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24 घंटे कैंटीन की सुविधा नहीं मिलने से नाराजगी

पटना सिटी : नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की ओर से पीजी की सीट बढ़ाये जाने के बाद विद्यार्थियों की तादाद बढ़ गयी है. उस अनुकूल अस्पताल प्रशासन ने सुविधाओं में वृद्धि नहीं की. स्थिति यह है कि अस्पताल में जहां पीजी स्टूडेंट के लिए पुस्तकालय की सुविधा होनी चाहिए थी, […]

पटना सिटी : नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की ओर से पीजी की सीट बढ़ाये जाने के बाद विद्यार्थियों की तादाद बढ़ गयी है.

उस अनुकूल अस्पताल प्रशासन ने सुविधाओं में वृद्धि नहीं की. स्थिति यह है कि अस्पताल में जहां पीजी स्टूडेंट के लिए पुस्तकालय की सुविधा होनी चाहिए थी, वह नहीं मिली. सबसे अहम बात की अस्पताल की इमरजेंसी में कार्य करने वाले जूनियर डॉक्टरों के लिए एक ही कक्ष है, जिसमें मेडिसिन, सर्जरी व आर्थों के जूनियर बैठते है.

ऐसे में कार्य करने में परेशानी होती है. जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष रवि रंजन कुमार रमन व सचिव राहुल शेखर बताते है कि अस्पताल प्रशासन को इस दिशा में ध्यान दिलाया गया, लेकिन अब तक सुविधा नहीं मिल पायी. स्थिति यह है कि कॉलेज में पुस्तकालय की सुविधा मिलने से अस्पताल से तीन किलोमीटर दूर जाकर पढ़ना संभव नहीं हो पाता है.

इमरजेंसी में अलग कक्ष नहीं रहने की स्थिति में एक साथ चार मरीज अलग-अलग बीमारी के आ जाये,तो परेशानी होती है.

जूनियर डॉक्टरों ने अधीक्षक को दिया आवेदन : पटना सिटी. नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के सदस्यों ने सोमवार को अस्पताल अधीक्षक डॉ आनंद प्रसाद सिंह को मांगों का ज्ञापन सौंपा है. संघ के अध्यक्ष रवि रंजन कुमार रमन,सचिव राहुल शेखर, डॉ निर्मल, डॉ रिजवान, डॉ उमेश, डॉ शिखा डॉ ममता, डॉ सुबोध, समेत अन्य चिकित्सक ने ज्ञापन में सुरक्षा के लिए हथियार से लैस पुलिसकर्मी की तैनाती करने समेत अन्य मांगों को उठाया है.

सुरक्षा का भी हो इंतजाम

सुरक्षा गार्ड के सहारे नहीं बल्कि हथियार से लैस पुलिसकर्मियों की तैनाती हो, खास तौर पर अस्पताल के इमरजेंसी और आईसीयू में यह व्यवस्था होनी चाहिए. इमरजेंसी में मरीज के साथ एक या दो परिजन के रहने की व्यवस्था होनी चाहिए. अस्पताल प्रशासन ने जूनियर की इस मांग पर अस्पताल में यह व्यवस्था प्रभावी बनाने की बात कही है. अधीक्षक डॉ आनंद प्रसाद सिंह कहते हैं कि इमरजेंसी व महिला व प्रसूति विभाग में यह व्यवस्था लागू किया गया है. 24 घंटे कैंटीन की सुविधा अस्पताल में नहीं मिलने से जूनियर डॉक्टरों को परेशानी होती है.

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