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बिहार : केस चलता रहा, गंगा किनारे बनती रहीं बहुमंजिला इमारतें
वर्षों बाद भी निगम ने नहीं सुनाया फैसला पटना : गंगा किनारे बन रहे अवैध अपार्टमेंटों पर नगर निगम सिर्फ निगरानीवाद चला कर मौन हो गया है. निगम की सुस्त से बिल्डरों के अवैध निर्माण को लेकर हौसला बुलंद है. भले ही नगर निगम से चले अन्य संस्थानों की ओर से केस चलता रहा हो, […]
वर्षों बाद भी निगम ने नहीं सुनाया फैसला
पटना : गंगा किनारे बन रहे अवैध अपार्टमेंटों पर नगर निगम सिर्फ निगरानीवाद चला कर मौन हो गया है. निगम की सुस्त से बिल्डरों के अवैध निर्माण को लेकर हौसला बुलंद है. भले ही नगर निगम से चले अन्य संस्थानों की ओर से केस चलता रहा हो, लेकिन निर्माण के रोक पर निगम की नजर नहीं है.
वर्षों पहले इस पर निगम की ओर से निगरानीवाद का मामला दायर किया गया हो, लेकिन निगम इन मामलों की नियमित सुनवाई करता है. बावजूद इसके अाज भी निर्माण कार्य को तेजी से पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है. अब तो लगभग अवैध निर्माण तन कर खड़े हो गये हैं. प्रभात खबर शहर को अवैध निर्माण के खिलाफ लगातार अभियान चला रहा है.
शुक्रवार को राजपुर पुल के आगे मैनपुरा मार्ग पर गंगा किनारे बन रहे अपार्टमेंट के निर्माण की पड़ताल की गयी.रास्ता भी नहीं, फिर भी निर्माण: गंगा किनारे एलसीटी घाट की तरफ एक ही निर्माण कंपनी के तीन जी प्लस 10 फ्लोर के अपार्टमेंट टावर का निर्माण किया जा रहा है. निगम ने इन अपार्टमेंट पर वर्ष 2012 में ही निगरानीवाद (20b/2012) शुरू किया था. तब से अभी तक अपार्टमेंट के तीनों टावर पर अवैध निर्माण की कार्रवाई चल रही है. अपार्टमेंट जाने के लिए सीधे तौर पर कोई अधिकृत रास्ता नहीं है. गंगा किनारे जाने के लिए बने रास्ते का इस्तेमाल किया जा रहा है. जो कई जगहों पर 20 फुट से कम है. इतने कम चौड़े रास्ते पर इतने बड़े भवन का निर्माण भी एक बड़ा मसला है. जो सीधे तौर पर बिल्डिंग बायलाॅज का उल्लंघन कर रहा है. निगरानीवाद दायर करने के बाद निर्माण जारी है. कई और कंपनियों के अपार्टमेंट वर्क भी चल रहे हैं.
एनजीटी से लेकर सिया तक का मामला
अपार्टमेंट का निर्माण गंगा किनारे होने के कारण नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में भी मामला चल रहा है. इसके अलावा स्टेट इनवायरमेंट इंपैक्ट असेसमेंट अथाॅरिटी (सिअा) स्तर पर भी गंगा किनारे बन रहे भवनों के निर्माण पर कार्रवाई होती है. गंगा किनारे भवन जी प्लस दस होने के कारण नगर निगम के निगरानीवाद का भी मामला चल रहा है. इतने पेचों के बावजूद निर्माण कार्य पर कोई असर नहीं है.
ड्रेनेज व सीवरेज के लिए व्यवस्था नहीं
गंगा किनारे बन रहे इस तरह के भवन के लिए ड्रेनेज व सीवरेज की कोई व्यवस्था नहीं होती. नगर निगम भी इन अपार्टमेंटो के लिए ऐसी कोई व्यवस्था नहीं करता. फिर अपार्टमेंट पाइप लाइन सीधे गंगा में गिराये जाते है. इससे गंगा प्रदूषित होती है.
ठंडा पड़ा मामला
बीते वर्ष बरसात में गंगा किनारे राजापुर पुल के आगे मैनपुरा में बने गंगा अपार्टमेंट में पानी भराव होने के बाद नगर विकास व आवास विभाग के मंत्री ने नगर निगम को गंगा किनारे बने भवनों के प्रामाणिकता की जांच करने का आदेश दिया था.
जांच में निगम को भवन का नक्शा पास है कि नहीं, अपार्टमेंट के किनारे गंगा बांध की सुरक्षा से लेकर ड्रेनेज सीवरेज की स्थिति की जांच करनी थी. बाद में नगर आयुक्त ने बताया था कि निगम ने अपनी जांच रिपोर्ट नगर विकास व आवास विभाग के प्रधान सचिव को भेज दी है. उसके बाद ना ही विभाग की अोर से कोई आगे की कार्रवाई की गयी और ना ही विभाग ने रिपोर्ट को कार्रवाई के लिए नगर निगम के पास भेजा.
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