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प्रदेश में जूनियर इंजीनियर बहाली मामले में राज्य कर्मचारी चयन आयोग से पटना हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

पटना : प्रदेश में बड़ी संख्या में जूनियर इंजीनियर के रिक्त पदों को नहीं भरे जाने के मामले में पटना हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए राज्य कर्मचारी चयन आयोग से जवाब-तलब किया. मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने एक लोकहित याचिका पर बुधवार को सुनवाई करते हुये यह निर्देश दिया. याचिकाकर्ता की […]

पटना : प्रदेश में बड़ी संख्या में जूनियर इंजीनियर के रिक्त पदों को नहीं भरे जाने के मामले में पटना हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए राज्य कर्मचारी चयन आयोग से जवाब-तलब किया. मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने एक लोकहित याचिका पर बुधवार को सुनवाई करते हुये यह निर्देश दिया. याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि राज्य में बड़ी संख्या में जूनियर इंजीनियर के पद रिक्त पड़े हैं.
कई वर्ष पहले ली गयी थी परीक्षा : कई वर्ष पहले इनके बहाली के लिए परीक्षा ली गयी थी, लेकिन उसके बाद बहाली नहीं की गयी. इससे जहां बड़ी तादाद में इंजीनियर बेरोजगार हैं, वहीं राज्य की विकास योजनाओं पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. चार सप्ताह बाद मामले पर फिर सुनवायी की जायेगी. अदालत ने इस मामले को काफी गंभीरता से लिया है.
पटना. मनी लांड्रिंग सहित अन्य मामलों में जेल में बंद बाहुबली विधान पार्षद रीतलाल यादव को पटना हाईकोर्ट ने किसी भी प्रकार का राहत देने से साफतौर पर इनकार करते हुए नियमित जमानत याचिका को खारिज कर दिया. जस्टिस ए. अमानुल्लाह की एकलपीठ ने रीतलाल यादव की ओर से दायर नियमित जमानत याचिका पर बुधवार को सुनवायी करते हुये यह निर्देश दिया. गौरतलब है कि मनी लांड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा विधान पार्षद रीतलाल यादव के विरुद्ध मामला दर्ज किया गया था.
उन पर इसके अलावा भी कई अन्य मामले हैं जिनमें वह जेल में बंद हैं. उनके द्वारा मनी लांड्रिंग मामले में नियमित जमानत की याचिका पर पटना हाईकोर्ट ने पहले भी सुनवाई के क्रम में प्रदेश के पुलिस महानिदेशक से विभिन्न थानाें में दर्ज आपराधिक मामलों की सूची मांगी थी. साथ ही इनके विरुद्ध दर्ज किये गये मामलों में जल्द से जल्द ट्रायल पूरा करने का निर्देश दिया था.
पटना : सूबे में इंडस्ट्रियल अल्कोहल बनाने वाले कंपनियों पर राज्य सरकार की मनमानी शर्तें थोपे जाने पर पटना हाईकोर्ट ने कड़ी नाराजगी जतायी है. साथ ही राज्य सरकार के जवाब को पूरी तरह खारिज करते हुये उन्हें दोबारा जवाब देने के लिए सात मार्च तक की मोहलत दी.
मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने बुधवार को इस मामले पर सुनवाई की. सुनवाई के दौरान अदालत ने यह स्पष्ट किया कि राज्य सरकार के अधिकारियों का मनमाने ढंग से काम करने का तरीका ठीक नहीं है. इंडस्ट्रियल अल्कोहल के निर्माण के बाद उसका दुरुपयोग नहीं हो, इसके लिए राज्य सरकार कानून बना सकती है, लेकिन वह कानून राज्य की सीमा भीतर लागू हो, न कि दूसरे राज्य के लिये. इस मामले पर सात मार्च को सुनवाई होगी. इससे पहले भी ऐसे मामले में हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए सरकार को कड़ी फटकार लगायी थी.

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