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रामबाद स्वास्थ्य उपकेंद्र बना तबेला, नहीं आते मरीज

अनदेखी l स्वास्थ्य सेवा बेहतर बनाने के िलए सरकार चला रही है कई योजनाएं, पर मनेर में ये नहीं िदखतीं जमीन पर मनेर : भले ही सरकार पूरे सूबे में स्वास्थ्य सुविधा बेहतर बनाने के लिए कई तरह की योजनाएं चला रही है, लेकिन इसके बावजूद सुअरमरवां पंचायत का रामबाद स्वास्थ्य उपकेंद्र तबेला बन गया […]

अनदेखी l स्वास्थ्य सेवा बेहतर बनाने के िलए सरकार चला रही है कई योजनाएं, पर मनेर में ये नहीं िदखतीं जमीन पर
मनेर : भले ही सरकार पूरे सूबे में स्वास्थ्य सुविधा बेहतर बनाने के लिए कई तरह की योजनाएं चला रही है, लेकिन इसके बावजूद सुअरमरवां पंचायत का रामबाद स्वास्थ्य उपकेंद्र तबेला बन गया है. इस स्वास्थ्य उपकेंद्र में मरीजों की जगह पशु आपको नजर आयेंगे. ग्रामीणों की मानें, तो इस स्वास्थ्य उपकेंद्र में कर्मचारियों की बहाली है, पर हद तो उस वक्त हो जाती है जब मरीज इलाज के लिए स्वास्थ्य उपकेंद्र में पहुंचते हैं और पशुओं को बंधा व गोबर ढेर देखते हैं.
लोगों को यह देख कर हैरानी होती है कि आखिर इस स्वास्थ्य उपकेंद्र में पशु कैसे बंधा जाता है इसकी दीवार पर गोईठा (उपला) ठोका जाता है. यह देख एक बार भी यकीन नहीं होता है कि यह स्वास्थ्य उपकेंद्र है. पंचायत की पूर्व मुखिया सरोज देवी ने बताया कि रामबाद स्वास्थ्य उपकेंद्र 1994 के करीब बनाया गया था, लेकिन किसके व किस योजना से इसका निर्माण हुआ, इसकी जानकारी नहीं है. इसके अलावा यहां डॉक्टर या स्वास्थ्य कर्मी कभी नहीं आते हैं. ज्यादातर लोग मनेर व अन्य जगहों पर इलाज के लिए जाते हैं.
हालात चाहे जो भी हों अधिकारियों की लापरवाही के कारण इस तरह की विपरीत स्थिति देखने को मिल रही है. सरकार चाहे स्वास्थ्य सुविधा पर गरीबों के लिए करोड़ों खर्च कर दे, परंतु धरातल पर उन्हें दवा के लिए तरसना पड़ता है. इस तरह के हालत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, मनेर में भी प्राय: देखने को मिलता है. रामबाद स्वास्थ्य उपकेंद्र का हाल तो सबके सामने है.
मामले को गंभीरता से लेंगे
बहुत पहले इस स्वास्थ्य उपकेंद्र के निर्माण होने के कारण इससे जुड़े मामले की ज्यादा जानकारी मुझे नहीं है, लेकिन इस मामले को गंभीरता से लिया जायेगा.
वीरेंद्र कुमार, बीडीओ, मनेर
हमारे रिकाॅर्ड में नहीं है यह उपकेंद्र
इस स्वास्थ्य उपकेंद्र के बारे में हमारे रिकाॅर्ड में कोई सूचना नहीं है. सिर्फ सूचना यह है कि यह भवन कई वर्षों से बना पड़ा हुआ है. प्रखंड कार्यालय से भी उक्त भवन के बारे में सूचना मांगी गयी है कि यह भवन किसका है. फिलहाल रामबाद गांव का स्वास्थ्य उपकेंद्र किराये के मकान में चलाया जा रहा है. उक्त केंद्र पर एक एएनएम कार्यरत है.
मनोज कुमार, मनेर पीएचसी स्वास्थ्य प्रबंधक
गांव में अस्पताल है, लेकिन इस अस्पताल में कोई भी स्वास्थ्य कर्मी या डॉक्टर कभी नहीं आते. स्वास्थ्य उपकेंद्र में इलाज नहीं होने कारण लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. इस स्वास्थ्य उपकेंद्र को गांव के लोगों ने पशुओं को रखने के लिए तबेला बना दिया है.
कृष्णा मेनन , रामबाद , ग्रामीण
आसपास के गांव के लोग यहां स्वास्थ्य उपकेंद्र समझ कर इलाज के लिए आते हैं, लेकिन पशु बंधा देख कर लौट जाते हैं. हमलोगों को इलाज के लिए मनेर या दानापुर जाना पड़ता है. यह अस्पताल डाॅक्टरों व कर्मियों की मिलीभगत से तबेला बना हुआ है.
चंदन कुमार, रामबाद, ग्रामीण
इस अस्पताल में कोई डॉक्टर या एएनएम नहीं आते हैं. गांव की दूरी मनेर से करीब चार से पांच किलोमीटर है. यहां के लोग इलाज के लिए मनेर या दानापुर जाते हैं. इस कारण गांव के लोगों ने गोबर और पशु रखते हैं.
शारदा देवी, रामबाद, ग्रामीण

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