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बिहार : ड्रग माफिया का नया खेल, जेनेरिक दवा को बनवा रहे ब्रांडेड, 30% क्षमता, औषधि विभाग ने किया खुलासा
औषधि विभाग ने किया खुलासा, यहां लाकर लगाते हैं रैपर जीएम रोड दवा मंडी के ड्रग माफिया दूसरे राज्यों में बनवा रहे ब्रांडेड कंपनियों की दवाएं पटना : राजधानी के गोविंद मित्रा रोड की दवा मंडी के बीच नकली दवा का रैकेट अपना पैर पसार चुका है. बीत तीन महीने की छापेमारी व निरीक्षण के […]
औषधि विभाग ने किया खुलासा, यहां लाकर लगाते हैं रैपर
जीएम रोड दवा मंडी के ड्रग माफिया दूसरे राज्यों में बनवा रहे ब्रांडेड कंपनियों की दवाएं
पटना : राजधानी के गोविंद मित्रा रोड की दवा मंडी के बीच नकली दवा का रैकेट अपना पैर पसार चुका है. बीत तीन महीने की छापेमारी व निरीक्षण के बीच भरे गये सैंपल की रिपोर्ट बता रही है कि मरीज घटिया क्वालिटी की दवा खा रहे हैं. कुछ ऐसी फर्म है, जो बिना किसी लैब टेस्टिंग की दवा बना कर बाजार में बेच रही हैं. ताबड़तोड़ हुई छापेमारी में पकड़े गये लोगों से जब पूछताछ हुई, तो हैरान करनेवाले तथ्य सामने आये हैं.
दवा माफिया छोटी कंपनियों को रकम देकर ब्रांडेड कंपनियों की दवाएं बनवा रहे हैं. एक्सपर्ट की मानें, तो यह दवाएं खाने से मरीज को सिर्फ 30%ही फायदा होगा. औषधि विभाग की छापेमारी में पता चला है कि पटना के ड्रग माफिया अपना कारोबार करने का नया तरीका अख्तियार कर लिए हैं. माफिया यूपी, राजस्थान, हरियाणा आदि राज्यों में स्थापित छोटी दवा कंपनियों से ब्रांडेड कंपनियों की दवाएं बनवाते हैं, फिर वहां से दवाएं मंगवा कर उन पर ब्रांडेड कंपनियों के रैपर लगा कर बेच देते हैं. यह खेल जीएम रोड स्थित दवा मंडी में हुई छापेमारी में पकड़ी जा चुकी है.
नकली दवाएं हो रही सप्लाई
औषधि विभाग की मानें, तो भारी मात्रा में नकली दवाएं सप्लाई हो रही है जिनके खाने पर मरीज समय पर ठीक नहीं हो पायेगा. सबसे खास बात यह है कि कंपनियां जिस डोज व साल्ट का दावा कर दवाओं को बाजार में बेच रही है न तो उतनी मात्रा में डोज दवा के अंदर है और न ही उनमें वो साल्ट शामिल है.
यानी दवा के नाम पर महज कैल्शियम की टैबलेट रैपर में पैक कर बेची जा रही है जिनके खाने पर शरीर को कोई नुकसान तो नहीं होगा, लेकिन बीमारी कभी ठीक नहीं हो पायेगी. क्योंकि, छोटी कंपनियां सब स्टैंडर्ड दवा बनाने में ब्रांडेड कंपनियों की तरह महंगे कंपोजिशन नहीं मिलाती हैं. विशेषज्ञों की मानें, तो दो नंबर की इन दवाओं की क्षमता 30 फीसदी से ज्यादा नहीं रहती है.
टैबलेट व इंजेक्शन में करते हैं पैकिंग
इसके लिए ऑपरेशन ड्रग माफिया टीम का गठन किया गया है. टीम ने कुछ ऐसे भी ड्रग माफिया को पकड़ा हैं जिनका संबंध दूसरे राज्यों से था. माफिया छोटी कंपनियों से सांठगांठ कर ब्रांडेड दवा बनवाते हैं और यहां लाकर ब्रांडेड कंपनियों का रैपर लगा कर में बेचते हैं.
सच्चिदानंद प्रसाद, ड्रग इंस्पेक्टर
कार्रवाई की खुली छूट : चौंकानेवाली रिपोर्ट के बाद स्वास्थ्य विभाग ने ड्रग विभाग को खुल कर कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. ड्रग इंसपेक्टरों की टीम बना कर छापा मारने का प्लान बनाया. अब साफ कर दिया गया है कि जिन मेडिकल स्टोर पर निरीक्षण के दौरान नकली दवाएं मिल रही हैं, उसका लाइसेंस निरस्त कर दिया जाये
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