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बिहार : वेबसाइट से हटी अवैध निर्माण की सूची, खरीदार खा सकते हैं धोखा
कैसे पता चलेगा अवैध निर्माण का मामला नये अवैध निर्माण का संज्ञान लेने में भी निगम बरत रहा सुस्ती अनिकेत त्रिवेदी पटना : शहर में अवैध निर्माण को लेकर नगर निगम की सुस्ती जाहिर है, लेकिन नगर निगम अब अवैध निर्माण के मामले को छुपाने में भी लग गया है. फिलहाल वर्षों से चल रहे […]
कैसे पता चलेगा अवैध निर्माण का मामला
नये अवैध निर्माण का संज्ञान लेने में भी निगम बरत रहा सुस्ती
अनिकेत त्रिवेदी
पटना : शहर में अवैध निर्माण को लेकर नगर निगम की सुस्ती जाहिर है, लेकिन नगर निगम अब अवैध निर्माण के मामले को छुपाने में भी लग गया है. फिलहाल वर्षों से चल रहे अवैध निर्माण की पूरी लिस्ट का नगर निगम ने अपने वेबसाइट से ही हटा दिया है. पुराने मामलों से लेकर नये मामलों के लिए लिस्ट को गायब लेकर दिया गया है. इसके अलावा बड़े अवैध निर्माण पर चल रही कार्रवाई के अलावा नगर आयुक्त के कोर्ट के फैसले को भी अपडेट नहीं किया जा रहा है.
ऐसे में एक तरफ नगर निगम अवैध निर्माण के मामले को नगर निगम से दबाने की कार्रवाई नहीं की जा रही है. इसके अलावा लोगों को इसके बारे में जानकारी भी नहीं मिल रही है. ऐसे में अगर कोई शहर में कोई निर्माण खरीदना चाहता है, तो उनको नगर निगम की वेबसाइट से जानकारी नहीं मिल सकती है. ऐसे में कोई व्यक्ति खरीदता है, तो उसे खरीदने में धोखा मिलसकता है.
नये मामलों का डाटा भी नहीं रखा जा रहा, अवैध निर्माण को लेकर कोर्ट तो लगाया जाता है पर नहीं की जाती कार्रवाई
पहले तो निगम अवैध निर्माण की कार्रवाई करने से बचता रहा है. बीते डेढ़ वर्षों से नगर आयुक्त अभिषेक सिंह अवैध निर्माण को लेकर कोर्ट लगाते है, लेकिन मामले को आगे की कार्रवाई पर छोड़ दिया जाता है. इसके अलावा वर्ष 2017 में अब तक निगम ने स्व संज्ञान लेकर कितने मामलों पर निगरानीवाद चला रहा है. इसका डाटा भी नगर निगम के पास नहीं है. पूछने पर संबंधित अधिकारी भी इसका जवाब नहीं दे पाते. जबकि विगत कई वर्षों से इस तरह की कार्रवाई का प्रतिशत की काफी कम है.
नगर निगम ने वर्ष 2013 में 310 मामलों पर अवैध निर्माण लेकर निगरानीवाद चलाया, लेकिन निबटारा केवल 6 मामलों का किया गया. वहीं वर्ष 2014 में 235 मामलों में 167, वर्ष 2015 मामलों में 333 में 41 व वर्ष 2016 में 74 मामलों में मात्र 12 मामले को निपटाया गया.
क्यों जरूरी है अवैध निर्माणों को जाहिर करना : अवैध निर्माणों को पब्लिक डोमेन में रखने के पीछे कई फायदे हैं. अवैध निर्माणों पर कार्रवाई की जानकारी मिलने से लोगों इस तरह के निर्माण करने से डरते हैं. वहीं कोई अपार्टमेंट में फ्लैट खरीदने जाता है तो निगम की वेबसाइट से उस निर्माण की पूरी जानकारी मिल जाती है.
30 दिनों में तोड़ने का मिला है आदेश :
हाल में ही नगर निगम ने नूतन राजधानी अंचल के कवि रमन पथ नागेश्वर कॉलोनी में स्थित प्लॉट नंबर 132 व खाता नंबर 409 के अवैध निर्माण को 30 दिनों के भीतर तोड़ने का आदेश दिया है. इसके लिए पांच लोगों की नगर निगम स्तर पर टीम भी बनी है.
क्या कहते हैं आंकड़े
वर्ष मामले निबटारा
2003 232 20
2004 317 36
2005 172 18
2006 934 356
2007 100 71
2008 85 38
2009 56 37
2010 34 01
2011 132 104
2012 211 26
जानकारी क्यों हटायी मामले को देखा जायेगा
वेबसाइट से क्यों हटाया गया, इस मामले को देखा जायेगा. वैसे अगर किसी भवन पर अवैध निर्माण को लेकर निगरानीवाद चल रहा है, तो नगर निगम कार्यालय में आकर जानकारी ले सकता है.
– अभिषेक सिंह, नगर आयुक्त
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