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बिहार : बिजली खरीद की दर घटी, फिर कैसे बढ़ा रहे टैरिफ दर

पटना : बिजली कंपनियों द्वारा वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए प्रस्तावित विद्युत दर के निर्धारण को लेकर पटना में दो दिवसीय सुनवाई मंगलवार से प्रारंभ हो गयी. सुनवाई के पहले दिन चैंबर ऑफ कॉमर्स व बीआईए सहित दो दर्जन से अधिक संस्था व संगठनों ने साउथ बिहार व नॉर्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों के प्रस्तावित […]

पटना : बिजली कंपनियों द्वारा वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए प्रस्तावित विद्युत दर के निर्धारण को लेकर पटना में दो दिवसीय सुनवाई मंगलवार से प्रारंभ हो गयी. सुनवाई के पहले दिन चैंबर ऑफ कॉमर्स व बीआईए सहित दो दर्जन से अधिक संस्था व संगठनों ने साउथ बिहार व नॉर्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों के प्रस्तावित टैरिफ दर पर आपत्ति जतायी.
बिहार विद्युत विनियामक आयोग के अध्यक्ष एसके नेगी, सदस्य राजीव अमित व आरके चौधरी के समक्ष अपना पक्ष रखते हुए उन्होंने साफ कहा कि जब बिजली कंपनियों के प्रस्ताव में बिजली खरीद दर घटने की बात कही है तो फिर टैरिफ में 40 फीसदी वृद्धि का प्रस्ताव क्यों है? कई लोगों ने मंथली मिनिमम चार्ज (एमएमसी) समाप्त किये जाने की भरपूर वकालत की. बिजली कंपनी की तरफ से नॉर्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर एसकेपी सिंह व डीजीएम अरविंद सिंह सहित कई लोगों ने अपना पक्ष रखा. 22 फरवरी को सुनवाई जारी रहेगी.
आयोग के समक्ष उठाये गये प्रमुख मुद्दे
-ग्राहकों को क्वालिटी बिजली की आपूर्ति हो
-मीटर की पूरी जिम्मेवारी कंपनी ले, ग्राहकों पर इसका कोई बोझ न पड़े
-वर्ष 2016 में एनडीएस-2 श्रेणी में छोटे दुकानदारों के लिए 1/2 किलोवाट लोड कनेक्शन का आदेश पर नहीं मिल रहा कनेक्शन
-लोड बढ़ाने का आवेदन देने पर पूर्व सिक्यूरिटी डिपोजिट रसीद की मांग खत्म हो
-कॉन्टेक्ट डिमांड से कम खपत पर फिक्सड चार्ज में 15 प्रतिशत की छूट मिले
-बिजली बिल में तीन माह की बजाय छह माह का रीडिंग ब्योरा हो
-उपभोक्ता द्वारा जमा की गयी सिक्यूरिटी राशि पर ब्याज मिले
-ताजिया-महावीरी जुलूस के दौरान बिजली आपूर्ति बंद होने पर रोक लगे
मीटर कंपनी की जिम्मेदारी
टैरिफ कंसलटेंट नंद शर्मा ने कहा कि मीटर खराब होने या जलने पर कंपनी दोगुना एवरेज चार्ज करती है, जो गलत है. मीटर कंपनी का होता है और ग्राहक इसके एवज में किराया अदा करता है. ऐसे में इसके खराब होने पर बदलने की पूरी जिम्मेदारी कंपनी की है. इसमें किसी तरह की लापरवाही पर ग्राहक को दंडित नहीं किया जा सकता. भागलपुर जिला नागरिक संघ भागलपुर के अध्यक्ष अशोक जीवराजका ने बिजली ऑफिसों में ग्राहकों के लिए मूलभूत सुविधाएं तक नहीं होने की बात कही.
विद्युतीकरण व दोहरीकरण को मंजूरी
पटना : मुजफ्फरपुर-सगौली और सगौली-वाल्मीकिनगर रेल रूट के विद्युतीकरण और दोहरीकरण परियोजनाओं को आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने मंगलवार को स्वीकृति दे दी. इन परियोजनाओं के तहत मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण (मोतिहारी) और पश्चिमी चंपारण (बेतिया) के जिले शामिल हैं. इसके पूरा होने पर करीब एक करोड़ आबादी को फायदा होगा.
साथ ही नेपाल की सीमा पास होने से पड़ोसी देशों के साथ बेहतर संपर्क बनाने में मदद मिलेगी. वहीं, विद्युतीकरण से रेलगाड़ियों की गति बढ़ेगी. पर्यावरण को फायदा मिलेगा. साथ ही तेल आयात पर निर्भरता कम होगी. इससे रेलवे की ऊर्जा संबंधी लागत कम होगी और देश के विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव कम होगा.
रेलवे के आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि इस समय मुजफ्फरपुर-वाल्मीकिनगर सिंगल रेल रूट होने से यात्री गाड़ियों को देर तक ठहराव का सामना करना पड़ता है. इस रूट पर क्षमता से 213 प्रतिशत अधिक ट्रेनों का आवागमन होता है. फिलहाल इस रूट पर 38 एक्सप्रेस ट्रेनें चलायी जा रही हैं. इनमें प्रतिदिन हजारों यात्री यात्रा करते हैं. रेलवे लाइन का दोहरीकरण हो जाने पर यात्रा में कम समय लगेगा. इसके अलावा मरम्मत संबंधी कार्यों के लिए पर्याप्त समय मिल सकेगा जिससे सुरक्षित यात्रा की जा सकेगी.

परियोजनाओं पर लागत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने 100.6 किलोमीटर लंबी मुजफ्फरपुर-सगौली रेल रूट पर विद्युतीकरण व दोहरीकरण की मंजूरी दी है. इसकी लागत करीब 1347 करोड़ रुपये होगी. यहां करीब 24 लाख 14 हजार कार्य दिवस प्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा होंगे. वहीं, 109.7 किलोमीटर लंबी सगौली-वाल्मीकिनगर मार्ग के विद्युतीकरण व दोहरीकरण की लागत करीब 1381 करोड़ रुपये होगी. यहां निर्माण कार्य से करीब 26 लाख 33 हजार कार्य दिवस प्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा होंगे.

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