पटना : बिहार में राज्यसभा की रिक्त होनेवाली छह सीटों और विधानपरिषद की 11 सीटों के निर्वाचन की उलटी गिनती शुरू हो गयी है. राज्यसभा के छह सदस्यों का कार्यकाल दो अप्रैल 2018 को समाप्त होनेवाला है तो विधानपरिषद के 11 सदस्यों का कार्यकाल सात मई 2018 को पूरा हो रहा है.
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सरप्लस विधायकों की गणित तय करेगी रास की छठी सीट
पटना : बिहार में राज्यसभा की रिक्त होनेवाली छह सीटों और विधानपरिषद की 11 सीटों के निर्वाचन की उलटी गिनती शुरू हो गयी है. राज्यसभा के छह सदस्यों का कार्यकाल दो अप्रैल 2018 को समाप्त होनेवाला है तो विधानपरिषद के 11 सदस्यों का कार्यकाल सात मई 2018 को पूरा हो रहा है. अब इन दोनों […]
अब इन दोनों सदनों के लिए निर्वाचित होनेवाले सदस्यों का गणित भी बदल चुका है. दोनों सदनों के लिए होनेवाले चुनाव में सरप्लस विधायकों की संख्या ही महत्वपूर्ण हो गयी है. सभी दलों के पास सदस्यों के निर्वाचन के लिए सरप्लस विधायकों की संख्या है. दिलचस्प यह है कि सभी दलों के पास सरप्लस विधायक होते हुए भी किसी दल के पास उतनी संख्या में विधायक नहीं है कि वह राज्यसभा के छठे सदस्य और विधानपरिषद के 11वें सदस्य का आसानी से निर्वाचन कर सके. गौरतलब है कि वर्तमान विधानसभा में मौजूदा सदस्यों की संख्या 241 है.
राज्य से राज्यसभा के छह सदस्यों और विधान परिषद के 11 सदस्यों का निर्वाचन विधानसभा के सदस्यों द्वारा किया जाना है. राज्यसभा से केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, रविशंकर प्रसाद के साथ जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह, अली अनवर, अनिल कुमार सहनी, महेंद्र प्रसाद का कार्यकाल अप्रैल में कार्यकाल पूरा हो रहा है. इधर विधान परिषद की 11 सीटों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, राजद विधानमंडल दल की नेता राबड़ी देवी, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे, जदयू के संजय सिंह, उपेंद्र प्रसाद, नरेंद्र सिंह, चंदेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी, राज किशोर कुशवाहा, लाल बाबू प्रसाद और सत्येंद्र नारायण सिंह शामिल हैं. इनका कार्यकाल मई में पूरा हो रहा है.
यह है सरप्लस विधायकों का गणित
राज्यसभा के एक सदस्य के चुनाव के लिए 35 विधायकों के मत की आवश्यकता है. विधानसभा में राजद के पास कुल 79 विधायक हैं. राजद से दो राज्यसभा सदस्यों का निर्वाचन तय है. राजद के पास सरप्लस नौ विधायक रह जायेंगे. इसी तरह से जदयू द्वारा दो सदस्यों का निर्वाचन पक्का है. इसके बाद भी जदयू के पास एक विधायक सरप्लस होगा. भाजपा द्वारा एक राज्यसभा सदस्य का चुना जाना तय है. भाजपा के पास कुल 17 सरप्लस विधायक रह जायेंगे. कांग्रेस के कुल 27 सदस्य हैं. कांग्रेस की चुनौती यह है कि वह राज्यसभा में एक सदस्य को भेजने के लिए उसको आठ विधायकों की जरूरत होगा. सरप्लस विधायकों में निर्दलीय चार, माले तीन, रालोसपा दो, लोजपा दो और हम एक के विधायक हैं.
विधान परिषद सदस्यों
के निर्वाचन की गणित
न्यूनतम 21 विधायकों का समर्थन
बताया जा रहा है कि विधान परिषद 11 सदस्यों का निर्वाचन किया जाना है. विधानपरिषद में एक सदस्य के निर्वाचन के लिए न्यूनतम 21 विधायकों का समर्थन चाहिए. विधानपरिषद में राजद को लाभ होनेवाला है. परिषद में राजद के एक सदस्य राबड़ी देवी का कार्यकाल पूरा हो रहा है. वर्तमान में राजद के पास 79 विधायक हैं.
राजद इस संख्या के अनुसार तीन विधानपरिषद सदस्यों का आसानी से चुनाव कर सकती है. इसके बाद भी उसके पास 16 विधायक सरप्लस रहेंगे. पांच विधायकों की व्यवस्था कर वह चौथे प्रत्याशी को भी विधान परिषद भेज सकता है. इसी तरह से जदयू के तीन सदस्यों का निर्वाचन पक्का है. इसके बाद जदयू के पास आठ विधायक सरप्लस होंगे.
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