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मोकामा टाल में दलहनी फसलों की दोबारा हो रही बुआई

मोकामा: मोकामा टाल इलाके के किसान प्रकृति की मार झेलने को विवश हैं. हथिया नक्षत्र के पानी से अधिकांश खेतों में दोपट (बीज बर्बाद) लग गया, जिसको लेकर दलहनी फसलों की दोबारा बुआई हो रही है. किसानों को जुताई व बीज का खर्च दोबारा उठाने में पसीने छूट रहे हैं. खासकर छोटे किसानों के सामने […]

मोकामा: मोकामा टाल इलाके के किसान प्रकृति की मार झेलने को विवश हैं. हथिया नक्षत्र के पानी से अधिकांश खेतों में दोपट (बीज बर्बाद) लग गया, जिसको लेकर दलहनी फसलों की दोबारा बुआई हो रही है. किसानों को जुताई व बीज का खर्च दोबारा उठाने में पसीने छूट रहे हैं. खासकर छोटे किसानों के सामने यह मुसीबत की घड़ी है. दरअसल टाल में दलहनी फसलों की बुआई अक्तूबर के पहले सप्ताह शुरू हो गयी थी. वजह टाल में इस साल बाढ़ का पानी नहीं आया था.

वहीं, पर्याप्त वर्षा भी नहीं हो रही थी, जिसको लेकर सुखाड़ की स्थिति बन चुकी थी. तब किसानों ने खेतों में पहले वैकल्पिक साधनों से पटवन का काम किया. बाद में अनुकूल नमी होने पर दलहनी फसलों बुआई की गयी. दुर्भाग्यवश हथिया नक्षत्र के अंतिम पड़ाव में 11 अक्तूबर को घनघोर बारिश हुई. अनुमान के विपरीत बारिश ने किसानों को रूला दिया. खेतों में डाला गया बीज आंशिक रूप से अंकुरित हुआ. दलहन की दोबारा बुआई किसानों की विवशता बन गयी. हालांकि, विपरीत परिस्थतियों में भी किसानों ने हिम्मत नहीं हारी है. टाल में जुताई व बुआई का काम युद्ध स्तर पर जारी है.

क्या है दोपट लगना : खेतों में बीज बोने के चार-पांच दिनों बाद तक अत्याधिक पानी जमा होने से नमी बढ़ जाती है. इससे बीज के सड़ने का खतरा बढ़ जाता है. दूसरी ओर, पानी जमा होने से मिट्टी के साथ-साथ बीज भी दब जाते हैं. इस परिस्थिति में खेतों में पौधे नहीं निकल पाते. घनघोर बारिश से टाल का निचला इलाका सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ. कई खेतों में तो अभी तक पानी जमा है.
समय से पहले बुआई हुई महंगा सौदा : किसान सलाहकार संदीप कुमार ने बताया कि समय से पहले फसलों की बुआई किसानों के लिए महंगा सौदा हुआ. हथिया नक्षत्र में केवल एक दिन में तकरीबन 25 एमएम की रिकॉर्ड बारिश हुई. इसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ गया.
सरकारी अनुदान पर उम्मीद : मौसम की मार से टूट चुके किसानों को सरकारी अनुदान पर उम्मीद टिकी है. विपरीत परिस्थिति में सरकार की खास पहल किसानों के लिए मरहम का काम करेगी. इस संबंध में घोसवरी कृषि पदाधिकारी अरविंद कुमार सिंह ने बताया कि दलहनी फसलों का प्रर्याप्त बीज उपलब्ध है. यह किसानों के बीच 50 फीसदी अनुदानित दर पर बांटा जा रहा है. वहीं, किसानों को प्रत्यक्षण कीट निशुल्क दिया जायेगा.
इसमें एक एकड़ का बीज समेत जरूरी दवा दी जायेगी. किसानों को 2680 रुपये का भुगतान करना पड़ेगा, लेकिन यह पूरी राशि बाद में किसानों के खाते में भेज दी जायेगी. दूसरी ओर, अन्य सरकारी मदद के लिए विभाग को सूचना भेजी गयी है ताकि समय पर किसान लाभान्वित हो सकें.
बोले कृषि विशेषज्ञ
बाढ़ अगुआनपुर कृषि वैज्ञानिक डाॅ ब्रजेश पटेल ने कहा कि दलहनी फसलों की बुआई दो से तीन इंच की गहराई में की जाती है. बुआई के तुरंत बाद बारिश या खेतों में पानी जमा होने को लेकर मिट्टी पर कड़ा परत जमा हो जाती है. इससे बीज के अंकुरण व विकास के लिए अनुकूल नमी, हवा व प्रकाश नहीं मिल पाता. वहीं, जमीन के अंदर का तापमान भी काफी बढ़ जाता है. इससे बीज जमीन के अंदर ही सड़ जाता है.
मोकामा टाल में ऐसी समस्या देखने को मिल रही है. हालांकि, टाल के किसान तीस किलो प्रति बीघे की दर से बीज बोते हैं. किसानों को एक बीघा में 16 किलो बीज बोना चाहिए. यदि खेतों में 50 फीसदी शिशु पौधा दिखाई पड़ रहा है, तो उसका प्रर्याप्त विकास हो सकता है. दलहनी फसलों का जायजा लेकर किसानों को जरूरी सलाह दी जा रही है.

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