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पटना प्रभात खबर कार्यालय में झारखंड के मंत्री सरयू राय ने कहा, पर्यावरण को ध्यान में रखकर हो विकास

दुनिया के प्रदूषित शहरों की डब्ल्यूएचओ की सूची में बिहार के तीन शहरों पटना, मुजफ्फरपुर व गया को शामिल होने पर सरयू राय ने कहा कि पटना में शहर से गंगा दूर होती जा रही है. अब गंगा किनारे भवन निर्माण हो रहा है और पाथ-वे बन रहा है. नदियों की पेटी में ईंट-भट्ठे तक […]

दुनिया के प्रदूषित शहरों की डब्ल्यूएचओ की सूची में बिहार के तीन शहरों पटना, मुजफ्फरपुर व गया को शामिल होने पर सरयू राय ने कहा कि पटना में शहर से गंगा दूर होती जा रही है. अब गंगा किनारे भवन निर्माण हो रहा है और पाथ-वे बन रहा है. नदियों की पेटी में ईंट-भट्ठे तक खोले जा रहे हैं. बेतरतीब निर्माण का यही हाल अन्य जगह भी है.
उनसे निकलने वाले धूलकण वायुमंडल में शामिल होकर इसे प्रदूषित कर रहे हैं. ऐसे में सरकार को ऐसे नियम बनाना चाहिए जिससे विकास के साथ पर्यावरण संतुलन भी हो सके.
पर्यावरण के अनुकूल बने बजट: उन्होंने कहा कि राज्य का बजट बनाते समय पर्यावरण संरक्षण का खास ध्यान रखना चाहिए और इसे सभी विभागों में शामिल करना चाहिए. खासकर कृषि व खाद्यान्न उत्पादन को प्राथमिकता देनी चाहिए. झारखंड में पेड़-पौधों की संख्या अधिक होने के कारण वहां की सरकार को ग्रीन बजट बनाने का सुझाव दिया था.
यह मिट्टी की उर्वरता आदि के लिए उपयोगी है. सरकारी बजट का विकास तो हो रहा है, लेकिन आम लोगों का विकास नहीं हो रहा, इस पर ध्यान देना चाहिए. यदि हमारे शरीर का तापमान सामान्य से एक-दो डिग्री बढ़ जाता है तो इसे बुखार कहते हैं और हम बेचैन हो जाते हैं. ऐसे में ग्लाेबल वार्मिंग के कारण यदि पृथ्वी का तापमान एक-दो डिग्री भी बढ़ जाये तो क्या होगा? धरती के इस बुखार को रोकने के लिए जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग पर काम करने की जरूरत है.
नदी बेसिन योजना पर हो काम: गंगा सहित सभी बड़ी-छोटी नदियों में बढ़ती गाद की समस्या पर सरयू राय ने चिंता जाहिर की. उन्होंने कहा कि इसी अंदेशे के कारण वे फरक्का बैराज के समर्थन में कभी नहीं रहे. गाद की समस्या तभी दूर हो सकती है जब नदियों में पानी का तेज प्रवाह हो.
बड़ी नदियों को बचाने के लिए उन्होंने छोटे जल स्रोतों का संरक्षण करने पर बल दिया. साथ ही कहा कि नदियों की कोई सीमा नहीं होती ऐसे में राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक नीति बनाने और नदी बेसिन योजना पर काम करने की जरूरत है. लोगों की जागरूकता की वजह से दामोदर नदी की सफाई हो सकी. आज के समय में वह करीब 95 फीसदी प्रदूषण मुक्त है.
पूर्वी राज्यों में 65 फीसदी से अधिक प्राकृतिक संसाधन : सरयू राय ने कहा कि देश का 65 फीसदी से अधिक प्राकृतिक संसाधन कुल पांच पूर्वी राज्यों में मौजूद है, फिर भी यह क्षेत्र शोषण व उपेक्षा का शिकार हुआ. इसमें बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओड़िशा और छत्तीसगढ़ शामिल हैं.
यहां से विकास की आवाज नहीं उठी. पूर्वी क्षेत्र की लंबी समुद्री सीमा भूटान, नेपाल, बांग्लादेश की अंतरराष्ट्रीय सीमा यहां की वाणिज्यिक गतिविधियों को नया आयाम दे सकती है. इनकी समन्वित विकास नीति बनाने की जरूरत है. भारत सरकार इसमें निवेश करे. बिहार और पश्चिम बंगाल में कृषि और बड़ा बाजार है. ओड़िशा और पश्चिम बंगाल में सक्रिय बंदरगाह बनना चाहिए.
मेधा शक्ति से खतरा
सरयू राय ने कहा कि आम लोगों से पर्यावरण को खतरा नहीं है, बल्कि मेधा शक्ति से खतरा है. इसमें ब्यूरोक्रेट, इंजीनियर सहित पूरे तंत्र को चलाने वाले लोग शामिल हैं. इसलिए ऐसे मेधावी लोगों को अपनी क्षमता का उपयोग पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखकर विकास करने पर लगाना चाहिए. इसका फायदा हमें तो मिलेगा ही हम अपनी अगली पीढ़ी को भी कुछ दे सकेंगे.

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