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निजी आईटीआई की टीम करेगी जांच
पटना : सूबे की साढ़े दस सौ से अधिक निजी आईटीआई की जांच के लिए तीन सदस्यीय टीम बनेगी. श्रम संसाधन विभाग ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है. तीन सदस्यीय टीम में एक सरकारी आईटीआई के प्राचार्य, श्रम संसाधन विभाग के अधिकारी व एक जिला प्रशासन द्वारा नामित पदाधिकारी होंगे. टीम आईटीआई के लिए […]
पटना : सूबे की साढ़े दस सौ से अधिक निजी आईटीआई की जांच के लिए तीन सदस्यीय टीम बनेगी. श्रम संसाधन विभाग ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है. तीन सदस्यीय टीम में एक सरकारी आईटीआई के प्राचार्य, श्रम संसाधन विभाग के अधिकारी व एक जिला प्रशासन द्वारा नामित पदाधिकारी होंगे. टीम आईटीआई के लिए तय मानक और निर्धारित मापदंडों को देखेगी.
सरकार के इस निर्णय के बाद निजी आईटीआई संचालकों के माथे पर बल पड़ गया है. बताया जा रहा है कि अगर कड़ाई से जांच की जाये तो बड़ी संख्या में निजी आईटीआई पर ताले लटक जायेंगे. आधे से अधिक निजी आईटीआई मानक व मापदंडों पर खरा नहीं उतरेंगे.
सूबे में 1057 निजी आईटीआई हैं, इसकी सालाना नामांकन क्षमता पौने दो लाख है. सरकारी आईटीआई में सालाना 33 हजार नामांकन क्षमता है. सरकार लंबे अरसे से निजी आईटीआई पर नकेल करने का प्रयास कर रही है.
लेकिन बहुत कुछ नहीं हो पाया है. मुख्यमंत्री ने भी पिछले दिनों श्रम संसाधन विभाग की बैठक में निर्देश दिया था कि इस बात पर खास निगरानी रखी जाये कि वे निर्धारित मापदंड पूरा करें. श्रम संसाधन विभाग ने तय किया है कि जांच के बाद उसकी रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजी जायेगी. विभाग निर्धारित मानक पूरा नहीं करने वाले आईटीआई की मान्यता रदद् करने की सिफारिश नेशनल काउंसिल वोकेशनल ट्रेनिंग (एनसीवीटी) को करेगा.
ग्रामीण क्षेत्र में सुविधाओं व आधारभूत संरचना की कमी
राज्य में पिछले 10 सालों के दौरान बड़ी संख्या में निजी आईटीआई खुले. इसका लाभ भी बिहार के बेरोजगारों को मिला. असल में राज्य सरकार का सीधा नियंत्रण इन पर नहीं था. इनको मान्यता एनसीवीटी से मिलती है. श्रम संसाधन विभाग सिर्फ परीक्षा को लेकर गाइडलाइन जारी करता है.
ग्रामीण क्षेत्र में जो आईटीआई हैं उनके पास सुविधाओं और आधारभूत संरचना की काफी कमी है. महज एक कमरे में आईटीआई खुला हुआ है, जबकि इनके पास तीन हजार वर्गफीट की वर्कशाॅप होनी चाहिए. निजी आईटीआई में तीन ट्रेड, फीटर, इलेक्ट्रिशियन और डीजल मैकेनिक की अधिक पढ़ाई होती है. एक ट्रेड में 42 छात्रों का नामांकन होता है. मापदंड के अनुसार हरेक ट्रेड के लिए कम से कम 3000 वर्गफीट का सुसज्जित वर्कशाॅप होनी चाहिए.
आॅफिस कंक्रीट का होगा य वर्कशाॅप कंक्रीट की जगह शेडनुमा भी हो सकता है. पांच साल पर इसका निरीक्षण होगा. बताया जाता है कि बड़ी संख्या में निजी आइटीआइ में नामांकन तो होता है लेकिन कक्षा नहीं के बराबर होता है. आइटीआइ में उपस्थिति हो इसके लिए बायोमैट्रिक तरीके से उपस्थिति लिया जायेगा.
निजी आईटीआई को निर्धारित मापदंड पूरा करना होगा. वे सिर्फ डिग्री बांटने के संस्थान बनकर नहीं रहेंगे. सभी निजी आईटीआई की जांच होगी.
विजय कुमार सिन्हा, मंत्री, श्रम संसाधन
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