प्रशिक्षण के बाद इन जनप्रतिनिधियों को ‘न्यूट्रीशन चैंपियन’ की उपाधि दी जायेगी. बाकायदा इन्हें कुपोषण के खिलाफ जागरूकता के लिए प्रशिक्षित भी किया जा रहा है. इसकी शुरुआत दरभंगा से हो भी गयी है. पटना स्थित निदेशालय में बाकायदा स्टेट प्रोग्राम मैनेजमेंट यूनिट का भी गठन कर दिया गया है. इस यूनिट को अलग कार्यालय दिया गया है, जहां से पूरे प्रदेश में नजर रखी जा रही है.
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कुपोषण से जंग: अब पंचायत प्रतिनिधियों का भी मिलेगा साथ
पटना: करीब आठ साल पहले हुए सर्वे में कुपोषण की सबसे ज्यादा मार 19 जिलों में दिखी थी. कुछ साल पहले ही यह आंकड़ा सार्वजनिक हुआ तो अफसरों के कान खड़े हुए. केंद्र सरकार ने वर्ल्ड बैंक के साथ मिलकर पूरे देश से कुपोषण को खदेड़ने का बीड़ा उठाया है. इसी के तहत प्रदेश के […]
पटना: करीब आठ साल पहले हुए सर्वे में कुपोषण की सबसे ज्यादा मार 19 जिलों में दिखी थी. कुछ साल पहले ही यह आंकड़ा सार्वजनिक हुआ तो अफसरों के कान खड़े हुए. केंद्र सरकार ने वर्ल्ड बैंक के साथ मिलकर पूरे देश से कुपोषण को खदेड़ने का बीड़ा उठाया है. इसी के तहत प्रदेश के 19 जिलों में ‘स्निप’ (आईसीडीएस सिस्टम स्टेंडनिंग एंड न्यूट्रिशन इम्प्रूवमेंट प्रोग्राम) काम शुरू हो गया है. सरकारी मशीनरी तो इसमें जुटी हुई ही है, अब पंचायत प्रतिनिधियों को भी इसमें शामिल किया जा रहा है.
दरभंगा में प्रशिक्षण से हुई शुरुआत
दरभंगा के बेनीपुर विधानसभा में ‘स्निप’ के तहत जनप्रतिनिधियों को प्रशिक्षण देने का काम शुरू हो गया है. आधारभूत संरचना, सामाजिक जागरूकता, इनोवेशन आदि बिंदुओं को समाहित किया गया है. मुखिया, सरपंच, वार्ड मेंबरों को कुपोषण की तकनीकी बिंदुओं के बारे में बताया जा रहा है. इसके अलावा इससे बचाव के तरीके भी बताये जा रहे हैं. थोड़ी सी जागरूकता से बेहतर स्वास्थ्य कैसे किया जा सकता है, इसको लेकर भी बात हो रही है. प्रशिक्षण के बाद यही जनप्रतिनिधि सामाजिक जागरूकता के ‘मुखिया’ बनेंगे.
बौनेपन और कुपोषण को लेकर बड़े स्तर पर अभियान छेड़ा गया है. ‘स्निप’ इसी का बड़ा हिस्सा है. अगले कुछ सालों में कुपोषण को सौ फीसदी खत्म करना है. इसी लक्ष्य के साथ काम किया जा रहा है. इसमें जनप्रतिनिधियों का भी साथ लिया जायेगा. इनकी हर घर तक पहुंच होती है. इसलिए इनके साथ आने से कामयाबी जरूर मिलेगी.
आरएसपी दफ्तुआर, निदेशक, आईसीडीएस
यह है मकसद
बाल विकास परियोजनाओं की आधारभूत संरचनाओं को बेहतर किया जाये.
शून्य से तीन वर्ष तक के बच्चों के पोषण स्तर में सुधार किया जाये.
सात से 24 माह के अंदर कुपोषण का ज्यादा खतरा होता है, इसलिए इस उम्र में खास देखभाल.
सबसे ज्यादा प्रभावित जिले
l वैशाली l मुजफ्फरपुर l सीतामढ़ी l पू. चंपारण l प. चंपारण l गोपालगंज l दरभंगा l मधुबनी l समस्तीपुर l सहरसा l सुपौल l मधेपुरा l पूर्णिया l भागलपुर l मुंगेर l लखीसराय l जमुई l बक्सर l जहानाबाद
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