पटना सिटी : मॉनूसन के दस्तक देने के हुई बारिश ने सब्जी की खेती करने वाले किसानों के चेहरे पर रौनक ला दी है. तेज धूप से सब्जी की फसल झुलस गयी थी. हालांकि, माॅनसून ने वर्ष भर पालक व लाल साग की खेती करने वाले किसानों के चेहरे को मलिन कर दिया है. दरअसल […]
पटना सिटी : मॉनूसन के दस्तक देने के हुई बारिश ने सब्जी की खेती करने वाले किसानों के चेहरे पर रौनक ला दी है. तेज धूप से सब्जी की फसल झुलस गयी थी. हालांकि, माॅनसून ने वर्ष भर पालक व लाल साग की खेती करने वाले किसानों के चेहरे को मलिन कर दिया है.
दरअसल साग की खेती करने वाले किसानों का कहना है कि बारिश से पालक के पत्ते को नुकसान होगा, जबकि लाल साग में नीचे के पत्ते में फफूंदी लग सकती है. किसानों की मानें, तो बारिश से नेनुआ, कद्दू, खीरा, भिंडी आदि हरी सब्जियों की के फसलों को फायदा पहुंचेगा क्योंकि गर्मी व तीखी धूप में सब्जी के लत्तर झुलस गये थे. जल्ला के महुली, सोनामा, कोठिया, सबलपुर, धवलपुरा, रानीपुर, नगला, मरचा-मरची आदि गांवों में किसानों की ओर से सब्जी की खेती की जाती है.
मौसम के बदलते िमजाज से िकसानों को राहत : दानापुर. पिछले दो दिनों से मौसम के बदलते मिजाज से किसानों को थोड़ी राहत मिली है. हल्की बारिश से तापमान में गिरावट आयी है. खेतों में नमी आ गयी है. प्रखंड की विभिन्न पंचायतों में हल्की बारिश से खेतों में लगी सब्जियों में जान आ गयी है. किसानों का मानना है कि हल्की बारिश से सब्जियों को फायदा होगा. किसानश्री अमरजीत सिन्हा ने बताया कि हल्की बारिश से धान के बिचड़े व सब्जियों के फसल पर प्रभाव पड़ा है. उन्होंने बताया कि लगातार बारिश हुई, तो किसान एक सप्ताह के अंदर धान की रोपनी शुरू कर देंगे. अधिक बारिश होने पर सब्जियों की फसल के बर्बाद होने की आशंका है.
प्रखंड कृषि पदाधिकारी वीरेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि हल्की बारिश से खेतों में लगी सब्जियों के फसलों में नमी आयी है. उन्होंने बताया कि अगर इसी तरह बारिश हुई, तो सब्जी की पैदावार बढ़ेगी. उन्होंने बताया कि बारिश में सब्जियों की फसल में कोई रोग नहीं लगेगा.
बारिश अधिक होने से सब्जियों को होगा नुकसान
दो माह की अवधि में तैयार होता है साग
किसान मनोहर लाल ने बताया कि जल्ला के किसानों में पालक व लाल साग की खेती के प्रति झुकाव बढ़ा है क्योंकि बीज रोपने के दो माह बाद ही फसल तैयार हो जाती है. इस परिस्थिति में गर्मी व ठंड के मौसम वाली साग के बीज का इस्तेमाल कर किसान साग की खेती करते हैं, लेकिन बरसात के पानी से पालक के पत्ते फट जाते हैं, जबकि लाल पत्ते में फफूंदी लग जाती है. हालांकि, अगस्त-सितंबर माह में रोपा जाने वाला साग फायेदेमंद होता है. किसानों ने बताया कि 20 से 25 बीघा में गर्मी मौसम वाले साग की खेती की जा रही है.