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यादों में 2017 : बिहार में बालू-गिट्टी पर बवाल जारी, सरकारी प्रयास हुए नाकाफी, मामला कोर्ट में

पटना : पिछले छह महीने से राज्य में जारी बालू और गिट्टी के संकट को लेकर मचा बवाल जारी है. इससे संबंधित मामले कोर्ट में चल रहे हैं. निर्माण कार्य अब भी बाधित हैं. सरकार ने इसके समाधान का प्रयास किया, लेकिन अब तक यह नाकाफी साबित हुआ है. हालांकि सरकार जल्द ही स्थिति सामान्य […]

पटना : पिछले छह महीने से राज्य में जारी बालू और गिट्टी के संकट को लेकर मचा बवाल जारी है. इससे संबंधित मामले कोर्ट में चल रहे हैं. निर्माण कार्य अब भी बाधित हैं. सरकार ने इसके समाधान का प्रयास किया, लेकिन अब तक यह नाकाफी साबित हुआ है. हालांकि सरकार जल्द ही स्थिति सामान्य होने का दावा कर रही है.
राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण के आदेशानुसार एक जुलाई से 30 सितंबर तक बालू का खनन बंद रहने कीमत बढ़ने लगी थी. पटना में इस साल जून महीने में एक ट्रक (400 सीएफटी) बालू 8000 से 9000 रुपये में उपलब्ध था. वहीं जुलाई के पहले सप्ताह में इसकी कीमत बढ़ गयी और यह 12 से 13 हजार रुपये में मिलने लगा. जुलाई के अंत तक यह बीस हजार रुपये तक का बिकने लगा.
बनी नयी नियमावली
इसके तहत बिहार राज्य खनन निगम का गठन किया गया. साथ ही बिहार लघु खनिज की नयी नियमावली बनायी गयी. इसमें घाटों व खदानों की बंदोबस्ती, बालू-गिट्टी का परिवहन, इसकी बिक्री और अवैध खनन, परिवहन और कारोबार को लेकर व्यापक नियम बनाये गये. इसे 10 अक्टूबर 2017 को बिहार गजट में प्रकाशित किया गया. 14 नवंबर को बालू-गिट्टी की कीमत पर नियंत्रण के लिए सरकार ने इसका रेट जारी किया. साथ ही पूरी व्यवस्था को हाईटेक बनाने का प्रयास शुरू हुआ.
जदयू-भाजपा गठबंधन की नयी सरकार की पहल
इसी बीच 27 जुलाई को प्रदेश में जदयू और भाजपा गठबंधन की नयी सरकार का गठन हुआ और नीतीश कुमार फिर से मुख्यमंत्री और सुशील कुमार मोदी उपमुख्यमंत्री बने. कमान संभालते ही बालू-गिट्टी पर मचे बवाल पर नियंत्रण के लिए नयी सरकार ने काम शुरू किया. खान एवं भूतत्व विभाग की कमान स्वच्छ छवि के आईएएस अधिकारी केके पाठक को बतौर प्रधान सचिव बनाकर सौंपी गयी. इन्होंने नौ अगस्त को विभाग की बागडोर संभालते ही आमलोगों को उचित दर पर बालू-गिट्टी उपलब्ध करवाने की दिशा में प्रयास शुरू कर दिया.
बालू-गिट्टी के कारोबार के लिए पूरे राज्य में खुदरा बिक्रेताओं की नियुक्ति की गयी. नयी नियमावली से एक नवंबर से खनन कारोबार होना था. यह नया नियम खनन कंपनियों और ट्रांसपोर्टरों को पसंद नहीं आया. उन्होंने पटना हाईकोर्ट में इसे चुनौती दी. कोर्ट ने इस नई नियमावली पर रोक लगा दी. बाद में पुरानी नियमावली से सभी प्रक्रिया करने का आदेश दिया. सरकार सुप्रीम कोर्ट गयी, लेकिन वहां से हाईकोर्ट में सुनवायी का आदेश दिया गया. अब यह मामला कोर्ट में चल रहा है.

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