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बिहार : गंगा नदी में बड़ा हादसा, समय पर मिलती मदद तो बच जाती जान
श्याम सुंदर केसरी फतुहा : घटना के बाद से मिर्जापुर नोहटा गांव में मातम का माहौल पसरा है. चारों ओर चीत्कार से माहौल बिल्कुल गमगीन है. मृतक के परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है. मिर्जापुर नोहटा निवासी शंकर यादव की पत्नी उषा देवी और उसकी एक पुत्री छोटी कुमारी की मौत हुई है. उसके भाई […]
श्याम सुंदर केसरी
फतुहा : घटना के बाद से मिर्जापुर नोहटा गांव में मातम का माहौल पसरा है. चारों ओर चीत्कार से माहौल बिल्कुल गमगीन है. मृतक के परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है. मिर्जापुर नोहटा निवासी शंकर यादव की पत्नी उषा देवी और उसकी एक पुत्री छोटी कुमारी की मौत हुई है. उसके भाई बिहारी यादव के पुत्र गौतम कुमार की भी मौत हुई है, वहीं उसका एक पुत्र गौरव कुमार अभी लापता है.
उसी गांव के अरुण प्रसाद की पुत्री आरती कुमारी और राधेश्याम प्रसाद की पुत्री राजो कुमारी की भी इस हादसे में मौत हुई है. वहीं रामबली यादव की पुत्री संजना कुमारी भी डूबी है, जिसका पता भी तक नहीं चल पाया है. शंकर यादव खेती करते हैं. वहीं इनके भाई बिहारी यादव यार्ड में मजदूरी का कार्य करते हैं, जबकि राधेश्याम प्रसाद और रामबली यादव भी मजदूरी करते हैं. दो घंटे विलंब से पहुंची एनडीआरएफ की टीम
हादसा 12 बजे के करीब का है, जबकि स्थानीय प्रशासन से लेकर पटना और वैशाली जिले के आलाधिकारियों को जानकारी होने के बावजूद सभी लोग दो घंटे विलंब से लगभग दो बजे के आसपास घटनास्थल पर पहुंचे. इसके बावजूद जब अधिकारी वहां पर पहुंचे अधिकारियों के पास न तो गोताखोर थे और न ही एनडीआरएफ की टीम.
स्थानीय मिर्जापुर नोहटा के युवकों द्वारा काफी मशक्कत के बाद डूबे आठ लोगों में से छह लोगों के शवों को निकाला गया. लोगों का मानना है कि घटनास्थल पर अगर एनडीआरएफ की टीम होती, तो कुछ लोगों की जान बच सकती थी. हालांकि सूचना के बाद लगभग तीन बजे के आसपास एनडीआरएफ की टीम पहुंची, तो शवों को खोजना शुरू किया. लेकिन देर शाम तक दो लोगाें का पता नहीं चल सका. प्रशासन की लेटलतीफी से परिजनों में आक्रोश था.
हादसे पर शोक व्यक्त किया
फतुहा में दर्दनाक हादसे पर जदयू के प्रदेश युवाध्यक्ष संतोष कुशवाहा, स्थानीय विधायक डॉ रामानंद यादव, भाजपा के वरिष्ठ नेता डॉ संजय यादव, माले नेता शैलेंद्र यादव ने शोक व्यक्त किया है.
– खतरनाक घाट घोषित रहने के
बाद भी कैसे उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़
स्थानीय प्रशासन द्वारा छठ पूजा के दौरान ही मस्ताना घाट को खतरनाक
घोषित कर दिया गया था, इसके बावजूद कार्तिक पूर्णिमा के दिन हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने गंगा में डुबकी लगायी और पूजा अर्चना की. शुक्र है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन किसी प्रकार का हादसा नहीं हुआ, परंतु ठीक उसके दूसरे दिन ही यह हादसा हो गया.
– शवों को पोस्टमार्टम के लिए
पुलिस ने भेजा एनएमसीएच
फतुहा. सभी छह शवों को पोस्टमार्टम के लिए फतुहा थानाध्यक्ष नसीम अहमद ने एनएमसीएच भेज दिया है, जहां जिलाधिकारी के आदेश पर देर रात पोस्टमार्टम किया जायेगा. इधर मृतक के परिजनों को चार–चार लाख रुपये का चेक अनुमंडल पदाधिकारी, पटना सिटी राकेश रौशन, सीओ संजीव कुमार ने दिया. मौके पर बीडीओ राकेश कुमार, नगर पंचायत के पूर्व उपाध्यक्ष सजय गोप सहित कई मौजूद थे.
– प्रशासनिक अमला रहा विफल
फतुहा. हादसे के समय स्थानीय युवाओं की तत्परता दिखी, पर प्रशासनिक अमला पूरी तरह विफल साबित हुआ. एक ओर सरकार आपदा से निबटने के लिए लाखों खर्च कर सेमिनार और गोष्ठी कराती रही है, उसके बावजूद भी आपदा के समय सरकार का सारा तंत्र निष्क्रिय नजर आता है.
घटना के समय स्थानीय युवाओं श्रवण राज उर्फ छोटू, राहुल, गौरव, काजू, सीताराम, संजय, जितेंद्र के प्रयास से ही सभी छह शवों को निकाला गया. स्थानीय लोगों ने बताया कि जब तक प्रशासन की विभिन्न टीमें आतीं, तब तक स्थानीय लोगों ने गहरे पानी से शवाें को निकाला और पुलिस के हवाले किया.
एसडीओ को झेलना पड़ा विरोध
फतुहा. नावों के परिचालन पर रोक रहती, तो नहीं होता हादसा. यह हादसा पूर्णत: प्रशासनिक विफलता के कारण हुआ है. विदित हो कि छठ पूजा और कार्तिक पूर्णिमा के मद्देनजर नदी में नावों के परिचालन पर रोक थी.
बावजूद नावों का परिचालन जारी रहा. हालांकि अंचलाधिकारी ने पांच नावों को जब्त कर उन पर मुकदमा किया था, फिर भी रविवार को नावों का परिचालन चालू था और दियारे के लोगों के अलावा भारी संख्या में मस्ताना घाट से उस पार गंगा की रेत पर हजारों की संख्या में महिला, पुरुष एवं बच्चे पिकनिक मनाने गये हुए थे. इसकी जानकारी स्थानीय प्रशासन को नहीं थी. हादसे की खबर पूरे शहर में आग की तरह फैल गयी और देखते-देखते मस्ताना घाट पर लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा. परिजन अपनों की तलाश में इधर–उधर छटपटाते देखे गये. इस दौरान
पटना सिटी एसडीओ
राजेश रौशन पहुंचे, जिनके साथ न ही गोताखोर की टीम थी और न ही एनडीआरएफ की, जिसके कारण लोग आक्रोशित हो गये और उन्हें लोगों के कोपभाजन का सामना करना पड़ा. लोगों के हंगामे के कारण वे मस्ताना घाट से पैदल ही राजकीय अस्पताल पहुंच गये. वहां भी उन्हें लोगों का कोपभाजन बनना पड़ा.
बिहार : प्रशासन की सुरक्षा के दावे खोखले साबित
हाजीपुर/बिदुपुर : राघोपुर व बिदुपुर क्षेत्र में नदी में डूबकर होने वाली मौतों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. कभी स्नान के दौरान तो कभी पिकनिक मनाने के दौरान नदी में डूबकर लोगों की मौत हो रही है. रविवार की दोपहर बहरामपुर घाट के समीप गंगा नदी में डूबकर आठ लोगों की हुई मौत ने प्रशासनिक दावों को खोखला साबित कर दिया है.
जिस समय लोगों की डूबने से मौत हुई, उस समय वहां अगर एसडीआरएफ की टीम मौजूद होती तो कुछ परिवारों की हंसती-खेलती जिंदगी उजरने से बचायी जा सकती थी. डूबने से मौत होने पर प्रशासन घटना के अगले दो दिनों तक सक्रिय तो जरूर रहता है मगर धीरे धीरे प्रशासन नदी घाटों पर सुरक्षा को लेकर सुस्त दिखने लगता है.
क्या कहती हैं जिलाधिकारी
जिला प्रशासन के निर्देशों के अनुरूप लोगों को नदी घाटों पर सतर्कता व सुरक्षा संबंधी निर्देशों का अक्षरस: पालन करना चाहिए. हादसे में हुई मौतें एक अत्यंत ही दुखद घटना है. प्रशासनिक निर्देशों की अनदेखी के कारण हादसे हो रहे है. हलांकि घटना को लेकर जिला प्रशासन बेहद संवेदनशीलता के साथ आगे की सुरक्षासंबंधी कार्रवाई में जुटा है. लोगों से अपील है कि वे नियमों के मुताबिक ही नदियों में अपनी गतिविधियों को संचालित करे.
-रचना पाटील,
जिलाधिकारी, वैशाली
– पूर्व में भी हो चुके हैं हादसे
रविवार की घटना से पहले भी 11 अक्तूबर को कच्ची दरगाह से रुस्तमपुर घाट आने के दौरान पतवार का झटका लगने से नाविक सुरेश राय का 15 वर्षीय पुत्र सोनू कुमार की डूबने से मौत हो गयी थी. जबकि 13 अक्तूबर को चकौसन स्थित खालसा घाट पर खाद से लदी नाव के डूबने से तीन बच्चों की मौत हो गयी थी. शव का अब तक कोई अता पता नहीं चल सका है.
वहीं 20 अक्तूबर को जुड़ावनपुर घाट पर स्नान करने के दौरान डूबने से राम विनोद सिंह की 22 वर्षीया पुत्री प्रियंका कुमारी की मौत हो गयी थी. उधर 27 अक्तूबर को सहदुल्लाहपुर चकफरीद घाट पर स्नान करने के दौरान डूबने से पानापुर ग्राम के 32 वर्षीय युवक गंभीर कुमार की मौत हो गयी.
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