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हुआ चांद का दीदार, आज से करेंगे रमजान का इफ्तार

पटना : बुधवार को रमजानुल मुबारक का चांद दिखा. इमारत-ए-शरिया एवं खानकाह मुजीबिया, फुलवारीशरीफ ने कर्नाटक, चेन्नई, असम एवं बेंगलुरु में चांद देखे जाने की तस्दीक की है. इसके साथ ही तरावीह की शुरू हो गयी. रमजान का पहला इफ्तार गुरुवार की शाम छह बज कर 28 पर खोला जायेगा. इस बार 15 घंटे 35 […]

पटना : बुधवार को रमजानुल मुबारक का चांद दिखा. इमारत-ए-शरिया एवं खानकाह मुजीबिया, फुलवारीशरीफ ने कर्नाटक, चेन्नई, असम एवं बेंगलुरु में चांद देखे जाने की तस्दीक की है. इसके साथ ही तरावीह की शुरू हो गयी.
रमजान का पहला इफ्तार गुरुवार की शाम छह बज कर 28 पर खोला जायेगा. इस बार 15 घंटे 35 मिनट का रोजा होगा. आखिरी रोजा 15 घंटे 42 मिनट का होगा. चांद देखे जाने की खबर की बाद लोगों ने एक-दूसरे को मुबारकबाद दी. इसके बाद लोग सहरी में खाने के लिए बाजारों में उमड़ पड़े. लोगों ने सहरी के लिए खाने-पीने का सामान खरीदा. रमजान के पूरे एक माह में कुल पांच जुमे पड़ सकते हैं. 15 जून को अलविदा जुमे की नमाज अदा की जायेगी.
पहला रोजा खोलने का वक्त शाम 6:28 बजे
सजदे में झुकेंगे सिर खुशियों में घुली मिठास
एक साल के बाद बुधवार को रमजानुल मुबारक मौका आया, तो खुशियों की चमक से कोना-कोना खिल उठा. सभी लोग एक-दूसरे को मुबारकबाद देने लगे. सभी मस्जिदों एवं कमेटी हॉलों में तरावीह की नमाज अदा की गयी.
गुरुवार से खुशनुमा माहौल में मस्जिदें भी गुलजार होंगी. अपने खास लिबास में बड़ों के साथ बच्चों की टोलियां भी नमाज अदा करने पहुंचेंगे. रमजान में महीने भर इबादत से लोग जहां बुराइयाें से बचेंगे, वहीं इसका अच्छा असर फल बाजार से लेकर कपड़े की दुकान पर भी पड़ेगा.
रमजान में पड़ सकते हैं पांच जुमे
रमजान के आगाज के साथ ही लोग पूरे रोजे रखने की तैयारी में जुट गये हैं. इस बार रमजान के महीने में पांच जुमे पड़ सकते हैं. रमजान में आखिरी जुमा का खास महत्व है. अलविदा जुमा 15 जून को पड़ सकता है.नगर के मस्जिदों एवं कमेटी हॉलों में मर्द और औरतों की तरावीह की नमाज शुरू हो गयी.
नेकी और इबादत का महीना है रमजान
फुलवारीशरीफ : भारत में कई संस्कृतियों का मेल है. सभी संस्कृतियों की अपनी-अपनी मान्यताएं हैं, लेकिन सभी का मकसद प्रेम और करुणा है. बस निभाने का तरीका अलग-अलग है. इसलिए भारत में कई त्योहार मनाये जाते हैं. रमजान का भी अपना महत्व है. रमजान के महीने में अल्ला ने अपने बंदे को कुरान-ए-शरीफ से नवाजा है.
रमजान की सबसे बड़ी इबादत रोजा रखना है. दूसरी सबसे बड़ी इबादत तरावीह है. तरावीह में कुरान की तिलावत होती है. इस्लाम में रमजान महीने में रोजे के बाद तरावीह सबसे बड़ी इबादत है.
रमजान पर रोजे रखना इसलिए फर्ज किया गया है ताकि लोगों के गुनाह छूट जाएं. रोजा से इंसान और अल्ला से बीच की दूरी खत्म होती है. रोजा हमारे पूरे जिस्म का होता है. आंख, दिल, दिमाग, हाथ, पैर और मुंह का. दिमाग कुछ गलत नहीं सोच रहा, तो रोजा है. मुंह से कुछ गलत नहीं कह रहे हैं या निगल नहीं रहे हैं, तो रोजा है.
रमजान के महीने को नेकी और इबादत का महीना भी कहा जाता है. रमजान के शुरुआती 10 दिन रहमतों का दौर माना जाता है तो इससे अगले 10 दिनों तक माफी का दौर होता है और आखिरी 10 दिनों को जहन्नुम से बचने का दौर कहा जाता है.
सहरी में सूरज के निकलने से डेढ़ घंटे पहले उठना होता है और कुछ खाने के बाद ही रोजा शुरू होता है. शाम को सूरज डूबने के कुछ समय के अंतराल के बाद रोजा खोला जाता है. रात में तरावीह की नमाज अदा की जाती है. रमजान में दान यानी जकात का बड़ा महत्व बताया गया है. पांच साल के छोटे बच्चे को रोजा रखने मनाही है. बुजुर्ग व्यक्तियों को रोजा में छूट मिलती है. अगर कोई बीमार है, तो रोजा खोल सकता है.

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