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बिहार : सामान्य केस में करा रहे आईवीएफ, बच्चा पैदा करने के नाम पर लूट का हो रहा गोरखधंधा
खुलेआम : कुछ निजी अस्पताल जान कर आईवीएफ कराने को कर देते हैं मजबूर आनंद तिवारी पटना : पटना के निजी अस्पतालों में टेस्ट ट्यूब बेबी तकनीक, आईवीएफ (इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन) के नाम पर लोगों को लूटने का धंधा धड़ल्ले से चल रहा है. प्राइवेट अस्पतालों में महिलाओं से सामान्य कन्सीव यानी बच्चा पैदा न होने […]
खुलेआम : कुछ निजी अस्पताल जान कर आईवीएफ कराने को कर देते हैं मजबूर
आनंद तिवारी
पटना : पटना के निजी अस्पतालों में टेस्ट ट्यूब बेबी तकनीक, आईवीएफ (इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन) के नाम पर लोगों को लूटने का धंधा धड़ल्ले से चल रहा है. प्राइवेट अस्पतालों में महिलाओं से सामान्य कन्सीव यानी बच्चा पैदा न होने की बात कह कर आईवीएफ के नाम पर लाखों रुपये वसूले जा रहे हैं और इसके बाद भी उनके हाथ निराशा ही लग रही है.
राजधानी में कई ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जिनमें निजी अस्पतालों में आईवीएफ कराने के बाद महिलाओं को निराशा हाथ लगी है, लेकिन बाद में सामान्य इलाज करा कर प्रेग्नेंसी हुई है. कुर्जी अस्पताल, पीएमसीएच व आईजीआईएमएस में डिलिवरी के बाद खुलासा हुआ है. विशेषज्ञ डॉक्टरों के मुताबिक कुछ निजी अस्पताल सामान्य केस में भी आईवीएफ करा कर खुलेआम लोगों को ठग रहे हैं.
– कुछ
खास तथ्य
-जब सारी प्रजनन की तकनीक फेल हो जाती है, तब आईवीएफ तकनीक का प्रयोग किया जाता है
-इस तकनीक का सहारा 30 साल से ऊपर की महिलाओं में होता है
-शादी के बाद अगर
डेढ़ साल तक कन्सीव नहीं
होता, तब विशेषज्ञ डॉक्टर को दिखाएं
– बांझपन के
मुख्य कारण
-महिला व पुरुष दोनों
की शादी अधिक उम्र में होना
-महिलाओं में 20 से 25 साल तक बच्चा होने की संभावना बहुत ज्यादा होती है
-डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, धूम्रपान, ओबेसिटी, लाइफ स्टाइल के कारण भी बांझपन की समस्या आती है
ऐसे होता है आईवीएफ
आईवीएफ यानी टेस्ट ट्यूब बेबी प्रक्रिया में लैब में शुक्राणुओं से अंड कोशिकाओं का निषेचन कराया जाता है. इससे मरीज को हार्मोंस संबंधी इंजेक्शन दिये जाते हैं, ताकि उसके शरीर में अंड कोशिकाएं अधिक बनने लगे. इसके बाद अंडाणुओं को अंडकोश से निकाल कर उसे नियंत्रित वातावरण में मरीज के साथी के शुक्राणु से निषेचित कराया जाता है.
इसके बाद सफल गर्भावस्था के उद्देश्य से निषेचित अंडाणु को मरीज के गर्भाशय में ट्रांसप्लांट किया जाता है.
ऐसे हो रही धोखाधड़ी
– केस 1: बिहटा की रहनेवाली 25 वर्षीय सोनी (बदला हुआ नाम) को शादी के दो साल तक बच्चा नहीं हुआ. राजेंद्र नगर के एक प्राइवेट अस्पताल में दिखाया़ डॉक्टर ने कहा कि वह सामान्य कन्सीव नहीं कर सकतीं. उन्हें आईवीएफ करा लेना चाहिए. उन्होंने कंकड़बाग आईवीएफ सेंटर में 2.5 लाख खर्च कर आईवीएफ कराया, लेकिन सफलता नहीं मिली. बाद में नाॅर्मल डिलिवरी हुई़
– केस 2: दानापुर की रहनेवाली पिंकी (बदला हुआ नाम) की उम्र 26 साल है. शादी के ढाई साल बाद भी बच्चा न होने पर उन्होंने दीघा आशियाना रोड स्थित के एक नर्सिंग होम में दिखाया. डॉक्टर ने बताया कि उनकी ओवरी में अंडे नहीं बन सकते. डॉक्टर ने उन्हें आईवीएफ सेंटर पर रेफर किया. डेढ़ लाख रुपये खर्च होने के बाद उसका आईवीएफ किया गया, लेकिन वह सफल नहीं हुआ.
सामान्य इलाज के बाद पिंकी प्रेग्नेंट हो गयीं.
डॉक्टर ने कहा कि दो से तीन बार यह प्रॉसेस किया जाता है, उसके बाद सफलता मिलती है. महिला के पति राजेश के पास इतने रुपये नहीं थे. वह पीएमसीएच अस्पताल पहुंचे. यहां पर सामान्य इलाज के बाद पिंकी एक साल के अंदर ही प्रेग्नेंट हो गयीं. पांच महीने बाद पिंकी मां बन जायेंगी.
क्या कहती हैं एक्सपर्ट डॉक्टर
अगर पति का स्पर्म ठीक नहीं है या महिला का अंडा निकल नहीं पा रहा है, तो आईवीएफ की जरूरत होती है. डॉक्टर आपको आईवीएफ के लिए कहें, तो विशेषज्ञ डॉक्टर से जरूर मिलें.
– डॉ कुसुम गोपाल, स्त्री व प्रसूति रोग विभाग, एनएमसीएच.
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