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बिहार : पटना की दवा दुकान पर जेनेरिक की जगह सिर्फ ब्रांडेड दवाएं
पटना : सस्ती जेनेरिक दवा की योजना राजधानी में पूरी तरह से फेल नजर आ रहा है. यहां के सभी मेडिकल स्टोर पर महंगे ब्रांड की दवाएं मरीजों को धड़ल्ले बेची जा रही है. यहां तक कि जन औषधि केंद्र में भी जेनेरिक की जगह ब्रांडेड दवाएं ही बेचने का कारोबार चल रहा है. स्वास्थ्य […]
पटना : सस्ती जेनेरिक दवा की योजना राजधानी में पूरी तरह से फेल नजर आ रहा है. यहां के सभी मेडिकल स्टोर पर महंगे ब्रांड की दवाएं मरीजों को धड़ल्ले बेची जा रही है. यहां तक कि जन औषधि केंद्र में भी जेनेरिक की जगह ब्रांडेड दवाएं ही बेचने का कारोबार चल रहा है. स्वास्थ्य विभाग की अनदेखी का नतीजा है कि मरीजों को मेडिकल स्टोर्स से अधिक कीमत पर ब्रांड नेम वाली दवा खरीदनी पड़ रही है.
पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल परिसर में संचालित दो दवा दुकानों में जेनरिक दवाएं रखने का आदेश है, लेकिन वहां स्टॉक सीमित है. नतीजा वहां भी महंगे दामों वाली ब्रांडेड दवाएं ही मरीजों को बेची जा रही है. बिहार में कितनी जेनेरिक दवाएं हैं इसकी जानकारी मरीजों व आम लोगों को अभी तक नहीं मिल पायी है. जेनेरिक दवाओं के बदले बिहार में सबसे अधिक ब्रांडेड दवाएं ही बिकती हैं.
उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश के बाद सबसे अधिक बिहार में ही ब्रांडेड नेम की दवाओं का खपत हो रहा है. जिसका पूरा फायदा डॉक्टर, दवा कंपनी और दवा व्यापारी मिल कर उठा रहे हैं. पूरे बिहार में प्रत्येक महीने अकेले 500 करोड़ रुपये का कारोबार किया जाता है.
जबकि अकेले पटना में प्रत्येक महीने 250 करोड़ रुपये की ब्रांडेड दवाओं का कारोबार होता है. यह खुलासा दवा एसोसिएशन की ओरसे दिये गये आंकड़ों में भी किया जा चुका है.
दवा की कीमत में 10 गुना तक का अंतर : आम लोगों को सस्ती दवा मिले, इसके लिए शासन जेनरिक दवाइयों को बढ़ावा दे रहा है. डेढ़ साल पहले प्रचार-प्रसार किया गया, लेकिन योजनाबद्ध तरीके से काम नहीं हुआ. इस वजह से लोगों को फायदा नहीं हो रहा है. मेडिकल स्टोर में जेनेरिक के नाम पर जो ब्रांड नेम वाली दवाइयां बेची जा रही हैं, वे उपलब्ध ब्रांडेड दवा से भी महंगी हैं.
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