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लोकतांत्रिक संसदीय शासन व्यवस्था आधुनिक विश्व की अनूठी खोज : राज्यपाल

पटना : राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा है कि लोकतंत्र के वैश्विक इतिहास से स्पष्ट है कि छठी शताब्दी में सर्वप्रथम बिहार के वैशाली जनपद में ही गणतंत्र का प्रादुर्भाव हुआ और वैशाली की संसद में ही लोकतंत्र की पहली वाणी गुंजित हुई थी. प्रशासनिक इकाई के रूप में भी बिहार का इतिहास काफी पुराना […]

पटना : राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा है कि लोकतंत्र के वैश्विक इतिहास से स्पष्ट है कि छठी शताब्दी में सर्वप्रथम बिहार के वैशाली जनपद में ही गणतंत्र का प्रादुर्भाव हुआ और वैशाली की संसद में ही लोकतंत्र की पहली वाणी गुंजित हुई थी. प्रशासनिक इकाई के रूप में भी बिहार का इतिहास काफी पुराना एवं समृद्ध रहा है. बिहार के अनेक मनीषियों, चिंतकों, ज्ञान–विज्ञान, साहित्य, अध्यात्म, दर्शन एवं राजनीति के प्रणेताओं की जन्मभूमि एवं कर्मभूमि रही है. राज्यपाल ने कहा कि लोकतांत्रिक संसदीय शासन व्यवस्था आधुनिक विश्व की अनूठी खोज है. राज्यपाल रविवार को ‘छठे भारत प्रक्षेत्र राष्ट्रमंडल संसदीय संघ सम्मेलन’ के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे.

राज्यपाल ने कहा कि संसदीय शासन-व्यवस्था लोकतंत्र की ऐसी प्रणाली है, जिसमें सहज भाव से लोगों के सामाजिक और आर्थिक जीवन में बदलाव लाये जाते हैं. संसदीय लोकतंत्र की सफलता के लिए सामाजिक समानता, मजबूत विपक्ष की मौजूदगी, जनमानस की राजनीतिक परिपक्वता आदि बेहद जरूरी हैं. राज्यपाल ने कहा कि लोकतांत्रिक प्रतिष्ठानों में संसद एवं विधान मंडल लोक भावनाओं को प्रतिबिंबित करते हैं. यह राष्ट्रीय गौरव, राष्ट्रीय सम्मान एवं राष्ट्रीय महत्व के परिचायक होते हैं. संसदीय प्रणाली को मजबूत और कारगर बनाने के लिए आवश्यक है कि समय के साथ आवश्यकतानुसार विधायी प्रक्रियाएं एवं कार्यप्रणालियों को भी विकसित किया जाय. उन्होंने कहा कि आज संसदीय लोकतंत्र के सामने सबसे महत्त्वपूर्ण प्रश्न यह है कि बढ़ती हुई जन-आकांक्षाओं को समय-सीमा के अंदर किस प्रकार पूरा किया जाय तथा जनता और जन-प्रतिनिधियों के बीच संवाद की निरंतरता को कैसे बहाल रखा जाये. ऐसी परिस्थिति में विधानमंडलों और उनके सदस्यों के साथ जनता के अंतर-संपर्क को मजबूत करना आवश्यक हो गया है.

राज्यपाल ने बिहार विधान सभा की एक अनूठी पहल की सराहना करते हुए कहा कि बिहार विधानसभा ने मौजूदा विधायी जरूरतों और राजनीतिक परिस्थितियों को समझते हुए ‘बिहार विधान सभा प्रक्रिया तथा कार्य संचालन नियमावली’ में -नियम 109 (क) के रूप में विगत वर्ष यह प्रावधान कर दिया है कि राज्यपाल के निदेश या राजनीतिक परिस्थिति विशेष में सरकार चाहे तो अपने लिए बिहार विधान सभा में ‘विश्वास प्रस्ताव’ ला सकती है.

विधान सभा के अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने कहा कि इस सम्मेलन में बेहतर आतिथ्य के लिए हरसंभव प्रयास किये गये थे. सीपीए के महासचिव अकबर खान ने भी अपने विचार विस्तार से रखे. समापन-समारोह में धन्यवाद–ज्ञापन बिहार विधान परिषद् के कार्यकारी सभापति मो हारूण रशीद ने किया. समारोह में सीपीए कार्यकारिणी समिति की सभापति एमिलिया मोंजोवा लिफाका भी मौजूद थीं.

Prabhat Khabar Digital Desk
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