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विद्वान कवि व कथाकार सुरेंद्र स्निग्ध का निधन

पटना : हिंदी के विद्वान कवि और कथाकार सुरेंद्र स्निग्ध का सोमवार की देर शाम पटना के आईजीआईएमएस में निधन हो गया. 67 साल के सुरेंद्र स्निग्ध कुछ समय से बीमार चल रहे थे और कोमा में थे. वे पूर्णिया के सिंघयान गांव से थे. अपने पीछे पत्नी आलोका बनर्जी को छोड़ गये हैं. वे […]

पटना : हिंदी के विद्वान कवि और कथाकार सुरेंद्र स्निग्ध का सोमवार की देर शाम पटना के आईजीआईएमएस में निधन हो गया. 67 साल के सुरेंद्र स्निग्ध कुछ समय से बीमार चल रहे थे और कोमा में थे. वे पूर्णिया के सिंघयान गांव से थे. अपने पीछे पत्नी आलोका बनर्जी को छोड़ गये हैं. वे 2015 में पटना विवि के हिंदी विभागाध्यक्ष पद से सेवानिवृत्त हुए थे.
वे पटना विवि के परीक्षा नियंत्रक भी रहे. उन्हें नागार्जुन पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है. उनकी एक दर्जन से ज्यादा कविता संग्रह है. उन्होंने अग्नि की इस लपट में कैसे बचाऊं प्रेम कविता समेत क्षारण उपन्यास, जनसंस्कृति पंच लिखा. उनके निधन से साहित्य, राजनीतिक जगत, बुद्धिजीवियों और पटना विवि में शोक व्याप्त हो गया.
भाकपा-माले ने जताया शोक
पटना : हिंदी के वरिष्ठ प्रो. सुरेन्द्र स्निग्ध के निधन पर भाकपा माले ने गहरा शोक जताया है. उनके बीमार रहने के दौरान पटना के जगदीश मेमोरियल अस्पताल में भाकपा माले राज्य सचिव कुणाल, पार्टी नेता केडी यादव, संतोष सहर व अन्य माले नेताओं ने सुरेन्द्र स्निग्ध से मुलाकात की थी.
पार्टी ने कहा है कि अस्सी के दशक में बिहार में उभरे क्रांतिकारी किसान आंदोलन से प्रो. सुरेन्द्र स्निग्ध गहरे तौर पर प्रभावित थे और वे आजीवन भाकपा माले आंदोलन के हमदर्द बने रहे. उन्होंने जनता के संघर्षों को अपनी लेखिनी का विषय बनाया. वे जनता के दुखदर्द के लेखक थे और सामाजिक सरोकारों से गहरे तौर पर जुड़े रहे.

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