भागलपुर औद्योगिक थाने में 18 जुलाई, 2018 को जेजे एक्ट में मामला दर्ज कर जांच शुरू की गयी. जिन कर्मियों पर बच्चों ने आरोप लगाया था, उन सभी को वहां से हटाया जा चुका है.

बाल और बालिका गृहों की जरूरत क्यों
प्रदेश सरकार का समाज कल्याण विभाग अनाथ, बेसहारा, सड़क पर रहने वाले बच्चे और बालू मजदूरी या मानव व्यापार से मुक्त कराये गये बच्चों के संरक्षण के लिए काम करता है. इन बच्चों के लिए विभिन्न जिलों में छह से 18 साल के आयु वर्ग के बालक व बालिकाओं के लिए बाल गृह संचालित किये जा रहे हैं. इन बाल गृहों का संचालन राज्य सरकार की ओर से स्वयं और स्वयंसेवी संस्थाओं के माध्यम से किया जा रहा है. बाल गृहों के संचालन के लिए सरकार द्वारा स्वयंसेवी संस्थाओं को कुल निर्धारित बजट का 90 फीसदी अनुदान के रूप में दिया जाता है. स्वयंसेवी संस्थाओं का चयन राज्य सरकार की ओर से निविदा प्रकाशित कर किया जाता है.

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