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कंट्रोल रूम से ही मालूम हो जायेगा कहां हुई ट्रिपिंग

पटना : अब ट्रिपिंग प्वाइंट की जानकारी के लिए लाइनमैन को लंबी पड़ताल नहीं करनी पड़ेगी और न ही उपभोक्ता को बिजली के आने का लंबा इंतजार करना होगा. कंट्रोल रूम में बैठे बैठे ही इंजीनियर समझ जायेंगे कि किस प्वाइंट पर ट्रिपिंग हुई है. उनसे प्राप्त सूचना के आधार पर लाइनमैन व मिस्त्री सीधे […]

पटना : अब ट्रिपिंग प्वाइंट की जानकारी के लिए लाइनमैन को लंबी पड़ताल नहीं करनी पड़ेगी और न ही उपभोक्ता को बिजली के आने का लंबा इंतजार करना होगा. कंट्रोल रूम में बैठे बैठे ही इंजीनियर समझ जायेंगे कि किस प्वाइंट पर ट्रिपिंग हुई है. उनसे प्राप्त सूचना के आधार पर लाइनमैन व मिस्त्री सीधे ट्रिपिंग प्वाइंट पर पहुंचेंगे और फॉल्ट को दूर कर जल्द बिजली को रीस्टोर किया जायेगा.

यह सब संभव होगा अत्याधुनिक स्काडा सिस्टम से जिसे लगाने का काम पूरा हो गया है. इसमें कुछ विशिष्ट उपकरणों की मदद से सेंट्रल कंट्रोल रूम में बैठे बैठे ही ट्रिपिंग प्वाइंट पर दूसरे स्रोत से बिजली बहाल करना भी संभव होगा.

51 आरटीयू देगा पल पल की जानकारी : पेसु के सभी 51 पावर सब स्टेशन को स्काडा सिस्टम से जोड़ा गया है. इसके लिए सभी पावर सब स्टेशन में एक एक रिमोट कंट्रोल यूनिट (आरटीयू) लगायी गयी है, जो स्काडा कंट्रोल रूम को पल पल की जानकारी देगा. इंस्टॉलेशन के बाद इनके क्षमता की जांच भी की गयी है, जिसमें 47 पूरी तरह ठीक पाये गये हैं.

लगाये गये हैं 500 फॉल्ट इंडिकेटर
ट्रिपिंग प्वाइंट की जानकारी देने के लिए बिजली के हाईटेंशन तार पर पूरे शहर में एक खास अंतराल पर फॉल्ट पैसेज इंडिकेटर लगाये गये हैं. यह तार पर लटका होता है और अपने भीतर लगे छोटे बैटरी से संचालित होता है. आपूर्ति के बाधित होते ही यह जलने बुझने लगता है. इसमें लगा मॉडम मोबाइल सिम की मदद से जानकारी कंट्रोल रूम को भेजता है.

305 आरएमयू का होगा इस्तेमाल
शहर के 305 प्रमुख जगहों और चौराहों पर जहां एक से ज्यादा फीडर की लाइन आती या जाती है, रिंग मेन्स यूनिट (आरएमयू) लगायी गयी है. इससे एक फीडर के ट्रिप करने पर उसे आइसोलेट कर दूसरे फीडर से संबंधित क्षेत्र में बिजली आपूर्ति की जा सकती है. इसका इस्तेमाल पेसू कंट्रोल रूम में बैठे बैठे रिमोट कंट्रोल से भी किया जा सकेगा.
स्काडा सिस्टम का इंस्टाॅलेशन पूरा हो गया है और सिस्टम एवलेवलिटी टेस्ट चल रहा है. इसके पूरा होते ही हम सिस्टम का इस्तेमाल शुरू कर देंगे. इससे फॉल्ट की जानकारी तुरंत मिल सकेगी, जिससे सीधे ट्रिपिंग स्थल पर पहुंच कर बिजली को जल्द रिस्टोर करना संभव होगा.
दिलीप कुमार सिंह, जीएम, पेसू.

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