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पटना : रेसिडेंसियल कैंपस में चल रहे निजी स्कूल
अनदेखी. सीबीएसई के नियमों को ताक पर रख कर शहर में संचालित हो रहे कई प्राइवेट स्कूल पटना : केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के नियम व प्रावधानों के बावजूद राजधानी के विभिन्न हिस्सों में कई स्कूलों का रेसिडेंसियल कैंपस में संचालन किया जा रहा है. स्कूलों में बोर्ड द्वारा निर्धारित मानकों का पूरी तरह […]
अनदेखी. सीबीएसई के नियमों को ताक पर रख कर शहर में संचालित हो रहे कई प्राइवेट स्कूल
पटना : केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के नियम व प्रावधानों के बावजूद राजधानी के विभिन्न हिस्सों में कई स्कूलों का रेसिडेंसियल कैंपस में संचालन किया जा रहा है. स्कूलों में बोर्ड द्वारा निर्धारित मानकों का पूरी तरह पालन नहीं किया जाता. प्रावधानों के मुताबिक शहरी क्षेत्र में कम से कम एक एकड़ भूखंड पर स्कूल होना चाहिए.
लेकिन रेसिडेंसियल कॉलोनियों में स्थित भवनों में स्कूल चलाये जा रहे हैं. ये स्कूल अधिकांशत: श्रीकृष्णापुरी, पुनाईचक, पाटलिपुत्रा कॉलोनी व राजीव नगर इलाके में स्थित हैं. शहर में बोर्ड का क्षेत्रीय कार्यालय भी है. आये दिन बोर्ड के अधिकारी व कर्मचारी भी आसपास की सड़कों से गुजरते हैं.
सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल : इन स्कूलों में सुरक्षा की समुचित व्यवस्था को लेकर भी सवाल उठाये जाते हैं. बताया जाता है कि सुरक्षा के नाम पर सिक्यूरिटी गार्ड की तैनाती तो है, लेकिन सीसीटीवी कैमरे आदि की समुचित व्यवस्था नहीं है. इसके अलावा सुरक्षा को ध्यान में रख कर खासा प्रबंध नहीं किया गया है. स्कूलों की बाउंड्री भी अधिक ऊंची नहीं है.
टुकड़े-टुकड़े स्कूल
दरअसल रेसिडेंसियल कॉलोनियों में संचालित ये स्कूल, यहां के नामचीन स्कूलों की प्राइमरी शाखाएं हैं, वह भी किसी एक भवन में नहीं चलते. विद्यार्थियों की संख्या अधिक होने के कारण प्राइमरी सेक्शन (यूकेजी से पांचवीं क्लास तक) की कक्षाएं भी अलग-अलग भवनों में संचालित होती हैं.
स्थिति यह है कि एलकेजी व यूकेजी की क्लास एक भवन में चलती है, तो पहली व दूसरी क्लास के लिए अन्य भवन है. वह भी कुछ दूरी पर. इस तरह अलग-अलग भवन में पांचवीं तक की क्लास चलती है. बच्चे जब अगली क्लास में प्रमोट होते हैं, तो उनके स्कूल का भवन व पता भी बदल जाता है. इसके अलावा टुकड़ों में बंटे इन स्कूलों के कार्यालय भी अलग-अलग हैं. इस कारण कार्यालय से संबंधित कार्य के लिए अभिभावकों को वहां जाना पड़ता है.
पानी-शौचालय भी समुचित नहीं
बताया जाता है कि ये स्कूल सीबीएसई व सीआइएससीई से संबद्ध स्कूलों की ही शाखाएं हैं, लेकिन आधारभूत संरचना स्कूल जैसी नहीं है. घर की तरह निर्माण कराया गया है. जहां प्रकाश-पानी की समुचित व्यवस्था नहीं है. बोर्ड के नियमों के मुताबिक छात्र संख्या को ध्यान में रख कर पेयजल व शौचालय की व्यवस्था होनी चाहिए.
क्लास रूम का आकार व क्षमता भी मानक के अनुसार नहीं है. यहां तक कि इन भवनों में बने गैरेज को भी क्लास रूम का रूप दे दिया गया है. जबकि क्लास रूम का आकार, विद्यार्थियों के बैठने की क्षमता आदि किसी भी बोर्ड के द्वारा निर्धारित होता है. विद्यार्थियों की संख्या के अनुसार पेयजल व शौचालय व अन्य सुविधाओं का भौतिक सत्यापन करने के पश्चात ही स्कूल को संबद्धता प्रदान की जाती है.
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