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बिहार : जाने-माने शिक्षाविद् विनय कंठ का निधन
पटना : जाने-माने शिक्षाविद, समाजसेवी और मानवाधिकार कार्यकर्ता प्रो विनय कंठ का सोमवार की दोपहर दिल्ली के सिंघानिया अस्पताल में निधन हो गया. 66 वर्षीय प्रो कंठ नौ दिनों से अस्पताल में थे. लिवर सिरोसिस के कारण ब्रेन हैमरेज होने से उनको वेंटिलेटर पर रखा गया था. उनका अंतिम संस्कार सोमवार को ही दिल्ली के […]
पटना : जाने-माने शिक्षाविद, समाजसेवी और मानवाधिकार कार्यकर्ता प्रो विनय कंठ का सोमवार की दोपहर दिल्ली के सिंघानिया अस्पताल में निधन हो गया. 66 वर्षीय प्रो कंठ नौ दिनों से अस्पताल में थे. लिवर सिरोसिस के कारण ब्रेन हैमरेज होने से उनको वेंटिलेटर पर रखा गया था.
उनका अंतिम संस्कार सोमवार को ही दिल्ली के लोदी रोड शवदाहगृह में कर दिया गया. इसके बाद भतीजे प्रत्युष कंठ के घर पर हवन हुआ. बाकी हवन कार्यक्रम उनके भाई विनोद कंठ के पटना स्थित घर पर होगा. वर्तमान में वे पटना यूनिवर्सिटी के बीएन कॉलेज में गणित के प्रोफेसर थे.
शिक्षा के प्रसार में बीता पूरा जीवन
प्रो कंठ का पूरा जीवन शिक्षा के प्रसार, मानवाधिकारों के संरक्षण एवं संवर्धन और समाज के वंचित वर्गों के लिए कार्य करने में बीता. शिक्षा जगत में सक्रिय होने से पहले वह भारतीय रेल यातायात सेवा में थे और कुछ वर्षों की सेवा के बाद उन्होंने इस सेवा से इस्तीफा दे दिया था.
वह भारतीय पुलिस सेवा के लिए भी चयनित हुए थे, लेकिन वह इस सेवा में जुड़े नहीं. उन्होंने लगभग चार दशक पहले ईस्ट एंड वेस्ट एजुकेशनल सोसाइटी की स्थापना की. वे जीवन भर स्कूली शिक्षा के प्रचार-प्रसार में लगे रहे. शिक्षा के स्तर और गुणवत्ता को निरंतर ऊपर ले जाने के लिए उन्होंने वॉलेंटरी फोरम फॉर एजुकेशन बिहार और आरटीई फोरम का गठन किया. वह पीयूसीएल (पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टी) से लगातार जुड़े रहे और मानवाधिकारों के लिए जीवनपर्यंत संघर्षरत रहे. निधन के समय तक वह उसके राष्ट्रीय उपाध्यक्ष थे.
पिछले साल मिला शिक्षा पुरस्कार
शिक्षा जगत में उनके योगदान को पूरे देश में मान्यता मिली. पर्यावरण आधारित ग्रीन करिकुलम और समान शिक्षा प्रणाली के लिए वह लगातार कार्य करते रहे. बिहार सरकार की ओर से पिछले वर्ष उन्हें मौलाना अबुल कलाम आजाद शिक्षा पुरस्कार नामक सम्मान से भी नवाजा गया था.
प्रो विनय कुमार कंठ अपने पीछे हजारों-लाखों विद्यार्थियों एवं शिक्षा प्रेमियों को छोड़ गये हैं. उनके निधन पर उनकी सहयोगी रहीं प्रो डेजी नारायण, प्रो नवल किशोर चौधरी, प्रो रणधीर कुमार सिंह के साथ ही पीयू शिक्षक संघ, पीयू कर्मचारी संघ व शिक्षा से जुड़े सभी लोगों ने दु:ख व्यक्त किया और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की.
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