परेशानी : घोषणा के बाद भी शुरू नहीं हुई पढ़ाई, रिजल्ट फिर हो सकता है प्रभावित
पटना : राज्य के हाई व प्लस टू स्कूलों के छात्र-छात्राएं के सामने परीक्षा आ गयी है. शिक्षकों की कमी को पाटने के लिए वर्चुअल क्लास चलाने का सरकार ने फैसला लिया था. अब परीक्षा सामने है, जिसमें विद्यार्थी अपनी मेहनत और मेधा पर ही परीक्षा देने को तैयार हैं.
शिक्षा विभाग द्वारा 2017 की इंटर और मैट्रिक परीक्षा के रिजल्ट के बाद 1000 स्कूलों में वर्चुअल क्लास के जरिये ई-लर्निंग से पढ़ाई शुरू करने की योजना थी लेकिन अब तक विद्यार्थियों को पढ़ाने का काम शुरू नहीं हो सका है. फरवरी, 2018 में मैट्रिक-इंटर की परीक्षा होनी है और 10वीं का सेंटप एग्जाम भी खत्म हो गया लेकिन न तो कहीं वर्चुअल क्लास शुरू हुई और न ही ई लर्निंग के जरिये ही पढ़ाई शुरू की गयी.
शिक्षा विभाग एससीईआरटी से कोर्स मेटेरियल तैयार करा रहा है पर अब तक यह पूरा ही नहीं हुआ है. विभाग अब 2018 में ही वर्चुअल क्लास शुरू किये जाने के बात कह रहा है, जिसका फायदा 2019 में मैट्रिक और इंटरमीडिएट की परीक्षा देने वाले छात्र-छात्राएं उठा सकेंगे.
साइंस, गणित व अंग्रेजी के शिक्षकों की है कमी
राज्य के हाई व प्लस टू स्कूलों में साइंस, गणित, अंग्रेजी के शिक्षकों की भारी कमी है. 2017 की इंटरमीडिएट परीक्षा में साइंस और आर्ट्स का रिजल्ट बहुत ही खराब हुआ था, जबकि मैट्रिक का रिजल्ट भी 50 फीसदी ही रहा था. इससे राज्य सरकार ने शिक्षकों की कमी जब तक दूर नहीं होती है, तब तक ई लर्निंग के जरिये वर्चुअल क्लास चलाने का निर्णय लिया था.
इसमें साइंस, मैथ के साथ-साथ अंग्रेजी विषय को वर्चुअल क्लास में पढ़ाया जाना था. शिक्षा विभाग ने इसके लिए पहल भी शुरू की लेकिन उसे मंजिल तक नहीं पहुंचाया जा सका. वर्चुअल क्लास शुरू नहीं होने से हाई और प्लस टू स्कूलों में शिक्षकों की कमी के बावजूद छात्र-छात्राओं का किसी तरह कोर्स पूरा कराया गया है लेकिन 2017 में जिस प्रकार परीक्षा और मूल्यांकन में कड़ाई की गयी उससे रिजल्ट में ज्यादा सुधार की उम्मीद कम नजर आ रही है.