पटना: राजधानी के जंकशन एरिया में सप्लाइ का पानी गंदे नाले में जा रहा है. खुली व खराब टोटी और पाइप में लीकेज के चलते प्रति दिन 2.25 लाख लीटर पानी बरबाद हो रहा है.
हालत यह है कि 24 घंटे में साढ़े 22 लाख गैलन पानी (एक गैलन में साढ़े चार लीटर) की मांग के बदले औसतन 23 लाख गैलन की सप्लाइ देनी पड़ रही है. औसतन 50 हजार गैलन पानी कुव्यवस्था की भेंट चढ़ रहा है.
10 रुपये प्रति लीटर के बाजार मूल्य के हिसाब जोड़ा जाये, तो रोजाना साढ़े 22 लाख का पानी बरबाद हो रहा है. पटना जंकशन एरिया में वाटर सप्लाइ के लिए सात टंकियां व सात पंप हैं. यहां से पटना जंकशन के सभी प्लेटफॉर्मो, जंकशन के बाहर के एरिया, लोको, मीठापुर व इस्ट रेलवे कॉलोनी, यार्ड और सेंट्रल रेलवे अस्पताल में सप्लाइ दी जाती है. प्लेटफॉर्म के अलावा करीब आठ किमी एरिया में वाटर सप्लाइ दी जाती है. सप्लाइ के लिए फैला पाइप का जाल बेहद कमजोर व जजर्र है. जगह-जगह लीकेज है, जिसके कारण स्वच्छ पानी गंदे पानी में बह जा रहा है. इस कुव्यवस्था के चलते रेलवे का विद्युत सेक्शन प्रति दिन डिमांड से 50 हजार ज्यादा गैलन पानी टंकी में सप्लाइ के लिए उपलब्ध कराता है.
करोड़ों रुपये खर्च फिर भी कुव्यवस्था
वाटर सप्लाइ व्यवस्था के लिए रेलवे की तरफ से यात्री वेलफेयर व कर्मचारी वेलफेयर का फंड इस्तेमाल होता है. मेंटेनेंस के लिए आइडब्ल्यू की तरफ से करोड़ों रुपये से ज्यादा के टेंडर होते हैं, लेकिन न तो सप्लाइ पाइप ठीक है और न ही पंप व टंकी की साफ-सफाई पर ध्यान दिया जा रहा है.