पटना: मुंगेर में शहीद हुए मेजर रवींद्र कुमार राय होली में मात्र एक दिन के लिए अपने राजीव नगर रोड संख्या 23 एच स्थित आवास पर आये थे और फिर अगले ही दिन वापस अपनी ड्यूटी पर चले गये थे. इन पर काफी जिम्मेवारी थी और वे साल-दो साल पर अपने घर आते थे. उनसे उनकी पत्नी व बच्चों की हमेशा फोन पर ही बात होती थी. बुधवार को भी उनकी पत्नी ने उनसे बात की थी.
राजीव नगर में इन्होंने छह साल पहले एक मकान बनाया था, जिसमें अभी तक बाहर से प्लास्टर तक नहीं हुआ है. उन्होंने किसी तरह से अपने वेतन से कटौती कर जमा किये गये पैसों से मकान बनाया था. इसमें उनकी पत्नी सुमित्र देवी व दो बेटे सोनू उर्फ गोलू (17) व बिट्टू रहते हैं. सोनू मंदिरी स्थित द्वारिका नाथ महाविद्यालय में प्लस टू का छात्र है, जबकि बिट्टू राजीव नगर में एसबीएम स्कूल में दसवीं का छात्र है. पटना में आवास के निर्माण से पूर्व उनका परिवार सोनपुर स्थित पैतृक गांव पर ही रहता था. यहां घर बनाने के पीछे उनका मुख्य उद्देश्य बेटों को अच्छी शिक्षा दिलाना था. सोनू ने बताया कि उन्हें गुरुवार की सुबह यह जानकारी उनके विभाग के अधिकारियों से फोन से मिली. बताया गया कि वे लोग उनके शव को लेकर आ रहे हैं.
गश खाकर गिर पड़ीं पत्नी : पत्नी सुमित्र देवी, दोनों बेटों सोनू व बिट्टू को जैसे ही उनकी मौत की खबर मिली, घर में कोहराम मच गया. सुमित्र देवी रोते हुए बार-बार गश खा कर गिर रही थीं. आसपास के मुहल्ले वाले जब घर में अचानक रोने की आवाज सुनी तो वे लोग दौड़ते हुए वहां पहुंचे, तो सारी बातों की जानकारी हुई. उनलोगों ने किसी तरह सुमित्र देवी व उनके बच्चों को संभाला. इसके बाद सोनू ने अपने पिता के पैतृक आवास (सोनपुर, गोपालपुर, शेखडुमरी) पर परिजनों को मामले की जानकारी दी. इस जानकारी के बाद वहां से भी काफी संख्या में परिजन व ग्रामीण पहुंचे.
पार्थिव शरीर पहुंचते ही मचा कोहराम : शहीद रवींद्र प्रसाद यादव के शव को सीआरपीएफ के जवानों द्वारा देर शाम पटना स्थित आवास पर लाया गया और फिर वहां से उन्हें सम्मान के साथ सोनपुर स्थित गांव पर ले जाया गया. उनके भतीजे राजकुमार यादव ने बताया कि उनका अंतिम संस्कार सोनपुर में शुक्रवार को किया जायेगा. इधर, शव के पहुंचते ही राजीव नगर आवास पर कोहराम मच गया. पत्नी सुमित्र देवी व उनके दोनों बेटों का रो-रो कर बुरा हाल था.
चार भाइयों में सबसे छोटे थे रवींद्र : रवींद्र प्रसाद यादव चार भाइयों में सबसे छोटे थे. उनके बड़े भाई राजेंद्र प्रसाद यादव रेलवे कर्मचारी हैं, जबकि उनके दो अन्य भाई विजेंद्र राय व हरेंद्र राय व्यवसायी हैं. चारों भाइयों में आपस में काफी मिल्लत थी, जिसके कारण आज भी उनके पैतृक आवास या जमीन का बंटवारा नहीं हुआ है. अपने गांव में वे मेजर साहब के नाम से लोकप्रिय थे. भतीजा राजकुमार यादव ने बताया कि वे अपने काम के प्रति काफी समर्पित थे.