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बिहार : उर्दू के शिक्षक तैयार कर रहे गणित का लर्निंग इंडिकेटर
पटना : प्रारंभिक स्कूलों के बच्चों के लर्निंग इंडिकेटर तैयार करने में अनियमितता का मामला सामने आया है. एक तरफ जहां उर्दू के शिक्षक ने गणित का लर्निंग इंडिकेटर तैयार किया, वहीं लर्निंग इंडिकेटर तैयार करवाने के लिए संबंधित विषय विशेषज्ञों की जगह भी दूसरे विषयों के शिक्षकों को को-ऑर्डिनेटर बनाया गया. यह अनियमितता बिहार […]
पटना : प्रारंभिक स्कूलों के बच्चों के लर्निंग इंडिकेटर तैयार करने में अनियमितता का मामला सामने आया है. एक तरफ जहां उर्दू के शिक्षक ने गणित का लर्निंग इंडिकेटर तैयार किया, वहीं लर्निंग इंडिकेटर तैयार करवाने के लिए संबंधित विषय विशेषज्ञों की जगह भी दूसरे विषयों के शिक्षकों को को-ऑर्डिनेटर बनाया गया.
यह अनियमितता बिहार स्टेट काउंसिल ऑफ एजुकेशन रिसर्च एंड ट्रेनिंग (एससीईआरटी) में सामने आयी है. प्रारंभिक स्कूलों के बच्चों का हर साल लर्निंग इंडिकेटर तैयार किया जाता है. इसके जरिये बच्चों को संबंधित विषयों के बारे में संक्षिप्त रूप से समझाया जाता है.
इसे तैयार करने के लिए विषय वार शिक्षकों को एससीईआरटी में बुलाया जाता है, जो उन विषयों का लर्निंग इंडिकेटर तैयार करते हैं. प्रारंभिक स्कूलों में विषय वार शिक्षकों के नहीं होने की वजह से उर्दू में ही अपनी पढ़ाई करने वाले शिक्षक से गणित तक का लर्निंग इंडिकेटर तैयार करवा लिया गया. वहीं, हिंदी के जानकार एक शिक्षक को उर्दू के लिए राशि का भुगतान भी कर दिये जाने की बात है.
इसके अलावा जिस विषय का लर्निंग इंडिकेटर तैयार हो रहा है को-ऑर्डिनेट भी उसी विषय से होने चाहिए, ताकि किसी प्रकार की त्रुटि होने पर उसे सुधारा जा सके. लेकिन इसे भी नजरअंदाज किये जाने का मामला दिख रहा है. भौतिकी के शिक्षक को गणित का, होम साइंस के शिक्षक को पर्यावरण का, साइकोलॉज के शिक्षक को हिंदी का, बॉटनी के शिक्षक को भौतिकी-राजनीति विज्ञान का तो संस्कृत के शिक्षक को भूगोल, इतिहास, अर्थशास्त्र व राजनीतिक शास्त्र जैसे विषयों का को-ऑर्डिनेटर बनाया गया.
कैसे मिलेगी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा
लर्निंग इंडिकेटर में इस प्रकार की अनिमितता से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की बात बेमानी है. क्योंकि संबंधित विषय के शिक्षक ही इसे तैयार नहीं कर रहे हैं.
करेंगे और उसकी मॉनीटरिंग भी सही तरीके से नहीं होगी तो बच्चों तक जैसी भी जानकारी दी जायेगी वे वही सीखेंगे.
लर्निंग इंडिकेटर तैयार करने की प्रक्रिया फरवरी-मार्च में हुई थी. उस समय वे यहां नहीं थीं और अगस्त महीने में उन्होंने योगदान किया है. अगर इसमें अनियमितता हुई थी तो गलत हुआ होगा. कार्यालय खुलने के बाद मामले को देखेंगे.
– मंजू दास, निदेशक, एससीईआरटी
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