पटना: मौर्यालोक कॉम्प्लेक्स की छत व दीवारें ढहती रहें, लोग घायल होते रहें, हाइकोर्ट मरम्मत कराने के लिए बार-बार फटकार लगाते रहे, लेकिन नगर निगम को इसकी परवाह नहीं है. इसकी जिम्मेवारी बुडको को देकर निगम प्रशासन निश्चिंत हो गया है. बुडको भी अपनी चाल से चल रहा है. उसने एजेंसी के चयन के लिए टेंडर निकाल दिया. एजेंसी का चयन 12 अप्रैल को ही होना था.
लेकिन, नहीं किया गया. नगर निगम द्वारा कॉम्प्लेक्स के सौंदर्यीकरण की बात कहे जाने पर मार्च में हाइकोर्ट ने कहा था कि ताजमहल बाद में बनाइएगा, पहले जल्दी मरम्मत कराइए. इसके बाद भी मामूली मरम्मत तक नहीं करायी गयी. इस फटकार के एक सप्ताह बाद ही एक अप्रैल को बी-ब्लॉक में छत का छज्ज गिर गया, जिससे बीआइटी की एक छात्र घायल हो गयी. यह कोई पहली घटना नहीं थी. इससे पहले 16 फरवरी की शाम सीढ़ी का छज्ज गिरा था, जिसमें दुकान में काम कर रहे मजदूर घायल हुए थे. हादसा-पर-हादसा हो रहा है, लेकिन निगम प्रशासन कोई कदम नहीं बढ़ा रहा है. निगम प्रशासन को लगता है कि बुडको को काम दिया ही गया है, तो वह अपने स्तर से क्यों करें.
मलबा तक नहीं हटाया
स्थिति यह है कि 16 फरवरी को गिरे छज्जे का मलबा अब तक नहीं हटाया गया है. एक अप्रैल को जहां छज्ज गिरा, उससे दस कदम आगे ही छह जजर्र स्थिति में है. यहां भी कभी भी छज्ज गिर सकता है और बड़ी घटना हो सकती है. इसके बावजूद निगम प्रशासन द्वारा कोई प्रयास नहीं किया गया है.
एजेंसी चयन का इंतजार
हाइकोर्ट की फटकार के बाद आनन-फानन में नगर विकास विभाग ने चार करोड़ रुपये की स्वीकृति दी, ताकि परिसर की मरम्मत हो सके. इस काम को पूरा करने की जिम्मेवारी बुडको को दी गयी है. बुडको ने एजेंसी चयन के लिए टेंडर निकाला. एजेंसी चयन करने की अंतिम तिथि 12 अप्रैल तय की गयी थी, लेकिन उस दिन नहीं किया जा सका.