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पटना : ध्वनिमत से विद्युत शुल्क विधेयक पारित
पटना : बिहार विधानसभा में बजट सत्र के दौरान बुधवार को बिहार विद्युत शुल्क विधेयक, 2018 ध्वनि मत से पारित हो गया. यह बिहार विद्युत शुल्क अधिनियम 1948 का स्थान लेगा. नये विधेयक में प्रावधानों के अनुसार कर विवाद में कमी आयेगी. साथ ही कर लगाने, उसके निर्धारण, वसूली और भुगतान में सरलता होगी. यह […]
पटना : बिहार विधानसभा में बजट सत्र के दौरान बुधवार को बिहार विद्युत शुल्क विधेयक, 2018 ध्वनि मत से पारित हो गया. यह बिहार विद्युत शुल्क अधिनियम 1948 का स्थान लेगा. नये विधेयक में प्रावधानों के अनुसार कर विवाद में कमी आयेगी.
साथ ही कर लगाने, उसके निर्धारण, वसूली और भुगतान में सरलता होगी. यह राज्य के कर राजस्व का एक महत्वपूर्ण श्रोत है. सदन में इस विधेयक का प्रस्ताव वाणिज्य कर विभाग के प्रभारी मंत्री सुशील मोदी ने रखा. इस पर विपक्ष की तरफ से रामदेव राय, समीर कुमार महासेठ और भोला यादव ने कुल 61 संशोधन प्रस्ताव रखा था, लेकिन किसी को भी स्वीकृति नहीं मिल सकी. इन पर चर्चा के दौरान एक बार वोटिंग की भी नौबत आयी, लेकिन सत्ता पक्ष की बहुमत के रहने से सबकुछ सामान्य हो गया.
चर्चा के दौरान सुशील मोदी ने कहा कि पुराने अधिनियम से कई तरह की समस्याएंं पैदा हो जाती थीं. बिजली शुल्क को लेकर कई बार बिजली कंपनियों और वाणिज्यकर विभाग में विवाद और मुकदमा की स्थिति बन गयी. नये विधेयक में इस बात का पूरा ध्यान रखा गया है कि आम लोगों पर किसी भी तरह का अतिरिक्त बोझ न पड़े. सरकार भी इसका ध्यान रखेगी. प्रदेश में कर राजस्व का महत्वपूर्ण स्रोत विद्युत शुल्क है. इससे वित्तीय वर्ष 2016-17 में 225.53 करोड़ और वित्तीय वर्ष 2017-18 में 2018 के फरवरी महीने तक 174.29 करोड़ रुपये के राजस्व की वसूली हुई.
क्या होगा नया : सुशील मोदी ने कहा कि फिलहाल विद्युत शुल्क पर जीएसटी अलग से लगेगा. आनेवाले दो-चार सालों में शुल्क भुगतान में जीएसटी को शामिल करने पर विचार किया जायेगा.
पहले बिजली विक्रेता व उपभोक्ता दोनों को कर देना पड़ता था अब केवल उपभोक्ता को कर देना होगा. अब बिजली बिक्री के प्रत्येक चरण को हटा कर अंतिम चरण पर कर लगेगा. पहले उपभोक्ताओं के लिए कॉमर्शियल (सीएस) व डोमेस्टिक (डीएस) केवल दो श्रेणियां थीं. अब इसे कई श्रेणियों में विभाजित किया गया है. रेसिडेंसियल, कॉमर्शियल, इंडस्ट्रियल, टेंपरेरी, एग्रीकल्चर, एडवरटाइजमेंट, मोनो व मेट्रो रेल आदि.
विवि शिक्षकों और कर्मियों को मिलेगा सातवां वेतनमान : मंत्री
पटना : विधान परिषद में प्रभारी मंत्री राणा रणधीर सिंह ने कहा कि राज्य के विश्वविद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों और कर्मियों को सातवां पुनरीक्षित वेतनमान मिलेगा. सातवां वेतनमान देने की प्रक्रिया चल रही है.
इस संबंध में दो नवंबर, 2017 को आदेश निर्गत हुआ है. विधान परिषद में संजय कुमार सिंह, दिलीप कुमार चौधरी, संजीव कुमार सिंह, देवेश चंद्र ठाकुर, संजीव श्याम सिंह, मदन मोहन झा, केदार नाथ पांडेय व नीरज कुमार ने विवि वेतनमान देने संबंधित ध्यानाकर्षण में सवाल उठाया. सवाल के जवाब में प्रभारी मंत्री ने कहा कि सातवां वेतनमान देने संबंधी निर्देश जारी किया गया है.
सामाजिक परिवर्तन में बिहार बनेगा दुनिया का आइडियल
20 जिलों में बुनकरों का पहचान पत्र बनाने का काम अंतिम चरण में: केंद्रीय वस्त्र मंत्रालय की राष्ट्रीय हस्तकरघा सर्वेक्षण योजना में बिहार के बुनकरों का पहचान पत्र बनाने का काम अंतिम चरण में है. इसमें बुनकर बहुल आबादी वाले 20 जिले शामिल किये गये हैं, जिनमें हस्तकरघा बुनकरों की संख्या करीब 90 हजार है. पहचान पत्र बनाते समय वास्तविक बुनकरों का डाटा भी इकट्ठा किया जा रहा है.
साथ ही फर्जी बुनकरों का नाम हटाया जा रहा है. डाटा में उनकी पारिवारिक व आर्थिक स्थिति का ब्योरा रहेगा. यह डाटा सरकार को उपलब्ध करवाया जायेगा. उसके आधार पर ही बुनकरों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सकेगा. अभी भागलपुर, गया, पश्चिम चंपारण, कटिहार, मुजफ्फरपुर, बांका, खगड़िया, सीवान, मधुबनी, पटना, सासाराम, नवादा, नालंदा, कैमूर, भोजपुर, बक्सर, जहानाबाद, अरवल, सीतामढ़ी और औरंगाबाद में फोटो वाले बुनकर पहचान पत्र बनाने का निर्देश दिया है.
पटना : श्रम संसाधन मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने बुधवार को विधानसभा में शिवचंद्र राम के अल्पसूचित प्रश्न के उत्तर में बताया कि राज्य में निर्माण श्रमिकों को निबंधन के लिए पंचायत स्तर पर शिविर लगाकर विशेष अभियान चल रहा है. अभी तक नौ लाख, 42 हजार, 80 निर्माण श्रमिकों का निबंधन हुआ है.
उन्होंने कहा कि निबंधन में विधायक लोग भी सहयोग करें. राजद विधायक ने कहा कि पंचायतों में कहीं शिविर नहीं लग रहा है. इस पर मंत्री ने कहा कि वे पंचायत की जानकारी दें दे जांच हो जायेगी. आसन की ओर से भी इसी तरह की बात कहा गयी. मंत्री ने कहा कि निर्माण श्रमिकों को श्रमिकों को साइकिल और औजार के लिए राशि दी जाती है. बेटी की शादी के लिए सहायता मिलती है.
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