पटना: बच्चों का सबसे अधिक यौन शोषण करनेवालों में उनके परिचित ही होते हैं और उनमें भी सबसे अधिक उनके रिश्तेदार. वर्ष 2007 में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 53.22 प्रतिशत बच्चे कहीं-न-कहीं और किसी-न-किसी परिचित के यौन उत्पीड़न का शिकार होते हैं. इनमें 52.94 प्रतिशत बालक और 47.06 प्रतिशत बालिकाएं शामिल हैं.
महिला एवं बाल कल्याण मंत्रलय की यह रिपोर्ट देश के 13 राज्यों में किये गये एक सर्वे पर आधारित है. ये बातें शनिवार को बिहार ज्यूडिशियल एकेडमी के सभागार में आयोजित दो दिवसीय परामर्श कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए पटना हाइकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने कहीं. ‘बच्चों के यौन उत्पीड़न और प्रीवेंशन ऑफ द प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन अगेंस्ट सेक्सुअल ऑफेंस एक्ट-2012 (पॉक्सो)’ पर आयोजित इस दो दिवसीय परामर्श कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है.
न्यायमूर्ति अमानुल्लाह ने कहा कि बच्चों के विश्वास के साथ खिलवाड़ करने में अधिकतर उनके परिचित ही शामिल होते हैं. ऐसे में बच्चों को इंसाफ दिलाने में न्याय प्रक्रिया भी विफल हो जाती है और ऐसे मामलों में सजा दिलाने का आंकड़ा भी नहीं के बराबर है. राज्य स्तरीय इस परामर्श कार्यशाला का आयोजन यूनिसेफ, बिहार ज्यूडिशियल एकेडमी व चाणक्य नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी द्वारा किया जा रहा है. न्यायमूर्ति इकबाल अहमद ने कहा कि ऐसी सामाजिक समस्या से बच्चों को न्याय दिलाने में अधिवक्ता और सामाजिक संगठनों की बड़ी भूमिका हो सकती है. बिहार में यूनिसेफ की प्रमुख डॉ यामिनी मजूमदार ने कहा कि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा वर्ष 2012 में उपलब्ध कराये गये आंकड़ों के अनुसार उस साल देश भर में बाल यौनशोषण के कुल 8541 मामले दर्ज कराये गये थे, जबकि वर्ष 2011 में यह आंकड़ा 7112 का ही था.