27.4 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बिहार : स्टांप की बिक्री निजी एजेंसी से कराने की तैयारी

प्रक्रिया पर उठ रहे सवाल, समीक्षा के दौरान वित्त विभाग के आला अधिकारियों ने दर्ज की आपत्ति पटना : जमीन की रजिस्ट्री समेत अन्य कोर्ट संबंधित कार्यों में स्टांप पेपर का उपयोग सबसे प्रमुखता से होता है. विभिन्न मूल्यों के स्टांप पेपर अलग-अलग काम के लिए उपयोग में आते हैं. इसे छापने से लेकर वितरण […]

प्रक्रिया पर उठ रहे सवाल, समीक्षा के दौरान वित्त विभाग के आला अधिकारियों ने दर्ज की आपत्ति
पटना : जमीन की रजिस्ट्री समेत अन्य कोर्ट संबंधित कार्यों में स्टांप पेपर का उपयोग सबसे प्रमुखता से होता है. विभिन्न मूल्यों के स्टांप पेपर अलग-अलग काम के लिए उपयोग में आते हैं.
इसे छापने से लेकर वितरण करने तक की पूरी प्रक्रिया सरकार के अधीन ही नियंत्रित होती है, लेकिन अब इस प्रणाली को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी चल रही है. निबंधन विभाग ने अपने स्तर पर इसकी कवायद तेज कर दी है. विभागीय स्तर पर इस बात से संबंधित प्रस्ताव तैयार करके इसे अंतिम रूप तक दे दिया है. अगर इस पर अंतिम रूप से मुहर लग गयी, तो सरकार को करोड़ों का नुकसान होगा. इसकी समीक्षा के दौरान वित्त विभाग के कुछ एक आ‌ला अधिकारियों ने इस पूरी प्रक्रिया पर आपत्ति दर्ज कीहै.
राज्य सरकार को कमीशन में देने पड़ेंगे लाखों के स्थान पर करोड़ों
निबंधन विभाग की इस नयी तैयारी से सबसे बड़ा नुकसान राज्य सरकार को कमीशन के रूप में देनेवाली राशि में होगी. वर्तमान में राज्य सरकार को बैंक चालान समेत अन्य माध्यमों से जो राशि मिलती है, उसे भंजवाने में सरकार को सालाना 50 लाख रुपये कमीशन के तौर पर ही बैंकों को देना पड़ता है.
जबकि अगर इसी काम को कोई निजी एजेंसी करेगी, तो उसे स्टांप से होनेवाली कुल राजस्व वसूली का 0.5 फीसदी कमीशन के तौर पर देना पड़ेगा. यह कंपनी ही पूरे राजस्व संग्रह का काम करेगी. मौजूदा आकलन के हिसाब से यह करीब 20 से 25 करोड़ रुपये के आसपास होगा, जो वर्तमान कमीशन से कई गुना अधिक है.
इससे राज्य को राजस्व में काफी बड़ा नुकसान होगा. 0.5 फीसदी कमीशन की जो राशि तय की गयी है, वह राजस्व संग्रह के अनुपात पर आधारित है. यानी प्रत्येक वर्ष विभाग का राजस्व संग्रह बढ़ने के साथ ही संबंधित निजी कंपनी का कमीशन भी करोड़ों में बढ़ता जायेगा. चालू वित्तीय वर्ष 207-18 में निबंधन से राजस्व संग्रह का लक्ष्य 4600 करोड़ रखा गया है. जबकि वित्तीय वर्ष 2015-16 में इसका लक्ष्य संग्रह 2900 करोड़ और 2016-17 में 3800 करोड़ रुपये था. इस तरह राजस्व संग्रह के साथ ही कमीशन की राशि बढ़ती जायेगी.
– यह है सबसे बड़ी समस्या: अभी सिर्फ स्टांप पर ही कमीशन लगता है, जिसका उपयोग किसी रजिस्ट्री में कम होता है. कुल रजिस्ट्री की कुछ राशि ही स्टांप के रूप में खरीदी जाती है, शेष राशि चालान के रूप में जमा होती है. निजी कंपनी को ठेका मिलने पर पूरी रजिस्ट्री राशि उसके माध्यम से ही जमा होगी.
– बिना टेंडर के ही दिया जा रहा निजी कंपनी को ठेका: निबंधन विभाग स्टांप पेपर को छापने व वितरण का पूरा ठेका जिस निजी एजेंसी ‘स्टॉक होल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड’ को दे रहा है. उसके लिए किसी तरह का टेंडर नहीं किया गया है. बिना टेंडर प्रक्रिया के ही संबंधित कंपनी को ठेका दिया जा रहा है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें