डीएम संजय कुमार अग्रवाल ने बताया कि इसकी शुरुआत बुधवार को हो गयी. टीम ने विभिन्न जगहों से 19 पानी की एजेंसियों में जाकर पानी का सैंपल लिया. इन एजेंसियों का अलग से एक डाटाबेस भी बनाया जा रहा है, जिसमें मालिक का पता एवं मोबाइल नंबर रहेगा. फैक्टरी के महाप्रबंधक, जिला उद्योग केंद्र कार्यालय में अपना विवरण दर्ज करायेंगे.
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मिनरल वाटर फैक्टरी का मामला: मानक में मिली गड़बड़ी तो लाइसेंस होगा रद्द
पटना : पटना में मिनरल वाटर के नाम पर खराब पानी बेचने वाली एजेंसियों में मानक की गुणवत्ता नहीं पायी गयी, तो उसका लाइसेंस रद्द कर दिया जायेगा. इसके लिए अनुमंडल स्तर पर टीम बनायी गयी है, जिसमें दो अधिकारी रहेंगे. यह अधिकारी हर सप्ताह एजेंसी में जाकर सैंपल लेंगे और 15 दिनों पर रिपोर्ट […]
पटना : पटना में मिनरल वाटर के नाम पर खराब पानी बेचने वाली एजेंसियों में मानक की गुणवत्ता नहीं पायी गयी, तो उसका लाइसेंस रद्द कर दिया जायेगा. इसके लिए अनुमंडल स्तर पर टीम बनायी गयी है, जिसमें दो अधिकारी रहेंगे. यह अधिकारी हर सप्ताह एजेंसी में जाकर सैंपल लेंगे और 15 दिनों पर रिपोर्ट बनाकर संबंधित अनुमंडल में जमा करायेंगे.
पीएचईडी लैब में होगी सैंपल की जांच : डीएम ने बताया कि एजेंसियों से लिये गये सैंपल की जांच पीएचईडी के लैब में की जायेगी. रिपोर्ट तैयार होने के बाद आगे की कार्रवाई होगी. अगर किसी एजेंसी के पानी में खराबी मिली, तो उस एजेंसी को तुरंत सील कर दिया जायेगा. सभी अनुमंडल पदाधिकारी अपने क्षेत्र अंतर्गत चल रहे ऐसे दुकानों का निरीक्षण करेंगे और कागजात की जांच भी करेंगे. जांच में यह देखा जायेगा पैकेजिंग के स्थान की स्वच्छता बेहतर है या नहीं. गुणवत्ता प्रभावित हुई, तो एजेंसी के खिलाफ कार्रवाई होगी.
की जायेगी कठोर कार्रवाई
मिनरल वाटर व्यापार में जुड़ी सभी एजेंसियां गुणवत्ता जांच संबंधी प्रमाण पत्र को ऐसी जगह पर रखें जहां किसी भी आम व्यक्ति को दिखायी दे. मानक गुणवत्ता के अनुरूप उत्पाद नहीं होने की स्थिति में विक्रेता पर कठोर कार्रवाई की जायेगी.
संजय कुमार अग्रवाल, डीएम, पटना
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