पटनाः गुरुवार को शहर का मिजाज कुछ बदला-बदला सा रहा. फस्र्ट आवर में सड़कों पर न तो ऑफिस, कॉलेज व कोचिंग जानेवालों की भीड़ थी और न तो पटरियों पर लगने वाले ठेले-खोंमचे ही थे. पूरी तरह से सन्नाटा पसरा हुआ था. सड़कों पर ऑटो व बस नहीं थे. निजी वाहन भी बहुत कम देखे गये.
राजधानी की सड़कें प्रतिदिन सुबह से ही गाड़ियों की भयंकर जाम में उलझ जाती हैं. बाइकर्स, बसें, आटो व लक्जरी गाड़ियों का रेला सड़कों पर होता है. चारो तरफ ट्रैफिक जाम, अगले चौराहे पर पहुंचते ही ट्रैफिक पुलिस के रूक जाने का इशारा. लेकिन गुरुवार को शहर का नजारा बदला हुआ था. चुनाव के कारण सरकारी दफ्तरों में अवकाश रहा. स्कूल, कॉलेज बंद रहे. सुबह के समय में या तो लोग मतदान के लिए बूथ पर थे या फिर घरों में सिमटे हुए थे.
चौक-चौराहों पर दुकानें बंद थी, इसलिए रोज की होनेवाली अड्डेबाजी भी नहीं दिख रही थी. खास बात यह थी कि शहर के ज्यादातर मतदान केंद्र मुख्य सड़कों से दूर हट कर संकरी गलियों में थे. सरकारी भवन व अधिकतर स्कूलों में बूथ बनाये गये थे. जहां बूथ बनाये गये थे, वह गलियां लोगों की चुनावी चरचाओं से गुलजार थी.
रेलवे स्टेशन रोड पर चाय-नाश्ते की दुकानें कुछ हद तक खुली थीं लेकिन अन्य जगहों पर शटर गिरे हुए थे.