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बिहार : अब एक फोन पर घर आयेंगे आंख के डॉक्टर, अगले माह शुरू होगी नेत्र मोबाइल वैन यूनिट
आईजीआईएमएस : अगले माह शुरू होगी नेत्र मोबाइल वैन यूनिट, 35 लाख किये आवंटित पटना : नेत्र रोग की समस्या से जूझ रहे मरीजों के लिए राहत भरी खबर है. अब नेत्र रोगियों के घर मोबाइल वैन जायेगी और नेत्र विशेषज्ञ इलाज करेंगे. वैन में आंख के उपचार से संबंधित सभी सुविधाएं रहेंगी. इसका नाम […]
आईजीआईएमएस : अगले माह शुरू होगी नेत्र मोबाइल वैन यूनिट, 35 लाख किये आवंटित
पटना : नेत्र रोग की समस्या से जूझ रहे मरीजों के लिए राहत भरी खबर है. अब नेत्र रोगियों के घर मोबाइल वैन जायेगी और नेत्र विशेषज्ञ इलाज करेंगे. वैन में आंख के उपचार से संबंधित सभी सुविधाएं रहेंगी. इसका नाम मोबाइल ऑप्थेल्मिक यूनिट रखा गया है. यह सुविधा आईजीआईएमएस शुरू करने जा रहा है. अगले महीने से यह सुविधा पटना के लिए शुरू हो जायेगी. कुछ दिन बाद पटना के आसपास के जिले और बाद में प्रदेश के सभी जिलों के लिए योजना शुरू होगी.
अस्पताल को मिले 35 लाख रुपये : आईजीआईएमएस में यह मोबाइल वैन भारत सरकार के सहयोग से पटना जिले में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर मुहैया करायी जा रही है. पायलट प्रोजेक्ट एक साल के लिए होगा उसके बाद प्रदेश के अन्य जिलों के लिए यह सुविधा उपलब्ध करायी जायेगी. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत संचालित राष्ट्रीय अंधता निवारण कार्यक्रम के तहत मंत्रालय ने अस्पताल प्रशासन को 35 लाख रुपये आवंटित कर दिये हैं. अस्पताल को यह बजट मिल गया है.
इस तरह से संचालित होगा मोबाइल वैन : मोबाइल वैन पटना जिले के किसी भी कॉलोनी और गांव में जा सकता है. इसके लिए जल्द ही एक मोबाइल नंबर जारी किया जायेगा. रोगी के फोन पर वैन संबंधित पते पर भेजी जायेगी. इसके लिए शुल्क भी निर्धारण किये जायेंगे. वैन में आंख के दो डॉक्टर और दो टेक्निशियन रहेंगे. वैन एक संचालित अस्पताल की तरह होगा जहां काउंटर पर पर्चा कटाने के बाद मरीज वहीं जांच करा सकता है. राष्ट्रीय अंधता निवारण कार्यक्रम के तहत जांच कराने वाले मरीजों को मुफ्त में दवा और चश्मा भी दिया जायेगा.
अस्पताल में लाकर करेंगे ऑपरेशन
मोबाइल वैन में सिर्फ जांच की सुविधा होगी, ऑपेरशन की सुविधा नहीं होगी. अगर मोबाइल वैन में उपचार कराने वाले मरीजों को ऑपरेशन कराने की नौबत आयेगी तो वैन में बैठे डॉक्टर आईजीआईएमएस के क्षेत्रीय चक्षु
संस्थान में लायेंगे जहां चक्षु संस्थान के नेत्र रोग विशेषज्ञ संबंधित मरीजों का ऑपरेशन करेंगे.
– इन बीमारियों का होगा इलाज : अंधापन, रेटिनोपैथी, डायबिटीज रेटिनोपैथी, मोतियाबिंद, ग्लूकोमा, ड्राई
आई सिंड्रोम, दृष्टि दोष, आंख के प्रेशर की जांच, रेटिना की
जांच आदि आंख से जुड़ी सभी तरह की बीमारियों की जांच की जायेगी.
– मोबाइल वैन में
होंगी ये मशीनें : मोबाइल वैन में प्रेशर मशीन, ओसीटी, लेजर, आटोरेफ, फंडस फोटो ग्राफी, रिफ्लेक्शन मशीन आदि जरूरत की मशीनें होंगी.
– क्या कहते हैं अधिकारी: मोबाइल वैन ऑप्थेल्मिक यूनिट की शुरुआत करने के लिए आईजीआईएमएस प्रशासन को 35 लाख रुपये मिल चुके हैं. एक दो दिन के अंदर मोबाइल वैन की खरीदारी की जायेगी. इसके बाद यह सुविधा शुरू कर दी जायेगी. एक माह के अंदर राजधानी के मरीजों को मोबाइल वैन से इलाज की सुविधा प्रदान कर दी जायेगी. इसकी शुरुआत से प्रदेश में अंधापन की समस्या पर लगाम लगेगी.
– डॉ विभूति प्रसाद सिन्हा, विभागाध्यक्ष नेत्र रोग विभाग, आईजीआईएमएस.
एंबुलेंस के कॉल सेंटर में रोजाना आ रहे 8 हजार कॉल, 40% फर्जी
आनंद तिवारी
पटना : मेडिकल इमरजेंसी के वक्त सबसे पहले जरूरत पड़ने पर 108 और 102 एंबुलेंस को कॉल किया जाता है, लेकिन 108 एंबुलेंस कॉल सेंटर की बात करें, तो प्रदेश में रोजाना करीब सात से आठ हजार कॉल्स आते हैं. करीब इतने ही कॉल 102 के भी हैं. ऐसे में एक चौंकाने वाला आंकड़ा भी सामने आया है. इन कॉल्स में 40 प्रतिशत कॉल्स फर्जी होते हैं. यह आंकड़ा खुद कॉल सेंटर ने जारी किया है.
नंबर डायल कर करते हैं अश्लील बातें : 102 के अधिकारियों ने बताया कि ज्यादातर सामान्य बीमारियों के लिए कॉल आते हैं. केस को देखते हुए एंबुलेंस को भेजा जाता है. कई बार लोग कॉल परेशान करने के लिए कॉल करते हैं. कॉल पर कोई महिला कर्मी है तो मनचले अश्लील बातें करने लगते हैं. ज्यादा परेशानी एक्सीडेंट की झूठी सूचनाओं पर होती है.
हो रही परेशानी
108 कॉल सेंटर पर कॉल करने पर फोन कई बार दो से तीन मिनट तक वेटिंग में मिलता है. अधिकारियों का कहना है कि फिजूल के फोन आना बंद हो जाएं, तो जरूरतमंदों का फोन फौरन रिसीव हो जायेगा. अधिकतर फोन निरर्थक होने की वजह से यह परेशानी हो रही है. कई बार गंभीर केस में जरूरतमंद मरीजों को एंबुलेंस नहीं मिल पाती है.
– फर्जी कॉल पर लगाम: फर्जी कॉल्स पर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने अब लगाम लगाने की तैयारी कर ली है. रोजाना इन कॉल्स की मॉनीटरिंग की जा रही है और जिस नंबर से सबसे अधिक कॉल्स आयेंगे उन्हें कुछ समय के लिए ब्लॉक किया जायेगा.
केस 1
गर्दनीबाग कॉलोनी के रहने वाले संतोष कुमार वर्मा सड़क एक्सीडेंट में जख्मी हो गये थे. उनके घर वालों ने 108 नंबर पर फोन किया, लेकिन लगातार इंगेज जा रहा था. इसके बाद 102 एंबुलेंस पर फोन किया, कॉल तो उठाया गया लेकिन एंबुलेंस नहीं आयी. संतोष को ऑटो से पीएमसीएच ले जाया गया.
केस 2
बुद्धा कॉलोनी के रहने वाले मनीष कुमार को अचानक पेट में दर्द होने लगा. इस दौरान मनीष के घर वालों ने 108 नंबर सेवा लेने के लिए कई बार फोन किया, लेकिन 25 मिनट तक एंबुलेंस नहीं आयी. बमुश्किल मनीष को आईजीआईएमएस अस्पताल ले जाया गया.
– क्या कहते हैं अधिकारी : फर्जी कॉल करने वाले लोगों की पहचान के लिए आदेश जारी किया गया है. उन नंबरों की लिस्ट बनायी जा रही है. पकड़े जाने पर पुलिसिया कार्रवाई करने को भी कहा गया है. फर्जी काॅल करने वालों को आम व गरीब मरीजों का ध्यान रखना चाहिए, ताकि उनको जरूरत पर एंबुलेंस सेवा मिल जाये.
डॉ पीके सिन्हा, सिविल सर्जन
– काउंसेलिंग के बाद ही जायेगी वैन : नेत्र मोबाइल वैन की सुविधा लेने वाले मरीज वास्तव में सही हैं या नहीं इसके लिए मरीज की काउंसेलिंग की जायेगी. जांच पड़ताल के बाद ही मोबाइल वैन संबंधित जगह पर जायेगी.
लेप्रोस्कोपी की ट्रेनिंग को मिली मान्यता
आईजीआईएमएस के डॉक्टरों को अब लेप्रोस्कोपी की ट्रेनिंग आईजीआईएमएस में ही ट्रेनिंग मिल जायेगी. इसकी शुरुआत अस्पताल प्रशासन ने कर दी है. वर्तमान समय में इसकी ट्रेनिंग के लिए डॉक्टरों को दिल्ली या फिर कोलकाता जाना पड़ता था. दरअसल कॉलेज ऑफ काउंसिल ने आईजीआईएमएस को लैप्रोस्कोपी की ट्रेनिंग के लिए मान्यता दे दी है.
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