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बिहार : शराब छूटी तो होने लगी रोज 500 तक कमाई, बेटा-बेटी जाने लगे स्कूल

सुयेब खान कर्ज को भी चुकाया, परिवार और समाज में मिली इज्जत मनेर : मनेर नगर के कटहरा मुहल्ले के निवासी दिलीप साव दो साल पहले तक पेंट-पोचारा करते थे. लेकिन जो भी कमाई होती थी उसे वह शराब में उड़ा देते थे. शराब के नशे में टुन होकर इधर-उधर सड़क, नाले व गलियों में […]

सुयेब खान
कर्ज को भी चुकाया, परिवार और समाज में मिली इज्जत
मनेर : मनेर नगर के कटहरा मुहल्ले के निवासी दिलीप साव दो साल पहले तक पेंट-पोचारा करते थे. लेकिन जो भी कमाई होती थी उसे वह शराब में उड़ा देते थे. शराब के नशे में टुन होकर इधर-उधर सड़क, नाले व गलियों में गिरे रहते थे.
हालत यह हो गयी कि लोग उनसे कतराने लगे. सिर पर कर्ज का बोझ बढ़ता गया. घर में रोज लड़ाई-झगड़ा होता रहता था. घर चलाने के लिए पत्नी को दाई का काम करना पड़ा. तभी शराबबंदी ने उनके जीवन में नया सवेरा लाया. शराब छुटी तो उन्होंने परिवार के मोवरी और पटमोवरी बनाने का काम संभाला और आज रोज पांच सौ रुपये तक की कमाई करते हैं. कर्ज को भी चुका दिया. परिवार और समाज में अब उनको इज्जत की नजर से देखा जाता है.
दिलीप साव ने बताया कि शराबबंदी के पहले मनेर और आसपास के इलाके में ठेकेदारी के माध्यम से घर में पेंट-पोचारा करता था. इसी दौरान दोस्तों की गलत संगत में पड़कर शराब पीने लगे.
शराब की लत ने धीरे-धीरे मुझे अपनी गिरफ्त में ले लिया और मेरी हालत ऐसी हो गयी कि शराब के बिना एक पल भी रहना मुश्किल हो गया. दिन भर शराब के नशे में डूबे रहता था. अपनी कमाई का पैसा बीवी, बच्चों और वृद्ध पिता के भरण-पोषण पर खर्च करने के बजाय शराब पीकर खत्म कर देता था. पत्नी और पिता से हर रोज कहासुनी व झगड़ा होता था.
आस-पड़ोस के लोग हमसे दूर ही रहना पसंद करते थे. शादी-विवाह या किसी भी कार्यक्रम में बुलावा नहीं भेजते थे. शराब पीकर रोज गलत हरकत से मुहल्ला समेत पूरा परिवार परेशान रहता था.
वहीं पेंट-पोचारा का काम भी नहीं मिलता था. अगर कहीं काम मिल भी जाये, तो एडवांस में मिलने वाला पैसे या कमाया हुआ पूरा पैसा शराब में खत्म कर देता था. पैसा नहीं रहने पर शराब पीने के लिए दूसरों से कर्ज लेना शुरू कर दिया, जिससे कर्ज का बोझ लगातार बढ़ने लगा और लोग पैसा मांगने घर तक पहुंच गये. पैसा नहीं मिलने पर घर की नीलामी और परिवार के लोगो को गाली गलौज करते थे और धमकी भी देते थे. घर में भूखे सोने की समस्या आ गयी.
दोनों बच्चों व पिता की भूख मिटाने के लिए मेरी पत्नी सविता देवी ने पास के एक निजी क्लिनिक में दाई का काम करने लगी और उसी की कमाई से घर चलता था. लेकिन जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शराबबंदी की घोषणा की तो मनेर और आसपास के क्षेत्रों में शराब मिलना बंद हो गया. शराबबंदी कानून के डर मैं शराब छोड़ने पर मजबूर हो गया. शराब के छुटते ही तंगहाली का एहसास हुआ और इससे निबटने के लिए मैंने कमर कस ली.
शराबबंदी के बाद परिवार के परंपरागत धंधे को अपनाया
दिलीप साव कहते हैं शराब के छूटते ही मेरा जीवन मुझे वापस मिल गया. शराब को छोड़ते ही बिखरे परिवार को एकजुट किया. समय से काम धंधा करता हूं. इस कारण पिता व मेरी पत्नी मेरा ख्याल रखती है. पूर्व की जिंदगी को भूलकर नयी जिंदगी से मैं बहुत खुश हूं. आज मेरी पहचान एक मेहनती और अच्छे कारीगर के रूप में होती है.
पत्नी बोली, नीतीश ने शराबबंदी कर हर घर में लायी खुशहाली
िदलीप साव की पत्नी सविता देवी ने शराबबंदी करने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को धन्यवाद देती है. कहा कि मुख्यमंत्री ने राज्य में शराबबंदी कानून लागू कर हर घर में खुशहाली लायी है. आज समाज के लोग उनके पति को मिसाल बताते है जो कि मुख्यमंत्री की देन है. उनकी बदौलत ही हमारे घर के हालात सुधरे.
बेटा-बेटी को भेजा स्कूल
पिता से विरासत में मिले दूल्हा- दुल्हन के सिर पर सजने वाली मौरी व पटमौरी का धंधा काम आया. पत्नी की मदद से पुराने धंधे की शुरुआत करते ही अच्छी आमदनी होने लगी. इसके बाद बेटा अंशु कुमार और बेटी अन्नू को भी अच्छी शिक्षा के लिए स्कूल भेजा. पहले से रहे कर्ज को भी मैंने चुका दिया और अब मैं आराम की जिंदगी जी रहा हूं.
मोवरी और पटमौरी बनाकर हर रोज मैं पांच सौ रुपये तक की कमाई होती है और मेरा परिवार दोबारा से खुशहाल हो गया है. लोग भी मुझे सम्मान देने लगे हैं. फुर्सत के क्षणों में पेंट-पोचारा वाला भी काम कभी-कभार करता हूं. दिलीप ने बताया कि शराब पीने के कारण शरीर कमजोर हो गया था. लेकिन, अब मेरा स्वास्थ्य पहले की तुलना आज बेहतर हो गया है.

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