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जनवरी में रिटायर फरवरी तक वेतन

पटना: पटना कलेक्ट्रिएट से जुड़ी एक शाखा में चतुर्थवर्गीय कर्मचारी को रिटायर तो 31 जनवरी 2014 को ही होना था, मगर उनसे मार्च महीने तक काम कराया गया. यही नहीं, उसे फरवरी महीने का वेतन भुगतान भी हुआ. मार्च की सैलरी भी मिल जाती, मगर उसी वक्त अचानक अधिकारियों की नींद टूटी और आनन-फानन में […]

पटना: पटना कलेक्ट्रिएट से जुड़ी एक शाखा में चतुर्थवर्गीय कर्मचारी को रिटायर तो 31 जनवरी 2014 को ही होना था, मगर उनसे मार्च महीने तक काम कराया गया. यही नहीं, उसे फरवरी महीने का वेतन भुगतान भी हुआ. मार्च की सैलरी भी मिल जाती, मगर उसी वक्त अचानक अधिकारियों की नींद टूटी और आनन-फानन में वेतन भुगतान रोक दिया गया. खबर उड़ते-उड़ते बड़े हाकिम तक भी पहुंच गयी है और जल्द ही इस मामले में किसी पर कार्रवाई होने की आशंका है.

दी थी मौखिक जानकारी
आधिकारिक जानकारी के मुताबिक डीएम की गोपनीय शाखा में कार्यरत चतुर्थवर्गीय कर्मचारी रामप्रीत चौधरी 31 जनवरी, 2014 को ही रिटायर करनेवाले थे. उन्होंने जनवरी के अंतिम सप्ताह में जिला स्थापना शाखा को इसकी मौखिक जानकारी भी दी, मगर उसकी बात हवा में उड़ा दी गयी. बाबू से लेकर पदाधिकारी तक किसी ने रेकॉर्ड देखने तक की जहमत नहीं उठायी. यह लापरवाही उनकी कार्यशैली को भी दिखाता है. इसके चलते 31 जनवरी के बाद भी रामप्रीत सामान्य रूप से कार्यालय पहुंच कर हाजिरी बनाते रहे. मार्च में उनको फरवरी महीने का वेतन भुगतान कर दिया गया.

मार्च में भी बनायी हाजिरी
मार्च में भी उनकी हाजिरी बनी. इयर इंडिंग की वजह से अप्रैल का वेतन बनाने में देरी हुई. समाहरणालय से जुड़े तमाम कर्मियों को मार्च महीने का वेतन अप्रैल में काफी विलंब से मिला था. इसी बीच, अचानक कागजात की जांच में उक्त कर्मी के पूर्व में ही रिटायर होने का पता चला. इसके बाद तो स्थापना शाखा के लिपिक से लेकर बाबू तक के हाथ-पैर फूल गये. आनन-फानन में बनी हुई सैलरी काटी गयी और भुगतान रोक दिया गया.

भविष्य को लेकर आशंकित
रामप्रीत चौधरी अब अपने भविष्य को लेकर आशंकित हैं. उनको चिंता सता रही है कि कार्यालय कर्मियों की लापरवाही का खामियाजा कहीं उनको न भुगतना पड़े. उनके सेवांत लाभ व पेंशन भुगतान में बाधाएं न खड़ी की जाय. गोपनीय शाखा से जुड़े कर्मी का मामला होने की वजह से इसकी सूचना डीएम तक पहुंच चुकी है. इसके बाद से ही स्थापना शाखा के तमाम अधिकारी-कर्मी परेशान हैं. किसी तरह मामले पर परदा डालने का प्रयास किया जा रहा है.

अभी तक मेरी जानकारी में मामला नहीं आया है. जहां हजार कर्मियों का वेतन बनता है, वहां एकाध मामला हुआ होगा. अगर ऐसा हुआ है, तो लापरवाही का मामला है और इसमें जिम्मेवारी तय करके निश्चित रूप से कार्रवाई की जायेगी.

मनोज कुमार, प्रभारी वरीय उपसमाहर्ता स्थापना शाखा, पटना

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