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कब्जे के कमरे में चल रहा रेल थाना

बाढ़ : बाढ़ रेल थाने में संसाधनों की कमी के कारण पुलिसकर्मी को काम करने में परेशानी हो रही है. पुलिस बल की कमी की वजह से बदमाशों को गिरफ्त में लेना मुश्किल काम साबित हो रहा है. पटना और मोकामा रेलखंड के बीच में स्थित बाढ़ रेलवे स्टेशन पर हर दिन करीब तीन दर्जन […]

बाढ़ : बाढ़ रेल थाने में संसाधनों की कमी के कारण पुलिसकर्मी को काम करने में परेशानी हो रही है. पुलिस बल की कमी की वजह से बदमाशों को गिरफ्त में लेना मुश्किल काम साबित हो रहा है. पटना और मोकामा रेलखंड के बीच में स्थित बाढ़ रेलवे स्टेशन पर हर दिन करीब तीन दर्जन रेल गाड़ियां ठहरती है. इनसे हजारों यात्री प्रतिदिन आवाजाही करते हैं.
चोर उचक्कों की नजरे इन यात्रियों पर टीकी रहती है. रेल पुलिस विधि व्यवस्था और सुरक्षा को लेकर कब्जे के दो कमरे में चल रहे थाने में कामकाज निबटा रही है. एक में सिपाही का बैरक है, जबकि दूसरे में थानाध्यक्ष का कक्ष है. सहायक अधिकारी बरामदे में टेबुल कुर्सी बिछाकर अपनी ड्यूटी पूरी करते हैं. तीन लंबे प्लेटफॉर्म पर तीन शिफ्ट में रेल पुलिसकर्मियों को कई बार फेरे लगाकर पहरा देना पड़ता है. पुलिस बल की कमी के कारण कभी कभार अपराधी चकमा देकर कानून के शिकंजे से फरार हो जाते हैं.
बाढ़ रेल थाने में अभी थानाध्यक्ष, चार सहायक उपनिरीक्षक, तीन हवलदार, दो डीपीसी, एक पीटीसी, तीन सिपाही, एक होमगार्ड और एक महिला पुलिस कर्मी पदस्थापित है. फिलहाल चार आर्म्स गार्ड, पहरे के लिए तीन पुलिसकर्मी और अथमलगोला स्टेशन के लिए तीन सिपाहियों की जरूरत है.
इसके लिए विभागीय चिठ्ठियां भेजी जाती रही, लेकिन लालफीताशाही की दीमक इनके अक्षरों को निगल जाती है. बाढ़ रेल थाने में बंदी हाजत नहीं है. रेल थानाध्यक्ष सुरेश राम ने बताया कि बाढ़ रेल थाने का प्रस्ताव विभागीय स्तर पर भेजा जा चुका है.
पश्चिमी रेल गुमटी के पास नया भवन बनाया जाना है. पुलिस बल की कमी को लेकर भी उच्च अधिकारियों से मांग किया गया है. यह सच है कि कर्मियो की कमी से ड्युटी में परेशानी होती है.

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