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17 से शुरू होगा पांच दिनों का दीपोत्सव, 19 को मनायी जायेगी दीपावली, विशेष संयोग में आयेंगी महालक्ष्मी
पटना. पांच दिनों तक मनाया जाने वाला दीपोत्सव 17 अक्तूबर से शुरू होगा. धनतेरस से भाई दूज तक इन पांच दिनों में हर घर में श्रद्धा और समृद्धि का बसेरा रहेगा. हर्ष और उल्लास से मनायी जाने वाली दीवाली हिंदुओं का बड़ा धार्मिक आयोजन है. अंधेरे से उजाले की ओर जाने का प्रतीक दीपावली घर […]
पटना. पांच दिनों तक मनाया जाने वाला दीपोत्सव 17 अक्तूबर से शुरू होगा. धनतेरस से भाई दूज तक इन पांच दिनों में हर घर में श्रद्धा और समृद्धि का बसेरा रहेगा. हर्ष और उल्लास से मनायी जाने वाली दीवाली हिंदुओं का बड़ा धार्मिक आयोजन है. अंधेरे से उजाले की ओर जाने का प्रतीक दीपावली घर में मां लक्ष्मी और गणेश के रूप में शुभ और लाभ को घर लाने का विशेष मौका भी है. ज्योतिषियों के मुताबिक दीपावली में विशेष मुहूर्त और शुभ संयोग में मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना कर सुख-समृद्धि की मंगल कामना कर सकते हैं.
धनतेरस 17 अक्तूबर
दीपाेत्सव का पहला दिन धनतेरस (धन त्रयोदशी) के रूप में मनाया जाता है. कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन ही धंवन्तरि का जन्म हुआ था. इसलिए इस तिथि को धनतेरस के नाम से जाना जाता है. इस दिन चांदी खरीदने की परंपरा है. कहा जाता है कि चांदी चंद्रमा का प्रतीक है, जो शीतलता प्रदान कर मन को संतोषरूपी धन देता है.
क्या करें– धनतेरस के दिन दीप जला कर भगवान धंवन्तरि की पूजा-अर्चना कर अच्छी सेहत-नेमत की प्रार्थना करें. चांदी का कोई पात्र या लक्ष्मी-गणेश अंकित सिक्का खरीदें. नया बर्तन खरीदें.
छोटी दीवाली 18 अक्तूबर
इस दिन को मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम, उनकी पत्नी माता सीता और उनके भाई श्री लक्ष्मण के द्वारा राक्षस राज रावण पर विजय के बाद 14 साल वनवास काट कर अयोध्या वापसी की खुशी में छोटी दीवाली के रूप में मनाते हैं. एेसा माना जाता है कि मां लक्ष्मी दीवाली की रात को पृथ्वी पर घूमने के लिए आती हैं. इसलिए लोग दीवाली की रात को, अपने दरवाजे और खिड़कियां मां लक्ष्मी के स्वागत के लिए खुला छोड़ देते हैं. नये वित्तीय वर्ष की शुरुआत के रूप में व्यापारी-दुकानदार पुराना खाता-बही अपडेट करते हैं.
क्या करें- सूर्योदय से पहले उठ कर तेल लगाएं और पानी में चिरचिरी के पत्ते डाल कर उससे स्नान करें. विष्णु या कृष्ण मंदिर में जाकर भगवान का दर्शन करने से अनिष्ट से मुक्ति मिलती है.
बड़ी दीवाली 19 अक्तूबर
बड़ी दीवाली नरक चतुर्दशी, रूप चतुर्दशी, रूप चौदस और काली चौदस के रूप में भी जानी जाती है. नरक चतुर्दशी से पहले घर की सजावट और रंगोली बनाने का विधान है. लोग घी का दीपक-कैंडिल, रंग-बिरंगी लड़ियां, मोमबत्ती आदि घर के अंदर-बाहर जलाते हैं. सिख धर्म में बंदी छोर व जैन धर्म में भगवान महावीर की स्मृति दिवस के रूप में मनाया जाता है. दीपोत्सव के तीसरे दिन भगवान श्रीगणेश और देवी मां महालक्ष्मी की पूजा की जाती है. लोग अंधकार पर विजय मिलने की खुशी में आतिशबाजी और पटाखा छोड़ कर भगवान से सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मांगते हैं. प्रतिष्ठानों में मां लक्ष्मी का विधि-विधान से पूजन कर व्यापार फलने-फूलने की कामना की जाती है.
क्या करें- इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान श्रीगणेश का पूजन करें. दीवाली के दिन जहां गृहस्थ और कारोबारी धन की देवी लक्ष्मी से समृद्धि और धन की कामना करते हैं, वहीं साधु-संत विशेष सिद्धियां प्राप्त करने के लिए तांत्रिक पूजा करते हैं.
गोवर्धन पूजा 20 अक्तूबर
दीपाेत्सव के चौथे दिन गोवर्धन पूजा (अन्नकूट) मनाते हैं. इस दिन गौ माता की पूजा की जाती है. कहा जाता है भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी उंगली पर उठाकर रखा था, जिसके नीचे सभी गोप-गोपिओं ने आश्रय लिया था. इस पौराणिक घटना के बाद से ही गोवर्धन पूजा की जाने लगी.
क्या करें- अपनी गायों और बैलों को स्नान करा कर उन्हें रंग लगाएं. उनके गले में नयी रस्सी डालें. गाय और बैलों को गुड़ और चावल भी खिलाएं. इस दिन एकमुखी रुद्राक्ष को धारण करने से जीवन में सफलता, सम्मान और सुख की प्राप्ति होती है.
भाई दूज 21 अक्तूबर
दीपोत्सव का आखिरी दिन भाई दूज के रूप में मनाया जाता है. इस दिन बहन रोली एवं अक्षत से अपने भाई का तिलक कर उसके अच्छे भविष्य की कामना करती है. कहा जाता है कि इस दिन यमी ने अपने भाई यमराज की खूब सेवा की, इससे खुश होकर यमराज ने अपनी बहन को ढेर सारा आशीष दिया. कायस्थ समाज में भगवान चित्रगुप्त की पूजा की जाती है.
क्या करें- बहन अपने भाई को तिलक लगाकर भाई की सुख समृद्धि की मंगलकामना करें. भाई अपनी बहन को भेंट स्वरूप कुछ उपहार या दक्षिणा दें.
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