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पटना आईजीआईएमएस का कमाल : जब कानों से होकर आंखों तक छलकीं खुशियां
आईजीआईएमएस : पहली बार हुआ कॉकलियर इंप्लांट, अब सुन सकेगी खुशी व प्रीति पटना : मंगलवार की सुबह 9:10 बजे आईजीआईएमएस के न्यूरो ओटी के इंट्रीगेट पर सात-आठ लोग खड़े थे. अपनी तीन साल की बेटी प्रीति को गोद में लिये जैसे ही रिकवरी रूम में पिता कैलाश यादव पहुंचे मां संतोला देवी के चेहरे […]
आईजीआईएमएस : पहली बार हुआ कॉकलियर इंप्लांट, अब सुन सकेगी खुशी व प्रीति
पटना : मंगलवार की सुबह 9:10 बजे आईजीआईएमएस के न्यूरो ओटी के इंट्रीगेट पर सात-आठ लोग खड़े थे. अपनी तीन साल की बेटी प्रीति को गोद में लिये जैसे ही रिकवरी रूम में पिता कैलाश यादव पहुंचे मां संतोला देवी के चेहरे पर चिंता की लकीर दिखायी देनी लगी. कुछ देर बाद डॉक्टर व नर्सों की टीम आयी और प्रीति को ऑपरेशन थियेटर लेकर चली गयी.
करीब चार घंटे बाद दोपहर डेढ़ बजे जैसे ही ओटी से ईएनटी विभाग के एचओडी डॉ राकेश कुमार सिंह बाहर निकले प्रीति के माता-पिता ने उन्हें घेर लिया. बेटी के बारे में पूछताछ करने लगे. जैसे ही डॉक्टर राकेश ने जवाब दिया कि ऑपरेशन सफल रहा. अब आपकी बेटी ठीक है और वह सुन व बोल सकती है. यह सुन कैलाश व संतोला के चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गयी.
क्या है कॉकलियर इंप्लांट
आईजीआईएमएस में पहली बार कॉकलियर इंप्लांट सर्जरी की गयी. इसमें मधुबनी की रहने वाली पांच साल की प्रीति कुमारी और पटना सिटी स्थित खाजेकलां की रहने वाली खुशी गुप्ता को इंप्लांट लगाया गया. यह इंप्लांट दिल्ली से आये डॉ राकेश कुमार और आईजीआईएमएस के डॉ राकेश सिंह ने मिल कर किया. इंप्लांट के तहत बच्चों की सर्जरी कर एक मशीन लगायी जाती है. इंप्लांट के इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस सुनने व बोलने के सेंस को डेवलप करता है.
एसी की आवाज सुन चौंक गयी खुशी और प्रीति खुशी गुप्ता और प्रीति भले ही सवा महीने बाद साफ व अच्छे से सुन सकेगी, लेकिन इन्होंने आवाज क्या होती है इसका महसूस ऑपरेशन के दौरान ही कर लिया. ओटी में ही प्रीति को होश आ गये. होश आने के बाद प्रीति ने ऑपरेशन में इस्तेमाल होने वाले इंस्ट्रूमेंट की आवाज सुनी. इससे वह कुछ देर के लिए चौंक गयी. ऐसा ही कुछ खुशी के साथ भी हुआ. ओटी में चल रहे एसी की आवाज सुनने के बाद खुशी भी चौंक गयी. बाद में दोनों को रिकवरी रूम में लाया गया, जहां दो घंटे बाद आइसीयू में भर्ती कर दिया गया.
चार घंटे चला
एक ऑपरेशन, दिल्ली एम्स के ईएनटी विभाग से आये डॉ राकेश कुमार की देखरेख में हुआ ऑपरेशन
स्वास्थ्य
विभाग से मिला साढ़े छह लाख का अनुदान
जन्म से ही बहरापन
खुशी गुप्ता के पिता सुभाष गुप्ता ने प्रभात खबर से विशेष बातचीत में बताया कि खुशी जन्म से ही उसे सुनने व बोलने में परेशानी थी. वहीं, प्रीति के पिता कैलाश यादव ने बताया कि प्रीति उसकी इकलौती बेटी है. वह बेटी को बड़े अधिकारी बनाने का सपना संजोये हैं.
सवा साल लगेगा सामान्य होने में ऑपरेशन के बाद विशेष
बातचीत में दिल्ली एम्स से आये डॉ राकेश कुमार ने कहा कि कॉकलियर इंप्लांट के बाद सिर्फ 30 प्रतिशत काम होता है. इसमें सबसे अहम स्पीच थैरेपी होती है. इन बच्चों को स्पीच थैरेपी के जरिये बोलना और सुनना सिखाया जायेगा. डॉ राकेश ने कहा कि सामान्य बच्चों की तरह बोलने में करीब सवा साल लगेगा. वहीं, डॉ राकेश सिंह ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग की ओर से दोनों बच्चियों को साढ़े छह लाख रुपये का अनुदान दिया गया है.
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